सकारात्मक रहें : स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने
सकारात्मक रहें : स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने
सकारात्मक रहें : स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने
भागम-भाग, तनाव एवं घटनाबहुल आज के इस युग में सकारात्मक होना, ऊर्जावान होना इंसान के लिये एक बेहतरीन बात है और इसी के माध्यम से मानव जीवन ने ऊंचाइयों को छुआ है। यह सकारात्मकता (positivity quotes) एवं ऊर्जस्विलता ही है, जिसने आम इंसानों को ऐतिहासिक पुरुषों के रूप में महानता प्रदान की है। कई बार ऐसा लगता होगा आपको कि आप ऊर्जा से भरे हुए और परिपूर्ण है। आपका घट ऊर्जा से छलछला रहा है और उस समय आपके चेहरे पर एक विशिष्ट आभा होती है, आँखों में चमक होती है, मन में प्रसन्नता ओर हृदय में होती है कुछ कर गुजरने की तमन्ना। यही वह क्षण है जो आपको जीवन में कुछ अनूठा एवं सार्थक करने का परिवेश देता है, जैसा कि द अल्केमिस्ट (the alchemist quotes) ने कहा है कि-‘‘ब्रह्मांड में बीज बोओ और पूरा ब्रह्मांड आपको आपकी इच्छित वस्तु दिलाने के लिए जुट जाएगा।’’
कभी ऐसे भी लोगों को हम देखते हैं जो उम्र से युवा हैं पर चेहरा बुझा-बुझा है। न कुछ उनमें जोश है न होश। अपने ही विचारों में खोए-खोए, निष्क्रिय और खाली-खाली से, निराश और नकारात्मक तथा ऊर्जा विहीन। हाँ सचमुच ऐसे लोग पूरी नींद लेने के बावजूद सुबह उठने पर खुद को थका महसूस करते हैं, कार्य के प्रति उनमें उत्साह नहीं होता। ऊर्जा का स्तर उनमें गिरावट पर होता है। क्यों होता है ऐसा? कभी महसूस किया आपने? क्योंकि हम नकारात्मक परिस्थितियों एवं विचारों से घिरे होते हैं। हमें बड़ा सोचना चाहिए, हमारे सपने बड़े होने चाहिए, हमारे कर्म भी अनूठे एवं विलक्षण बनने के ही होने चाहिए। जैसा कि बिल जैंकर ने कहा था-‘‘आप जिस बारे में सपना देखते हैं, वही बनते हैं। अगर आप बड़े काम का सपना नहीं देखते, तो आप कभी जीवन में कुछ बड़ा नहीं कर पायेंगे।’’
The outside world is a reflection of the inside world
यह सब हमारी शारीरिक स्वस्थता के साथ-साथ मानसिक स्थिति का और विचारों का एक प्रतिबिंब है। जब कभी आप चिंतातुर होते हैं तो ऊर्जा का स्तर गिरने लग जाता है। उस समय जो अनुभूति होती है, वह है-शरीर में थकावट, कुछ भी करने के प्रति अनिच्छा और अनुत्साह। चिंता या तनाव जितने ज्यादा उग्र होते हैं, उतनी ही इन सब स्थितियों में तेजी आती है, किसी काम में तब मन नहीं लगता। आप आसमान को देखकर यह कह सकते हैं-‘यह कितना नीरस है’ या यह कह सकते हैं-‘यह कितना बड़ा है।’ यह बस दिमाग को अनुकूलित करने और उसे प्रशिक्षित करने की बात है। जैसा कि रूमी ने कहा (rumi quotes on positivity) -‘‘कोई दर्पण फिर कभी लोहा नहीं बना, कोई रोटी फिर कभी गेहूं नहीं बनी, कोई पका हुआ अंगूर फिर कभी खट्टा फल नहीं बना। अपने आपको परिपक्व बनाएं और परिवर्तन के बुरे नतीजों के बारे में आशंकित न हों। उजाला बनें।’’ इसलिए बदलें, खुद रोशनी बनें और दूसरों को भी प्रकाशित करें।
जैसा कि किसी ने कहा है-‘‘जीवन बस एक दर्पण है और बाहर की दुनिया अंदर की दुनिया का प्रतिबिम्ब है।’’ एक बार अपने अंदर सफलता प्राप्त कर लें, बाहर खुद-ब-खुद वह प्रतिबिम्बित होगा। बिल्कुल इसी तरह कम्प्यूटर काम करता है-अगर सॉफ्टवेयर करप्ट हो गया है तो बस आपको उसे रीलोड करना होगा। इसी तरह, यदि एक विचारधारा काम नहीं कर रही है तो आपको बस अपने दिमाग को रिप्रोग्राम करना होगा। जैसा कि जोहान वाॅन गोथे ने कहा था-‘‘जिस पल कोई व्यक्ति खुद को पूर्णतः समर्पित कर देता है, ईश्वर भी उसके साथ चलता है।’’ जैसे ही आप अपने मस्तिष्क में नए विचार डालते हैं, सारी ब्रह्माण्डीय शक्तियां अनुकूल रूप में काम करती हैं।
No person is complete in the world
यह बात जरूर है कि यदि आप किसी कार्य में अयोग्य हैं तो अपने को कमजोर मान निराशा या अवसाद में डूबने की जरूरत नहीं है। दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है। दुनिया का कोई भी कार्य महान नहीं होता, बल्कि महान लोगों द्वारा किए गए कार्य महान बन जाते हैं। कोई कह सकता था कि नर्स होना महत्ती गर्व की बात नहीं है, पर मदर टेरसा के कार्यों ने उन्हें दुनिया के महानतम लोगों की श्रेणी में खड़ा कर दिया। अंग्रेजों को अहिंसा के माध्यम से घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले गांधी अपनी युवावस्था में जब पहली बार कोर्ट में सूट-बूट पहनकर खड़े हुए तो उनके पैर कांपने लगे, जज के सामने उनकी आवाज तक नहीं निकली और वे इतना डर गए कि कोर्ट से भाग निकले। बाद में उन्होंने खुद को इस तरह निखारा कि करोड़ों लोगों के दिलों पर राज किया। आप मार्टिन लूथर किंग के इस कथन से परिचित होंगे- ‘‘अगर कोई व्यक्ति सड़क सफाईकर्मी है तो उसे सड़कें ऐसे साफ करनी चाहिए जैसे माइकलेंजेलो चित्रकारी करता था, बीथोवन संगीत बजाता था या शेक्सपीयर कविता लिखता था।’’
It is very important to have an understanding of life.
अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रूप देने और उसे बढ़ाने के लिए आप इस तथ्य को अपने मन मस्तिष्क में बिठा लें कि सामान्यतः मनुष्य जो कुछ कर रहा है वह उसकी क्षमता से बहुत कम है। जैन धर्म में इस बात पर विशेष बल दिया गया कि मनुष्य अपने इसी शरीर में सर्वज्ञ बन सकता है और महानता का वरण कर सकता है। कुछ अन्य दार्शनिक इस विचार से असहमत रहे हैं। उनका कहना था कि हाड़ मांस के इस शरीर से मनुष्य सर्वज्ञ जैसी दिव्यता की स्थिति को प्राप्त कर ही नहीं सकता। पर जैन आचार्यों ने महावीर वाणी के आधर इस बात को दृढ़ता के साथ और सही ढ़ंग से प्रस्तुत किया कि इस ह्यूमन बाॅडी में जो विराट शक्तियाँ भी छिपी हुई हैं, उनका सही उपयोग किया जाए तो निःसंदेह मनुष्य सर्वज्ञता और महानता जैसी स्थिति को प्राप्त कर सकता है। जैन मत के इस सिद्धांत का स्मरण कर आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा को बढाकर उसे ऊँचाई के स्तर तक ले जा सकते हैं। सफलता के शिखर पर पहुँचे व्यक्तियों के उदाहरण से भी यह बात स्पष्ट होती है कि जिन कार्यों में उन्होंने हाथ डाला, उन्हें विश्वास था कि उन्हें पूरा करने में वे सक्षम हैं और इसके लिए अपनी ऊर्जा का सही उपयोग उन्होंने किया। जीवन की समझ होना बेहद जरूरी है। उसके साथ कैरेक्टर और माध्यम की समझ भी उतनी ही जरूरी है।
You can make life happy by being enriched with energy and positivity.
चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में आंकना और सामर्थ्य व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जीवन जीना ही सकारात्मकता है। यदि परिस्थितियां हमारे हित में नहीं है तो उन्हें अपने हित में करने के लिए जूझना। दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है, जिसे इंसान न कर सके। दिल में कामों के प्रति जुनून और लगन होनी चाहिए। सकारात्मकता आत्मविश्वास से ही उपजती है और उसमें इस बात का भी बोध होता है कि दुनिया बहुत महान है और यहां विविधताओं और योग्यताओं का भंडार है। जितनी ज्यादा चाह है, उससे ज्यादा मेहनत करने की क्षमता ही हमें सकारात्मक बना सकती ळें एक महान विद्वान ने कहा था कि जब हम स्वार्थ से उठकर अपने समय को देखते हुए दूसरों के लिए कुछ करने को तैयार होते हैं तो हम सकारात्मक हो जाते हैं। महात्मा गांधी ने कहा कि जब आप दुखी हों तो अपने से नीचे देखो और फिर सोचो कि आप सुखी हो या दुखी। यहां देखने का नजरिया महत्वपूर्ण होगा। नीचे देखते समय अपनी सुविधाओं को देखो और ऊपर देखते हुए उनके लिए किए गए श्रम को समझने का प्रयास करो। ऊर्जा एवं सकारात्मकता से समृद्ध होकर आप जीवन को आनंदित बना सकते हैं।
ललित गर्ग


