सच्चे अर्थों में विश्व नागरिक थे मुक्तिबोध : ललित सुरजन
सच्चे अर्थों में विश्व नागरिक थे मुक्तिबोध : ललित सुरजन

Muktibodh was a world citizen in true sense: Lalit Surjan
दुरुह नहीं मुक्तिबोध अपितु उनके पास विचारों की पूंजी थी
भिलाईनगर। “मुक्तिबोध जैसी समझ दुनिया में कितने लोगों की होती है। किसानों मजदूरों वचितों के साथ उनमें राजनैतिक चेतना की गहरी समझ थी। वे सच्चे अर्थो में विश्व नागरिक थे। मुक्तिबोध दुरुह नहीं अपितु उनके पास विचारों की पूंजी थी।“
मुक्तिबोध जन्म शताब्दी समारोह का भिलाईनगर में आयोजन
ये विचार देशबन्धु समाचारपत्र समूह के प्रधान संपादक व छ.ग. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष ललित सुरजन ने व्यक्त किए। वे छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई-दुर्ग के तत्वावधान में मुक्तिबोध जन्म शताब्दी समारोह के आयोजन में अपना अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे।
मुक्तिबोध जन्म शताब्दी समारोह के आयोजन प्रलेस भिलाई दुर्ग अध्यक्ष परमेश्वर वैष्णव के निवास 5 में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय प्रलेस अध्यक्ष मण्डल के सदस्य प्रभाकर चौबे थे।
वरिष्ठ मजदूर नेता सी.आर.बक्शी व छ.ग. प्रलेस के महासचिव व राष्ट्रीय प्रलेस के कोषाध्यक्ष नथमल शर्मा विशिष्ठ अतिथि थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ललित सुरजन ने कहा
मुख्य अतिथि श्री प्रभाकर चौबे ने इस अवसर पर कहा मुक्तिबोध आज भी प्रासंगिक है। मुक्तिबोध को केवल कविताओं से नहीं समझा सकते उन्हें समझने हमें अपने अपनी परंपराओं व मिथकों से वाकिफ होना होगा। उन्होंने अपने समय से हस्तक्षेप किया जो आज हम नहीं कर रहे है। हमारे दिमाग में आज भी सामंती सरकार है। ओर हमने लोकतंत्र को अंगीकार नहीं किया है। वरिष्ठ मजदूर नेता छ.ग. किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष सी.आर.बक्शी ने कहा मुक्तिबोध अपने समय-समय के चतनाशील प्रतिनिधि थे। उन्होंने समाज को लेखकीय आंदोलन की नूतन दृष्टि दी। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नलिनी श्रीवास्तव ने कहा-मुक्तिबोध समय के आगे के साहित्यकार थे। प्रमुख वक्ता प्रो.सियाराम शर्मा ने कहा हिन्दी कविता में आगे बढऩे मुक्तिबोध मील का पत्थर हैं। आज के दंगे और शोषण के दौर को उन्होंने पहचाना था। प्रेमचंद की महयवर्ग की देखकर उन्होंने लिखा। आत्म संघर्ष के साथ सामाजिक संघर्ष को उन्होंने महत्व दिया। इस अवसर पर छ.ग. प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई-दुर्ग द्वारा प्रभाकर चौबे, बक्शी और ललित सुरजन का अभिनंदन लोक बाबू, परमेश्वर वैष्णव, रवि श्रीवास्तव, विमल शंकर झा ने शाल और श्रीफल भेंट कर किया। मुक्तिबोध समारोह के द्वितीय सत्र में मुक्तिबोध परम्परा के छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से आमंत्रित समकालीन कवियों का काव्य पाठ किया गया।
इस वैचारिक काव्य गोष्ठी में प्रभाकर चौबे, ललित सुरजन, महेन्द्र मिश्र, नथमल शर्मा, रफीक खान, संजय शाम, नंदकुमार कंसारी, प्रभात तिवारी, नलिनी श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, मुमताज, शरद कोकास, संतोष झांझी, नासिर अहमद सिकदर, परमेश्वर वैष्णव, विमल शंकर झा, आभा दुबे, अंजन कुमार घनश्याम त्रिपाठी, वासुकी प्रसाद उन्मत रियाज खान, डॉ.शीला शर्मा, शुचि भावि, नीलम जायसवाल बलराम चंद्राकर आदि कवियों ने काव्य पाठ किया। संचालन लोकबाबू व परमेश्वर वैष्णव व आभार प्रदर्शन विमल शंकर झा ने किया। इस अवसर पर डाटा से राजेश श्रीवास्तव, विनोद सोनी, प्रदीप वर्मा, माला सिंह, टी.आर. कोसरिया, मुकेश रामटेके, कल्याण सिंह, वामन भराड़े, विनोद शर्मा, कृष्ण सोनी, शिवमंगल सिंह, सुशील यादव, शाहीन अमीन, ध्रुव साहू, मधु चौकसे, कंचन ठाकरे, नवेन्दु श्रीवास्तव मंगला भराड़े, कमला वैष्णव, पुलकित वैष्णव, ओम प्रकाश विजय कुमार आदि उपस्थित थे।


