सतलज-यमुना संपर्क नहर, पानी पर राजनीति
सतलज-यमुना संपर्क नहर, पानी पर राजनीति
सतलज-यमुना संपर्क नहर, पानी पर राजनीति
घूमता हुआ आइना
राजीव रंजन श्रीवास्तव
हम हिंदुस्तानी बोलचाल में खर्चा-पानी शब्द का बहुत इस्तेमाल करते हैं।
बड़े नोट बंद होने के कारण खर्च की दिक्कत आई, नमक की अफवाह ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया और अब पानी भी खतरे में है।
अब तक गर्मियों में जलसंकट, कई राज्यों में सूखा, कावेरी नदी के विवाद ही पानी के खतरे बता रहे थे अब पंजाब जैसे राज्य में पानी पर विवाद शुरु हो गया है।
यह सचमुच भयावह समय है, जिसमें एक ऐसे राज्य में पानी राजनीति का मुद्दा बना है, जिसका नाम ही पांच नदियों के कारण पंजाब पड़ा।
विवाद सतलज-यमुना संपर्क नहर यानी एसवाईएल का है।
सतलुज-यमुना संपर्क नहर लंबे समय से पंजाब और हरियाणा के बीच तीखे विवाद का विषय रही है। यह नहर दोनों राज्यों के बीच दिसंबर 1981 में हुए जल समझौते की देन है। लेकिन पंजाब की अनिच्छा के कारण नहर का निर्माण-कार्य लटका रहा। आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की कोशिशें नाकाम हो गर्इं तो मामला अदालत में गया।
अब सुप्रीम कोर्ट ने एसवायएल नहर पर निर्माण कार्य को जारी रखने का आदेश दिया है।
इस फैसले से पंजाब सरकार को करारा झटका लगा है, क्योंकि मामला पानी से ज्यादा भावनाओं का बन गया है।
इस मामले में, पंजाब में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, सबका रवैया एक जैसा रहा है, क्योंकि कोई भी पार्टी यह जोखिम मोल लेना नहीं चाहती कि वह पंजाब के हितों पर समझौता करती नजर आए। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कहना है कि वह अपने खून का एक-एक कतरा बहा देंगे लेकिन पंजाब का पानी किसी भी राज्य को नहीं देने देंगे।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का एलान कर दिया। उन्हीं की तर्ज पर राज्य के कांग्रेसी विधायकों ने अपनी विधायकी छोडऩे की घोषणा कर दी।
त्याग का यह खेल विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र रचा गया है, ऐसा विपक्षियों का आरोप है।
देशबन्धु समाचारपत्र समूह के समूह संपादक राजीव रंजन श्रीवास्तव का विशेष साप्ताहिक कार्यक्रम घूमता हुआ आइना


