सत्ता सुख के लिये सुखदा मिश्रा ने छोड़ी बसपा !
सत्ता सुख के लिये सुखदा मिश्रा ने छोड़ी बसपा !
दिनेश शाक्य
इटावा। मुलायम गढ़ इटावा की इकलौती महिला सांसद सुखदा मिश्रा ने बसपा का साथ छोड़ दिया है। संभावना जताई जा रही है कि सुखदा मिश्रा, मुलायम खेमे की राह को मजबूत करने का काम करेगी। यह सब इसलिये किये जा रहा है कि सुखदा को अपना राजनैतिक वजूद भी बरकरार रखना है।
भले ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव महिला के हित और उत्थान की बात आये दिन अपने भाषणों के जरिये करने के साथ अपनी पार्टी के नेताओं से महिलाओं को आगे बढ़ाने की सलाह देते हों लेकिन उनके ही गढ़ इटावा में महिला राजनेताओं का खासा अभाव देखा जा रहा है तभी तो 1980 मे पहली बार कोई महिला लोकसभा का चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटा सकी। वैसे लोकसभा का पहला चुनाव आजादी बाद 1952 में हुआ लेकिन मुलायम के गढ़ इटावा मे पहली बार लोकसभा चुनाव में 1980 मे उतरी सुखदा मिश्रा ऐसी पहली महिला हैं जिन्होंने राजनीति में पुरूषों को चुनौती दी।
देश मे सक्रिय तमाम राजनैतिक दलों की हठधर्मी के कारण अभी तक महिला बिल लागू नहीं हो सका है इसी कारण महिला हितों की बात करने वाले राजनैतिक दल राजनीति में उतरी महिलाओं का कोई ख्याल नहीं रखते हैं।
1952 में विधानसभा चुनाव में इटावा सदर सीट से आजादी के योद्धा कंमाडर अर्जुन सिंह की भदौरिया की पत्नी सरला भदौरिया चुनाव मैदान में उतर चुकी थीं, उनको कामयाबी नहीं मिली इसके बावजूद सरला भदौरिया को राज्यसभा में जरूर 1964 में भेज दिया गया।
1980 मे पहली बार लोकसभा के चुनाव मैदान मे किस्मत अजमाने काग्रेंस की ओर से उतरी श्रीमती सुखदा मिश्रा ऐसी पहली महिला हैं जिन्होंने पुरूष राजनीति को चुनौती दी लेकिन उनकी किस्मत अच्छी नहीं निकली और वो हो गई पराजित। 1980 के चुनाव में सुखदा एक मात्र ऐसी महिला थीं जो चुनाव मैदान में उतरी थीं। उनको मुलायम के साथी रामसिंह शाक्य ने पराजित किया। सुखदा मिश्रा को इस चुनाव में 111319 वोट मिले थे।
इससे पहले सुखदा मिश्रा 1974 में कांग्रेस के टिकट पर इटावा सदर विधानसभा से चुनाव जीत करके उत्तर प्रदेश विधानसभा मे पहुंची थी। सुखदा 26187 ने अपने विरोधी जनसंधी भुवनेश भूषण शर्मा 15720 को पराजित किया। भले ही सुखदा 1980 मे लोकसभा के चुनाव मे हार गई हों लेकिन कांग्रेस उन पर विधानसभा चुनाव के लिये अपना भरोसा लगातार जताती रही है। इसी कारण 1986 में नारायण दत्त तिवारी सरकार में उर्जा मंत्री बनने मे सफल रही लेकिन 1989 में जनता दल की लहर में सुखदा ने पाला बदल कर चुनाव लड़ा तो फिर जीत हासिल करके मुलायम सरकार मे नगर विकास मंत्रालय हासिल कर लिया।
फिर 1996 में भाजपा लहर में लोकसभा में जाने के लिये उतरी सुखदा को 171282 वोट लेकिन समाजवादी पार्टी के रामसिंह शाक्य से 182015 मतों के मुकाबले पराजय हासिल हुई। इस चुनाव में कुल 35 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। सुखदा मिश्रा 1999 के चुनाव में एक बार फिर से भाजपा के प्रत्याशी के रूप मे आईं। इस बार उनकी किस्मत ने साथ दिया और 259980 के रूप में मिले जनमत ने उनको संसद मे जाने का रास्ता खोल दिया। इस तरह से इटावा के खाते में पहली बार किसी महिला के संसद में जाने का रास्ता साफ हो गया। इस चुनाव मे सुखदा मिश्रा के साथ ही संसदीय चुनाव में किस्मत आजमाने के लिये रामोदवी नाम की एक निर्दल प्रत्याशी भी उतरीं, उनके खाते में 7526 मत आये। इस चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। 1999 के चुनाव में भाजपा से जहां मौजूदा सांसद सुखदा मिश्रा मैदान में थीं तो काग्रेंस से सरिता भदौरिया और निर्दल रामादेवी भी चुनाव मैदान में आई। इस चुनाव में सपा के रघुराज सिंह शाक्य को मिली कामयाबी। इस चुनाव में सुखदा को 144526,सरिता को 51868 और रामादेवी को 1240 वोट हासिल हुए। 2004 मे भाजपा से सरिता भदौरिया को टिकट दिया गया उनको मिले 177632 वोट सरिता के साथ थी कुसमा देवी जिन्होंने अजमाई निर्दल की भूमिका लेकिन 1682 वोट पाकर किया संतोष। 2009 के संसदीय चुनाव में सिर्फ दो महिला प्रत्याशी ही उतरीं। इनमे सें एक थीं कमलेश कठेरिया और दूसरी निर्दल थी शर्मिला। कमलेश के खाते मे 105652 और शर्मिला के खाते मे आये 2009 वोट।
आज भले ही भारतीय जनता पार्टी ने सरिता भदौरिया को प्रदेश उपाध्यक्ष की कमान सौंप दी हो लेकिन उसके बावजूद भी महिलाओं की सही मौजूदगी भाजपा के लिये मुलायम गढ़ में नहीं दिखती है। वैसे मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई राजपाल सिंह यादव की पत्नी प्रेमलता यादव लगातार दूसरी बार से जिला पंचायत अध्यक्ष बनी हुई हैं लेकिन इनके पास पार्टी का कोई पद नहीं है।
सुखदा मिश्रा ने कांग्रेस,जद,सजपा,सपा,भाजपा और बसपा होते हुए कुछ दिन पहले बसपा से इस्तीफे देते हुए तमाम आरोप मढ़ डाले लेकिन अब इस तरह के सवाल खडे हो चले हैं कि सुखदा किस दल की सेवा की करेंगी। कुछ इसी तरह के सवाल राजनैतिक हलकों में तैर रहे हैं, लेकिन पता ऐसा चल रहा है कि सत्तासुख हासिल करने के लिये सुखदा मिश्रा समाजवादी पार्टी की मदद कर सकती हैं।
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क


