सपा की राजनीति के रीढ़ की हड्डी के माफिक हैं शिवपाल सिंह यादव
सपा की राजनीति के रीढ़ की हड्डी के माफिक हैं शिवपाल सिंह यादव
Shivpal Singh Yadav is the backbone of SP politics
शिवपाल सिंह यादव की जीवनी हिंदी में (Shivpal Singh Yadav biography in Hindi)
पत्रकारिता जगत ने कार्यवाही मंत्री की उपाधि से नवाजा है शिवपाल सिंह यादव को
उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा के सैफई गांव में माता श्रीमती मूर्तिदेवी और पिता श्री सुधर सिंह के पुत्र के रूप में वर्ष 1955 में बसंत पंचमी के दिन जन्म लेने वाले शिवपाल सिंह यादव आज राजनैतिक परिवेश में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
डॉ. लोहिया के संकल्पों, सिद्धांतों की ध्वज पताका थामकर अपना राजनैतिक जीवन संघर्ष की राह पर अग्रसरित करते रहने वाले समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के अनुज शिवपाल सिंह यादव अपने अब तक के राजनैतिक सामाजिक जीवन में एक मिलनसार व कर्मयोगी के रूप में साबित हुए हैं।
यह सर्वविदित है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी राजनैतिक मुकामों को जोखिम उठा उठाकर अपने व अपने साथियों के संघर्षों व अन्याय में खिलाफ लड़ते हुए हासिल किया है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के अनुज शिवपाल सिंह यादव ने एक आज्ञाकारी व निष्ठावान कार्यकर्ता की तरह समाजवादी पार्टी के संगठन विस्तार में अपना योगदान दिया है।
जनतादल व सपा के गठन के दौरान से ही मुलायम सिंह यादव की ढाल बनकर, उनकी गैर मौजूदगी में उनकी छाया बनकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जन से जुगल संवाद स्थापित रखने वाले शिवपाल सिंह यादव के चेहरे पर तैरती मुस्कान और उनके प्रेमपूर्वक मिलने का अंदाज मिलने आये आगंतुकों का दुख हरने का कार्य करते रहे हैं। ना सिर्फ लोगों से मिलना बल्कि उनके द्वारा दिये गये प्रार्थनापत्रों पर तत्काल यथायोग्य समुचित कार्यवाही करने में कोई हिचक नहीं दिखाने के विशेष गुण के कारण है।
पत्रकारिता जगत ने इनको कार्यवाही मंत्री की उपाधि से नवाजा है।
अतीत पर दृष्टि डालने पर पता चलता है कि राजनीति में इस मुकाम पर पहुंचने वाले शिवपाल यादव अपने बचपन से ही सामाजिक व राजनैतिक गतिविधियों में दिलचस्पी रखते थे। काल सम्मेलन, रामलीला का आयोजन हो या वरिष्ठ समाजवादियों की जनसभा का आयोजन मुलायम सिंह यादव अपने अनुज शिवपाल यादव के कंधों पर जिम्मेदारी देकर निश्चिंत हो जाते थे।
मुलायम सिंह की संघर्ष की राजनीति में हर कदम उनके पीछे चलने वाले शिवपाल सिंह यादव इटावा सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद पर 1988 से 1991 तक रहे।
1993 में हुए दोबारा चुनाव में भी वो जिला सहाकारी बैंक इटावा के अध्यक्ष चुने गये।
इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष का दायित्व 1995-96 में निभाया तथा 1994 से लेकर 1998 तक उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन किया।
जसवंतनगर की विधानसभा सीट से तेरहवीं विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरे और भारी मतों से जनता का आर्शीवादरूपी मत अर्जित कर विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। निर्वाचित जनप्रतिनिधि दायित्व के साथ-साथ सपा के प्रदेश महासचिव पद की जिम्मेदारी भी आपको दी गयी जिसको बखूबी निभाने के लिए शिवपाल यादव ने पूरे प्रदेश का सघन भ्रमण दौरा किया और सपा की लोकप्रियता बढ़ाने का कार्य किया।
यह वह वक्त था जब रामशरण दास जी प्रदेश के अध्यक्ष थे। कालांतर में रामशरण दास जी का स्वास्थ्य अत्यधिक बिगड़ा जिसके कारण मेरठ अधिवेशन 1 नवम्बर 2007 को शिवपाल यादव को कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी।
6 जनवरी, 2009 को वरिष्ठ समाजवादी नेता रामशरण दास जी के देहांत के पश्चात शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष की महती जिम्मेदारी मिली और शिवपाल यादव ने सपा संगठन में कार्यकर्ता को प्रमुखता देने की परिपाटी को तरजीह देते हुए संगठन को धार दिया।
इस दौरान हुए चुनावों में सपा मुख्य विपक्षी दल बन गयी।
मई 2009 तक सपा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व निभाने के बाद शिवपाल यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी संभाली। बसपा मुखिया मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी का पूरी ईमानदारी से निर्वाहन शिवपाल यादव ने विधान सभा के गलियारों में, सदन की बैठकों में किया।
जनता की पीड़ा को सदन में उठाकर, जनता की आवाज को सत्ता के कानों में गुंजाने का कार्य करने के साथ-साथ सड़क पर संघर्ष को तेज करके आमजन को जोड़ने का कार्य शिवपाल यादव ने सपा मुखिया के कुशल निर्देशन में किया। आजम खान की पार्टी में वापसी पर शिवपाल यादव ने राजनैतिक विनम्रता का उदाहरण पेश करते हुए नेता विरोधी दल से त्यागपत्र देकर आजम खान को जिम्मेदारी सौंप दिया। सोचने व करने का जीवंत उदाहरण पेश करते हुए शिवपाल सिंह यादव ने राजनैतिक ईमानदारी-नैतिकता की मिसाल कायम की थी।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के अनुज शिवपाल सिंह यादव-काबीना मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार इस सरकार के एकमात्र मंत्री हैं। जिनके कार्य व व्यवहार प्रशंसनीय है व जनता-कार्यकर्ताओं में इनका संवाद बेहतर है। मुलायम सिंह यादव के अनुज ही नहीं वरन समाजवाद के एक सच्चे सेनानी की तरह शिवपाल सिंह यादव ने जनहित के लिए संघर्षों की व्यापक श्रृंखला खड़ी की है। यह बात अलग है कि शिवपाल सिंह यादव ने कभी भी अपने व्यक्तिगत आभामण्डल का प्रचार-प्रसार नहीं किया और न ही किसी से कराया है।
अपने अग्रज व नेता के प्रत्येक आदेश का उन्होंने पालन किया और कभी भी अपनी व्यक्तिगत राजनैतिक इच्छापूर्ति के लिए कोई भी दबाव नहीं बनाया। मेरी समझ से दबाव बनाना तो बड़ों की आदर की बात है अपने अग्रज व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से कोई भी राजनैतिक इच्छा से इन्होंने प्रकट ही नहीं किया है।
सपा मुखिया और सपा की राजनीति के रीढ़ की हड्डी के माफिक हैं शिवपाल सिंह यादव।
सुदुर गांवों से लेकर शहर कस्बों में सपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बाद लोकप्रियता में दूसरा नाम शिवपाल शिह यादव का ही है।
कार्यप्रणाली में संजीदे, सबसे मुस्कुराते हुए मिलने वाले शिवपाल सिंह यादव की छवि में गुणोत्तर निखार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में आया है। सरकार पर, उसके तमाम मंत्रियों पर भ्रष्टाचार आरोप लगे, नाराजगी हुई परन्तु शिवपाल यादव की छवि में निखार बरकरार रहा जो आज की तारीख तक बदस्तूर जारी है। विदेशी दौरों के सफलतापूर्वक अंजाम के साथ-साथ शिवपाल सिंह यादव उ.प्र. के ग्रामीण इलाकों सहित देश के कई अन्य प्रांतों में भी जनसम्पर्क व सभा करते रहते हैं।
ग्रामीण जनता, सपा के पुराने जमीनी समर्पित कार्यकर्ताओं के बीच गहरी मजबूत पैठ रखने वाले शिवपाल सिंह यादव के रिश्ते साहित्यकारों, लेखकों व पत्रकारों से भी घनिष्ठ हैं और हो भी क्यों ना? व्यस्ततम राजनैतिक-सामाजिक दायित्वों व गतिविधियों के बीच शिवपाल सिंह यादव स्वयं अपनी अभिव्यक्ति कलम के माध्यम से बराबर करते रहते हैं। क्रांतिकारियों, वरिष्ठ समाजवादियों के जीवन संघर्ष पर सम सामयिक विषयों पर आपके लिखे तमाम लेख विभिन्न समाचार पत्रों में सम्पादकीय पृष्ठ पर स्थान पा चुके हैं।
समाजवादी साहित्य का प्रकाशन और उसका वितरण कराने जैसा महत्वपूर्ण कार्य भी शिवपाल सिंह यादव करते रहते हैं।
एक मंत्री के साथ में अपने अधीन विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश लागने के साथ-साथ विकास कार्य को सम्पादित कराने में सफल सिद्ध हो चुके शिवपाल सिंह यादव अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण एक सहृदय इंसान, समाजवादी चिंतक व लेखक के रूप में भी स्थापित हो चुके हैं।
अरविन्द विद्रोही
अरविन्द विद्रोही, लेखक स्वतंत्र पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता हैं।


