सपा को महँगा पड़ेगा अबू आसिम का पुतला फूँकने वालों पर मुकदमा लादना!
सपा को महँगा पड़ेगा अबू आसिम का पुतला फूँकने वालों पर मुकदमा लादना!
रिहाई मंच के मसीहुद्दीन संजरी ने अनिश्चित कालीन धरने के बारहवें दिन शुरु किया क्रमिक उपवास
लखनऊ 2 जून। क्या भाजपा नेता वरुण गाँधी से मुकदमे में साँठ-गाँठ के आरोप के बाद अब उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार ने भाजपा से मिलीबगत के अपने पत्ते खोल दिये हैं? आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये आन्दोलनरत रिहाई मंच के आरोपों की रोशनी में तो यही लगता है। एक तरफ तो सरकार ने मौलाना खालिद मुजाहिद हत्याकाण्ड में सीबीआई को सही प्रोफार्मा में जाँच के कागज ही नहीं भेजे और स्वयं मुख्यमन्त्री अखिलेश सिंह दोषी पुलिसकर्मियों के बचाव में उतर आये और कहने लगे कि खालिद की मौत बीमारी से हुयी। सरकार के इस रुख से सूबे का मुस्लिम खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है।
मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुये तत्काल कार्यवाई करने व आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों की रिहाई की माँग को लेकर रिहाई मंच ने अनिश्चित कालीन धरने के बारहवें दिन से क्रमिक उपवास शुरु कर दी।
रिहाई मंच ने कहा कि सरकार तोगड़िया और वरुण पर मुकदमा दायर करने की हिम्मत नहीं रखती और अबू आसिम आजमी का पुतला फूँकने वालों पर मुकदमा दर्ज करती है जिससे सपा का मुस्लिम विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। अनिश्चित कालीन धरने के बारहवें दिन क्रमिक उपवास शुरू करते हुये रिहाई मंच आजमगढ़ जोन के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा मौलाना खालिद के हत्या के बाद जिस तरह से मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने दोषी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने के बजाय हत्या का कारण बीमारी बताने की हर सम्भव कोशिश की है और सीबीआई को वाँछित दस्तावेज न देकर साफगोई से गुमराह करने का काम किया है। प्रदेश सरकार कभी सपा के मुस्लिम नेताओं तो कभी सरकारी उलेमाओं को मैदान में उतारकर खालिद की मौत पर राजनीति कर बेकसूरों की रिहाई के मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग में रँगने की पुरजोर कोशिश कर रही है। सरकार के इस रवैये से मुस्लिम समाज ठगा महसूस कर रहा है, ऐसे में रिहाई मंच ने एलान किया है कि आज से जारी अनिश्चित कालीन धरना क्रमिक उपवास में तब्दील हो गया है।
वक्ताओं ने आजमगढ़ में अबू आसिम आजमी का पुतला फूँकने वालों पर सरकार द्वारा मुकदमा दर्ज करने की कड़ी निन्दा करते हुये कहा कि इस घटना से स्पष्ट हो गया है कि सपा हुकूमत खालिद के इंसाफ के लिये जगह-जगह चल रहे आन्दोलन से भयभीत हो गयी है और इस कुंठा में वह लोगों पर जान-बूझ कर मुकदमे लाद रही है लेकिन इसका खामियाजा उसे 2014 में भुगतना पड़ेगा।
रिहाई मंच के नेता व अवामी काउन्सिल के महासचिव असद हयात ने कहा कि सरकार द्वारा वरुण गांधी के विरुद्ध हमारी अपील का विरोध किया जा रहा है, यह सपा और साम्प्रदायिक ताकतों की मिलीभगत का प्रमाण है और यह बात इस साक्ष्य से भी बलवती होती है कि 23 जुलाई 2012 को ग्राम अस्थान जनपद प्रतापगढ़ में प्रवीण तोगड़िया की मौजूदगी में दँगाइयों ने मुसलमानों के घरों को लूटा और जलाया था परन्तु पुलिस द्वारा प्रवीण तोगड़िया के विरुद्ध मुकदमा अन्तर्गत धारा 153 ए, 295ए आईपीसी कायम नहीं किया गया और विवेचक द्वारा यह धाँधली की गयी कि नामवर सिंह दरोगा द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमा नम्बर 95 सन 12 की विवेचना से धारा 147, 148, 149 निकाल दी गयी। पीड़ित तारिक की रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की गयी और बेकसूर नौजवान मुस्लिम युवकों पर गैंगेस्टर लगा दिया गया। इसी प्रकार फैजाबाद, कोसी कलां और अंबेडकर नगर में भी साम्प्रदायिक दंगाई खुले घूम रहे हैं जो सरकार की साम्प्रदायिक जेहनियत को उजागर करती है कि दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने की उसकी कोई इच्छा शक्ति नहीं है।
आजमगढ़ के मोहम्मद हबीब (जो अहमदाबाद की साबरमती जेल में बन्द हैं) के भाई अबू आमिर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री को सम्बोधित ज्ञापन अनिश्चित कालीन धरने के माध्यम से दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अखिलेश यादव से 2012 के विधान सभा चुनाव में आजमगढ़ के सेन्टरवा बाजार में मुलाकात की थी, जहाँ अखिलेश यादव ने उनसे वादा किया कि अगर वो सरकार में आते हैं तो उनके भाई की रिहाई के लिये जरूर प्रयास करेंगे। लेकिन एक साल बाद जब यूपी सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया और हमारे भाई समेत आजमगढ़ के 7-8 बच्चों को सुरंग प्रकरण में फँसा कर अंडा सेल में रखकर गम्भीर यातनाएं दी जा रहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव से चाहता हूँ कि इस मामले में वो हस्तक्षेप करें और जिससे हमारे बेगुनाह लड़कों की रिहाई सुनिश्चित हो सके।“
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि कल तेरहवें दिन के धरने में शिरकत करने के लिये दिल्ली से मानवाधिकार संगठन एपीसीआर के एखलाख अहमद, अबू बकर और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान शिरकत करेंगे। कल के धरने में एक साल पहले सपा हुकूमत में सीतापुर से के कुतुबपुर बिस्वा से उठाये गये शकील के परिजन भी मौजूद रहेंगे। आज धरने को ऑल इंडिया पिछड़ा जनसमाज पार्टी और आजमगढ़ की संजरपुर संघर्ष समिति ने समर्थन दिया।
धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुएब, रिहाई मंच के महासचिव व पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, पूर्व सांसद इलियास आजमी, रिहाई मंच के इलाहाबाद जोन के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, तारिक शफीक, आरिफ नसीम, स्मार्ट पार्टी के हाजी फहीम सिद्की, कमर इरशाद, शहजादे मंसूर, सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, मौलाना कमर सीतापुरी, मुस्लिम मोर्चा के अबू जर, नेशनल लीग के राम सिंह यादव, मुस्लिम फोरम के आफताब अहमद, मसीउद्ीन खान, ऑल इंडिया पिछड़ा जनसमाज पार्टी के मो0 हुसैन खान, मो0 अबरारुल हसन सिद्की, मो0 रमजान, सैयद मोईद अहमद, इशहाक, लक्ष्मण प्रसाद, डा0 अनवारुल हक लारी, कानपुर से शहीम और अनवार अहमद, कोलकाता से सैयद जीमल, आजमगढ़ से आदिल सिद्किी, मो0 फहीम, कारी जुबैर अहमद, बराबंकी से मो0 एखलाख अहमद एडवोकेट, मो0 रमजान नदवी, मो0 अबरारुल हसन नदवी, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने सम्बोधित किया।
आजमगढ़ के मोहम्मद हबीब (जो अहमदाबाद की साबरमती जेल में बन्द हैं) के भाई अबू आमिर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री को सम्बोधित ज्ञापन
प्रति,
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार
विषय- साबरमती जेल में उत्पीड़न और फर्जी मुकदमें कायम किये जाने के सम्बंध में।
महोदय,
आपने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आतंकवादी घटनाओं में फँसाये गये बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को रिहा करने का वादा किया था। आजमगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के युवजन सभा के अध्यक्ष नफीस अहमद के साथ आपसे मेरी मुलाकात हुयी थी। मैंने अपने भाई मुहम्मद हबीब और आजमगढ़ के अन्य मुस्लिम नौजवानों को अहमदाबाद धमाके में फँसाये जाने का उल्लेख किया था। आपने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि सपा सरकार बनी तो उत्तर प्रदेश के जिन लड़कों को अन्य राज्यों में फर्जी मुल्जिम बनाया गया है उनको रिहा कराने का भी हम हर सम्भव प्रयास करेंगे।
महोदय एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद इस संबन्ध में कुछ नहीं हुआ। बल्कि 11 फरवरी 2013 को साबरमती जेल में प्रशासन ने इन बेकसूरों पर जेल में सुरंग खोदने का झूठा आरोप लगा दिया। पहले यह कहा गया कि सुरंग की लंबाई 18 फीट है और 20 दिन जाते-जाते सुरंग की लंबाई 220 फीट बतायी जाने लगी। इन युवकों पर हास्यास्पद आरोप लगाया गया कि चम्मच, कलम, दातून, थाली और लुंगी से यह सुरंग खोदी गयी। यह आरोप तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर मात्र हास्यास्पद ही नहीं है बल्कि असम्भव भी हैं। 220 फीट लंबी सुरंग की मिट्टी कहाँ गयी, मात्र एक तरफ से खुली इतनी लम्बी सुरंग में ऑक्सीजन की आपूर्ति भी मुमकिन नहीं हो सकती। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि हाई सेक्योरिटी जेल में 24 घंटे पहरे के बीच यह कैसे सम्भव हो सकता है।
महोदय, सुरंग की इस घटना के नाम पर हमारे बच्चों को अंडा सेल में डाल दिया गया है। क्राइम ब्रांच और एटीएस के लोगों ने रिमाण्ड लेकर यातनाएं दीं, बगैर रोक-टोक खुफिया विभाग और विशेष बल के लोग जेल में जाकर शारीरिक और मानसिक यातनाएं देते हैं। इन युवकों पर जेल में विस्फोटक लाकर धमाका करने की साजिश रचने का आरोप लगा कर ऐसी धाराओं में मुकदमा कायम कर दिया गया है जिससे उन्हें फाँसी के तख्ते तक पहुँचा दिया जाये। परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कुछ न किये जाने पर हमें दुख है। जिस तरह से यातनाओं का दौर साबरमती जेल में चल रहा है उसमें कभी भी जेल में हमारे बेगुनाह भाई समेत अन्य युवकों की हत्या की जा सकती है। ऐसे में हम आपसे माँग करते हैं कि इस गम्भीर मामले में आप तत्काल हस्तक्षेप करें, जैसा कि आपने हमसे चुनाव के वक्त वायदा भी किया था। हम इस ज्ञापन के माध्यम से आपको वो वादा याद दिलाते हुये आशा करते हैं कि आपकी सरकार इस विषय पर उचित कदम उठायेगी।
दिनांक- 2 जून 2013
द्वारा-
अबू आमिर
पुत्र- अबुल जैश
ग्राम व पोस्ट- बारी खास
जनपद- आजमगढ़ उत्तर प्रदेश


