समता विचार केंद्र शुरू
समता विचार केंद्र शुरू
लखनऊ। करीब 30 साल बाद आज लखनऊ में फिर से समता विचार केंद्र शुरू हुआ। जगह की वजह से सिर्फ पंद्रह लोग आमंत्रित थे जिसमें आधे नौजवान थे। नदी जोड़ो योजना पर वीके जोशी का आख्यान हुआ तो राजीव ने तीस साल पहले के विचार केंद्र का सक्षिप्त इतिहास बताया। पहली बैठक में निजी हैसियत में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और मंत्री राजेंद्र चौधरी, समाजवादी मधुकर, दीपक मिश्र, राजीव हेम केशव, दलितों पर काम करने वाले अरविन्द, भाकपा माले की ताहिरा हसन, आलोक, वीके जोशी और आशुतोष आदि प्रमुख थे।
विचार केंद्र के संयोजक अंबरीश कुमार के मुताबिक आगे से हर रविवार शाम चार बजे यह विचार केंद्र रायल होटल में चलेगा। यह एक अस्थाई व्यवस्था है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के अब तीस- पैतीस लोगों आमंत्रित किया जाएगा जिसमें ज्यादा जोर नौजवानों पर होगा। पहली बैठक में यह विचार आया है कि समता और समाजवादी मूल्यों को लेकर करीब साल भर चर्चा हो जिसे रिकार्ड किया जाए।
इस बारे में डा सुनीलम का विचार है कि पहले रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों से समाजवादी वामपंथी विचारकों और कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया जाए जबकि बाकि तीन रविवार स्थानीय वक्ता हो।
अंबरीश कुमार ने बताया कि विचार केंद्र पर कई प्रतिक्रियाएं आई हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डा प्रमोद कुमार ने कहा है- चूँकि पिछले 16 महीनों से शहीद स्मारक व स्वतंत्रता संग्राम शोध केन्द्र, पुराना किला, दुर्गा भाभी के स्कूल परिसर में, प्रत्येक शनिवार को अपरान्ह 3 से 5 बजे तक कुछ साथी एक विचार केन्द्र निरंतरता पूर्वक चला रहे हैं, रविवार को इस प्रस्तावित विचार केन्द्र में आना संभव नही हो पायेगा, लेकिन यह एक अच्छा प्रयास है। ऐसे विचार केंद्रों से ही भारत का भला हो सकता है। आज पूरा देश एक ज्ञान विरोधी समाज बन चुका है। सभी बदलाव चाहते हैं लेकिन बदलाव क्या हो इसकी बात कोई नही करता है। अंबरीश जी बधाई के पात्र हैं। ये हो सकता है कि यह दोनों विचार केन्द्र कुछ-कुछ समय के अंतराल पर अपने-अपने निर्णयों पर चर्चा के लिए मिलते रहें।
हिन्दुस्तान के पूर्व संपादक प्रमोद जोशी ने कहा- अच्छा विचार है। राजीव एक ज़माने से एक पत्रिका निकालने की बात करते रहे हैं। विचार केंद्रित पत्रिका की योजना बनानी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने इसे अच्छी शुरुआत बताया है।
आजतक के पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा बहुत अच्छा लगा ये जानकर। क्या लखनऊ से बाहर रह रहे लेकिन उस परंपरा में रचे बसे हम जैसे लोग इसमें किसी तरह की शिरकत कर सकते हैं, कृपया बताये। चंद्र दत्त तिवारी जी के बारे में अरुण त्रिपाठी के संस्मरण ने अचानक बहुत भावुक कर दिया। क्या कहूं, लगा जैसे एक पल में बीते उन तमाम बरसों की रील फुर्र से आँखों के आगे घूम गई।
पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस ने बताया कि तिवारी जी के बाद विचार केंद्र काफी दिनों तक राजीव के हलवासिया स्थित दफ्तर में हर रविवार को चलता रहा था। भाई देवेंद्र, मसूद, राजेंद्र तिवारी, रमन पंत, मरहूम अनूप जी, मैं, कपिलदेव आनंद वगैरा इसके नियमित हिस्से हुआ करते थे।


