सम्पूर्ण भारत के डॉक्टरों ने लिया स्वच्छ वायु के लिये संघर्ष करने का संकल्प
सम्पूर्ण भारत के डॉक्टरों ने लिया स्वच्छ वायु के लिये संघर्ष करने का संकल्प
Doctors from all over India took a pledge to fight for clean air
नयी दिल्ली, 4 दिसम्बर। लंग केयर फाउंडेशन (Lung Care Foundation) ने हेल्थ केयर विद आउट हार्म (health care without harm) के सहयोग से आज ‘डाक्टर्स फार क्लीन एयर’ (doctors for clean air - डीएफसीए) अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के तहत देश भर के 50 से ज्यादा वरिष्ठ चिकित्सकों को एक साथ लाकर यह प्रतिज्ञा दिलाई गई कि वे वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता (Awareness about the ill effects of air pollution) फैलाकर हवा को साफ रखने के बारे में जागरूकता फैलाएंगे। साथ ही वे आम नागरिकों और सरकार से हवा को स्वच्छ रखने के मोर्चे पर एकजुट होकर काम करने का आग्रह भी करेंगे।
डीएफसीए का उद्देश्य देश के हर राज्य में चिकित्सकों का एक मंच तैयार करने का है। भारत के 12 प्रमुख नेशनल मेडिकल एसोसिएशन (करीब डेढ़ लाख पेशेवर चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाले) ने भारत में हर व्यक्ति को स्वच्छ हवा उपलब्ध कराने की मुहिम में योगदान देने का संकल्प लिया है। इनमें एसोसिएशन आफ सर्जंस इन इंडिया, एसोसिएशन आफ फिजीशियंस आफ इंडिया, इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स, द फेडरेशन आफ ओब्टेट्रिक एण्ड गायनाकोलाजिकल सोसाइटीज आफ इण्डिया, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज आफ चेस्ट फिजीशियंस, द कार्डियोलाजिकल सोसाइटी आफ इण्डिया, इंडियन रेडियोलाजिकल एण्ड इमेजिंग एसोसिएशन, इंडियन एकेडमी आफ न्यूरोलाजी, इंडियन सोसाइटी आफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन, इंडियन सोसाइटी आफ एनेस्थीसियोलाजिस्ट्स, नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट और इंक्लेन ट्रस्ट इंटरनेशनल शामिल हैं।
हाल में जारी लांसेट काउंट डाउन रिपोर्ट में किए गए दावे के मुताबिक भारत में करीब पांच लाख लोगों की मौत परिवेशीय वायु प्रदूषण की वजह से होती है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि दुनिया की 91 प्रतिशत आबादी ऐसे इलाकों में रहती है जहां वायु की गुणवत्ता खराब है। इनमें से ज्यादातर देश विकासशील या अल्पविकसित हैं। डब्ल्यूएचओ की रैंकिंग के मुताबिक दुनिया के 14 सबसे प्रदूषित शहर भारत में हैं, जो स्थिति की गंभीरता की तस्वीर को बिल्कुल साफ कर देता है।
लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक और मैनेजिंग ट्रस्टी डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा कि
‘‘वायु प्रदूषण एक ऐसा बड़ा मसला है, जो करोड़ों भारतीयों पर बुरा असर डाल रहा है। अब समय आ गया है कि चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवर लोग वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विध्वंसकारी प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अपनी आवाज उठाएं और अपने मरीजों से इस बारे में बात करें। डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एक ऐतिहासिक कदम है जिसमें श्वास रोगों के वरिष्ठ विशेषज्ञ सर्जनों और बाल रोग विशेषज्ञ समेत देश के डेढ़ लाख से ज्यादा डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली 12 प्रमुख मेडिकल एसोसिएशन ने 130 करोड़ भारतीयों को स्वच्छ वायु उपलब्ध कराने की आवाज को बुलंद करने में योगदान देने का संकल्प लिया है। मुझे विश्वास है कि यह कदम सभी को स्वच्छ वायु उपलब्ध कराने की दिशा में कामयाबी हासिल करेगा।’’
पोलैंड के क्योटोविच में कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी24) में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के मसले पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। यह बातचीत पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले 195 देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन को लेकर किए जा रहे प्रयासों की गति बनाए रखने के लिए जरूरी है, वहीं यह भारत जैसे देशों के लिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है जो जोखिम के मुहाने पर खड़ा है और जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम भुगत रहा है।
सीओपी24 में द्वितीय द्विवार्षिक अपडेट रिपोर्ट जारी होने की संभावना है। इस रिपोर्ट में भारत ने कहा है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर संकल्पित तीन में से दो सहयोग मोर्चों पर एनडीसी को मुकम्मल करने की राह पर है। वह प्रदूषणकारी तत्वों की सघनता में 2 प्रतिशत वार्षिक औसत सुधार को बरकरार रख रहा है और वर्ष 2019 के अंत तक भारत में पहली बार गैर जीवाश्म आधारित ईंधन की क्षमता में 40 प्रतिशत की वृद्धि होने जा रही है। जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल की विशेष रिपोर्ट ‘ग्लोबल वार्मिंग ऑफ 1.5 डिग्रीज’में यह चेतावनी दी गई है कि अगर वैश्विक तापमान को प्री इंडस्ट्रियल लेवल से डेढ़ डिग्री नीचे नहीं रखा गया तो जलवायु परिवर्तन के विध्वंसकारी परिणाम होंगे।
Paris climate pact is a global armor for human health
एवरी ब्रेथ मैटर्स की सह अध्यक्ष और ग्लोबल ऑप्टिमिज्म की संस्थापक साझीदार क्रिस्टियाना फिगरस ने कहा कि पैरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट मानव स्वास्थ्य के लिए एक वैश्विक कवच है। हर देश ने यह वादा किया है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने कि अपनी कोशिश के दौरान वह स्वास्थ्य के अधिकार का सम्मान करेगा, उसे बढ़ावा देगा और उसके प्रति अपनी वचनबद्धताओं का ख्याल करेंगे। वर्तमान समय में स्वास्थ्य से जुड़े ज्यादा से ज्यादा पेशेवर लोग स्वच्छ वायु की वकालत कर रहे हैं और नीति नियंताओं से आग्रह कर रहे हैं कि वह ऐसी नीतियां अपनाएं जो उनके लोगों के स्वास्थ्य में सुधार ला सकें और जलवायु परिवर्तन के असर को कम कर सकें। ‘डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर’ भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विध्वंसकारी प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा और नीति नियंताओं पर यह दबाव बढ़ाएगा कि वह हवा को साफ रखें, जलवायु परिवर्तन से प्रभावी तरीके से निपटें और हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा करें। स्वच्छ हवा एक मानवाधिकार है और हर सांस मायने रखती है।
संयुक्त राष्ट्र ने हाल में यह माना है कि वायु प्रदूषण गैर संचारी रोगों के लिए भी प्रमुख जिम्मेदार कारक है। यह भी माना गया है कि यह ऐसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार तंबाकू, अल्कोहल, स्वास्थ्य के लिहाज से नुकसानदेह भोजन और शारीरिक निष्क्रियता जैसे प्रमुख कारणों के साथ एक पर्यावरणीय जोखिम के तौर पर शामिल हो गया है। इससे यह भी साबित हो गया है कि खराब वायु और उसके कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव दरअसल एक वैश्विक महामारी बन चुके हैं। वायु की गुणवत्ता में गिरावट का सीधा असर दिल की बढ़ती बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर, सांस संबंधी रोगों, जैसे कि दमा और सीओपीडी से है। डीएसीए जैसे कदम केंद्रीय तथा राज्य स्तरीय नीति निर्धारकों और प्रशंसकों को वायु प्रदूषण के कारण राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य के मोर्चे पर उत्पन्न होने वाली समस्या की गंभीरता का बोध कराएंगे।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया पीएचएफआई के अध्यक्ष डॉक्टर के एस रेड्डी ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होने वाली अनेक बीमारियों के इलाज के बढ़ते बोझ का निरंतर सामना कर रहे डॉक्टरों को वायु प्रदूषण से निजात का ऊर्जावान पैरवीकार बनना होगा। चिकित्सक बिरादरी देश के नीति निर्धारकों और आम जनता को वायु प्रदूषण के कारण जन स्वास्थ्य पर आन पड़ी आपात स्थिति के बारे में बताने की सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है।
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के प्रोफेसर और पल्मनोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर परवेज कौल ने कहा कि भारत में वायु प्रदूषण से लोगों का संपर्क दुनिया में सबसे ज्यादा है। डिसेबिलिटी एडजेस्टेड लाइफ ईयर्स (डीएएलवाई) के मामले में वायु प्रदूषण दूसरा सबसे आम जोखिम कारक है जो हमारी आबादी के कुल डीएएलवाई में करीब 10 प्रतिशत का योगदान करता है। अगर हमने अभी इस दिशा में सुधारात्मक कदम नहीं उठाए तो हमारी अगली पीढ़ी विरासत में एक जहरीली और प्रदूषित धरती देने के लिये हमें कोसेगी। एक ऐसी धरती जहां सामान्य लोगों के लिए भी सांस लेना मुश्किल होगा, फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों की तो बात ही छोड़ दें। यह देश को जगाने वाली सदा है.... अभी नहीं तो कभी नहीं।
Air pollution is currently a serious problem throughout the world.
वरिष्ठ कंसलटेंट सर्जन और एसोसिएशन ऑफ सीजंस ऑफ इंडिया एएसआईके पूर्व अध्यक्ष डाक्टर एस. के. मिश्रा ने कहा कि ‘‘वायु प्रदूषण इस वक्त पूरी दुनिया में एक गंभीर समस्या बना हुआ है। खासकर बड़े शहरों में, क्योंकि वहां पर बहुत बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण हो रहा है। वायु प्रदूषण से हमारे बच्चों के विकास और स्वास्थ्य पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ रहे हैं। यहां तक कि इंसान मौत के मुंह में भी जा रहा है। इसके अलावा जानवर और अन्य जीव भी नुकसान सहन कर रहे हैं। डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर (Doctors for Clean Air) को मालूम है कि वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर कितने बुरे प्रभाव पड़ते हैं और यह संगठन वायु प्रदूषण के गंभीर प्रभावों के बारे में लोगों को संबोधित करने और प्रदूषण के खिलाफ जंग छेड़ने के संदेश का सर्वश्रेष्ठ दूत है।’’
पीआईएमएस-ऊषा लक्ष्मी सेंटर फॉर ब्रेस्ट डिसीसिस हैदराबाद के निदेशक और डॉक्टर बी. सी. रॉय तथा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित डाक्टर पी. रघुराम ने कहा कि वायु प्रदूषण भारत का सबसे अहम पर्यावरणीय जोखिम है जो देश में मानव स्वास्थ्य के लिए ना सिर्फ गंभीर खतरा है बल्कि यह एक हत्यारा भी है। प्रदूषण के जहरीले प्रभावों की वजह से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं और हर वर्ग के लोग इससे प्रभावित हैं। वायु प्रदूषण की वजह से दमा तथा सांस की अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों की समस्याएं बढ़ रही हैं। साथ ही इसकी वजह से फेफड़े के कैंसर दिल की बीमारी और पक्षाघात के मामलों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है। भारत सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह देश के गैर सरकारी संगठनों के साथ भागीदारी करके देश में वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने की दिशा में युद्ध स्तर पर काम करे। सरकार ज्यादा से ज्यादा पौधे लगवाए। खासतौर पर शहरों में, और उसमें इस काम में बड़े पैमाने पर नागरिक समुदायों को प्राथमिकता के आधार पर जोड़े। डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर लंग केयर फाउंडेशन का एक सराहनीय कदम है जिसका मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण जैसे ज्वलंत मुद्दे को चिकित्सक बिरादरी की मदद से आगे बढ़ाना है और मैं इस शानदार पैन इंडिया मिशन का हिस्सा होने पर गौरव की अनुभूति कर रहा हूं।
सर गंगा राम हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष और इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स के पूर्व अध्यक्ष डाक्टर अनुपम सचदेवा ने कहा कि
‘‘यह जग जाहिर है कि वायु प्रदूषण किसी को नहीं छोड़ता। भारत में दिन-ब-दिन प्रदूषण में बढ़ोतरी की वजह से स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं। हमने देखा है कि यह बुजुर्गों और बच्चों पर सबसे नाटकीय ढंग से प्रभाव डाल रहा है। खासतौर से बच्चों के लिए चिंता की बात है क्योंकि वह बहुत कम उम्र के हैं और उन्हें बहुत लंबा सफर तय करना है। हम सभी बच्चों पर बढ़ते हुए प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर बेहद चिंतित हैं।’’
उन्होंने कहा कि
‘‘हम इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स, डॉक्टरों के एक देशव्यापी नेटवर्क को तैयार करने के विचार का पूरी तरह समर्थन करते हैं क्योंकि डॉक्टर प्रदूषण के कारण बीमार होने वाले लोगों का इलाज करते हैं। हमें उम्मीद है कि इस अभियान के कारण बनने वाली नीतियां और की जाने वाली कार्रवाई से हम अपने आने वाली पीढ़ियों को साफ हवा का तोहफा दे सकेंगे।’’
लंग केयर फाउंडेशन के बारे में
लंग केयर फाउंडेशन एक पंजीकृत स्वैच्छिक संगठन है जो देश के 2 अरब 60 करोड़ फेफड़ों का ख्याल करने और उनका इलाज करने की दिशा में काम कर रहा है। उसकी योजना है कि वह इस लक्ष्य को जागरूकता, नैदानिक देखभाल, और अनुसंधान के जरिए प्राप्त करेगा।
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