सरकार ने स्वीकारी निमेष कमीशन की रिपोर्ट,
माय़ा के करीबी पुलिस अफसरों के जेल जाने का रास्ता साफ
अपनी बेगुनाही के सुबूत देखने से पहले ही दुनिया से चला गया खालिद मुजाहिद
कहाँ से आये पुलिस/ एसटीएफ के पास विस्फोटक
यह लड़ाई सिर्फ मुजाहिद की नहीं, बल्कि उनके जैसे तमाम बेकसूर मुस्लिम नौजवानों की है, जो झूठे मुकदमों में जेल में हैं-फलाही
लखनऊ/ दिल्ली। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की अपने बेटे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव को सरेआम झिड़की कि अगर वह मुख्यमन्त्री होते तो पन्द्रह दिन में यूपी की कानून व्यवस्था को सुधार देते के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने आतंकवादी मामलों के कथित आरोपी मदरसा शिक्षक खालिद मुजाहिद तथा हकीम तारिक कासमी की गिरफ्तारी की स्थितियों की जाँच के लिये गठित न्यायमूर्ति आर डी निमेष आयोग की रिपोर्ट को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। जबकि रिहाई मंच ने इसे धोखा बताते हुये कहा है कि निमेष कमीशन सिर्फ जारी करने के लिये नहीं दोषी पुलिस अधिकारियों को जेल भेजने के लिये बना था इसलिये विक्रम सिंह, बृजलाल, अमिताभ यश जैसे पुलिस अधिकारियों का बाहर घूमना देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिये खतरा है।

मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने मंत्रिपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न होने के बाद सम्वाददाताओं को बताया कि निमेष आयोग की रिपोर्ट को हमने कैबिनेट में स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार विधानमण्डल के आगामी मानसून सत्र में आयोग की रिपोर्ट को एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ पेश करेगी।बता दें कि राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जौनपुर निवासी मदरसा शिक्षक खालिद मुजाहिद और आजमगढ़ निवासी हकीम तारिक कासमी को 22 दिसम्बर 2007 की सुबह बाराबंकी रेलवे स्टेशन के बाहर से गिरफ्तार कर उनके पास से विस्फोटक बरामद होने का दावा किया था।

एसटीएफ ने दोनों को हरकत-उल-जेहाद-अल इस्लामी (हूजी) का आतंकवादी करार दिया था और 23 नवम्बर 2007 को वाराणसी, लखनऊ तथा फैजाबाद के कचहरी परिसरों में हुये सिलसिलेवार बम धमाकों में उनकी संलिप्तता का दावा किया था। इन विस्फोटों में कम से कम नौ लोग मारे गये थे।

इस गिरफ्तारी पर संदेह जाहिर किये जाने तथा इसकी न्यायिक जाँच की लगातार माँग पर सवालों में घिरी तत्कालीन मायावती सरकार ने 14 मार्च 2008 को आऱ डी़ निमेष आयोग का गठन किया था। उस समय आरोप लगे थे कि मायावती ने अपना सुरक्षा कवच बढ़वाने के लिये यह फर्जी गिरफ्तारियाँ करवायी थीं।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट पिछले साल 31 अगस्त को राज्य की मौजूदा अखिलेश यादव सरकार के सौंप दी थी। लेकिन सरकार इसे सार्वजनिक नहीं कर रही थी। समझा जाता है कि सपा सरकार मायावती के खास अफसरों से मुहब्बत के चलते ऐसा कर रही थी क्योंकि रिपोर्ट में खालिद और तारिक की गिरफ्तारी को फर्जी बताया गया है ऐसे में उनसे विस्फोटक सामग्री जप्त दिखाने वाले पुलिस अफसरों पर इन आतंकी वारदातों में शामिल होने का शक गहरा रहा है।

मुजाहिद की बीती 18 मई को पुलिस हिरासत में संदिग्ध हालात में मृत्यु के बाद आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की माँग तेज हो गयी थी। खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिये आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों की रिहाईके लिये संघर्षरत रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना जारी है।

मुलायम की बेटे को सलाह कि सख्ती बरतने में कोई कोताही न बरती जाये और लापरवाह अफसरों को अगर जेल भी भेजना पड़े, तो भेजिये, मगर लोगों को कानून का राज नजर आना चाहिये, को इस रिपोर्ट से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कयास लगाये जा रहे हैं कि मुलायम का यह बयान खालिद मुजाहिद की फर्जी गिरफ्तारी करने वाले और उसकी हत्या में संलिप्त पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी की भूमिका है।

उधर लखनऊ में मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की माँग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना चौदहवें दिन भी जारी रहा।

आज क्रमिक उपवास पर सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद आफाक और स्मार्ट पार्टी के हाजी फहीम सिद्दीकी बैठे।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने आज आधे-अधूरे मन से आरडी निमेष रिपोर्ट को सार्वजनिक किया वह बताता है कि सरकार इस रिपोर्ट को दबाये रखना चाहती थी क्योंकि जिस रिपोर्ट को रिहाई मंच के लोगों ने 18 मार्च 2013 को ही जारी कर दिया था उस पर सपा सरकार को आज यह बताना चाहिये था कि वो इस पर क्या एक्शन ले रही है और किन-किन दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जो उसने नहीं बताया जो सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है।

मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज जब निमेष कमीशन खालिद-तारिक की गिरफ्तारी को गलत बता चुका है तो ऐसे में सवाल उठता है कि जो डेढ़ किलो आरडीएक्स और जिलेटिन की छड़े एसटीएफ ने उनके पास से बरामद दिखायी थीं वह एसटीएफ को कहाँ से मिली थीं। यह सवाल तब और गम्भीर हो जाता है जब खालिद को लेकर इस गिरफ्तारी के दोषी अधिकारी तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह गौरवान्वित होकर बयान देते हैं कि खालिद आतंकवादी था और रहेगा। तब ऐसे में सवाल उठता है कि खाकी के भेष में आरडीएक्स रखने वाले इन राज्यद्रोही पुलिस अधिकारियों को सरकार क्यों नहीं जेल भेज रही है। क्योंकि निमेष कमीशन ने जिन दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कहीं है चाहे वो विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झां, अमिताभ यश, चिरंजिव नाथ सिन्हा, एस आनंद और आईबी के अधिकारी हों यह सब प्रदेश में उच्च पदों पर आज भी कैसे तैनात हैं, जो देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिये खतरा हैं। इन दोषी पुलिस आतंकियों को तत्काल गिरफ्तार कर देश को सुरक्षित करते हुए इनके वैश्विक आातंकी संगठनों के गठजोड़ की जाँच करायी जाय।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम, राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह तारिक-खालिद के मामले में निमेष जाँच आयोग ने गिरफ्तारियों पर सवाल उठाया है उससे यह जरुरी हो जाता है कि और भी ऐसी गिरफ्तारियों समेत उन तमाम आतंकवाद के मुकदमों की फिर से जाँच करायी जाये जिसमें पुलिस की बरामदगी के आधार पर ही सजायें तक हो चुकी हैं। साथ ही आतंकवाद के आरोप में बरी हो चुके और ऐसी ही झूठी पुलिसिया कहानियों पर जो सजायें काट रहे हैं उन मुकदमों की भी पुनर्विवेचना करायी जाय। रिहाई मंच ने कहा कि यह अनिश्चित कालीन धरना तब तक चलेगा जब तक कि खालिद के हत्यारे दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को जेल नहीं भेजा जाता।

पिछड़ा समाज महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुल हक मलिक ने कहा कि 27 दंगे और खालिद की हत्या से साफ हो गया है सपा को मुसलमानों और वचित पिछड़े तबकों की जरुरत सिर्फ वोट बैंक के बतौर है और सरकार अब ब्राह्मणों को खुश करने के लिये मनुवादी एजेण्डे पर चल रही है जिसका प्रमाण प्रमोशन मे आरक्षण का विरोध और ब्राहमणों पर दर्ज दलित उत्पीड़न के मुकदमे हटाने की घोषणा है।

अनिश्चित कालीन धरने को सम्बोधित करते हुये आजमगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने कहा कि सपा सरकार ने फरुखाबाद में 65 लोगों जो कि विश्व हिन्दू परिषद, विधार्थी परिषद, बीजेपी के थे, पर से मुकदमा हटाया है उससे साफ हो रहा है कि यह सरकार किसकी हिमायती है।

धरने के समर्थन में मुम्बई से आये लेखक आजम शहाब ने कहा कि वे मुम्बई से धरने में शामिल होने इसलिये आये हैं कि खालिद का सवाल सिर्फ यूपी का सवाल नहीं है बल्कि पूरे देश के मुसलमानों के समक्ष खुफिया एजेंसियों द्वारा खड़ा किये गये असुरक्षा का सवाल है।

धरने के समर्थन में गोण्डा से आये जुबैर खान ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या कराकर सपा हुकूमत ने अपनी उल्टी गिनती शुरु कर ली है, जिसका एहसास उसे 2014 के लोकसभा चुनाव में मुसलमान करा देगा।

धरने को मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, सदर जामा मस्जिद कमेटी उन्नाव जमीर अहमद खान, इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष मो0 समी, गोंडा से मुशीर खान, खतीबुल्ला, मो0 सुल्तान खान, फखरुद्दीन खान, आदियोग, रामकृष्ण, मुस्लिम फोरम के डॉ0 आफताब अहमद खां, कारी जुबैर अहमद, मुसन्ना, डॉ0 कमरुद्दीन कमर, कमर इरशाद, मुस्लिम संषर्ष मोर्चा के आफताब, अबू जर, आरिफ नसीम, इशहाक, भारतीय एकता पार्टी अध्यक्ष सैयद मोइद, स्मार्ट पार्टी शहजादे मंसूर, महशर अहमद खां, मौलाना कमर सीतापुरी, डा0 अली अहमहद कासमी, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने सम्बोधित किया।

उधर जौनपुर में खालिदमुजाहिद के चचा फलाही ने माँग की कि राज्य सरकार मुजाहिद की संदिग्ध हालत में मौत की जांच सिर्फ सीबीआई से कराये, राज्य पुलिस से नहीं क्योंकि पुलिस मामले से जुडे़ सुबूतों को नष्ट कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि राज्य पुलिस ने मुजाहिद की मौत की प्रारम्भिक जाँच शनिवार को शुरू कर दी है। फलाही ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मुजाहिद की नहीं, बल्कि उनके जैसे तमाम बेकसूर मुस्लिम नौजवानों की है, जो झूठे मुकदमों में जेल में हैं।