सर्वे से हुआ खुलासा, अच्छे दिनों में बढ़ गया भ्रष्टाचार, 12 फीसदी ज्यादा लोगों ने दी रिश्वत

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2018. पूरे देश में राफेल सौदे में अनियमितता को लेकर तूफान मचा हुआ है, लेकिन अब एक खुलासा हुआ है कि “बहुत हुआ भ्रष्टाचार अबकी बार मोदी सरकार” के नारे के साथ सत्ता में आई भाजपा के शासनकाल में पिछले एक वर्ष में 12 प्रतिशत ज्यादा लोगों ने रिश्वत दी।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया (Transparency International India) के साथ मिलकर लोकल सर्कल्स (Local Circles) ने देश में भ्रष्टाचार का स्तर (Corruption level in the country) और नागरिकों की इस बारे में राय जानने के लिए हाल ही में एक ऑनलाइन सर्वेक्षण (online survey) आयोजित किया। सर्वेक्षण के द्वारा एकत्रित आंकड़ों को ‘इंडिया करप्शन सर्वे 2018’ (India Corruption Survey 2018) नामक एक व्यापक रिपोर्ट में संकलित किया गया है।

लोकल सर्कल्स के मुताबिक यह सर्वेक्षण बिलकुल उपयुक्त समय पर किया गया है क्योंकि भारतीय संसद द्वारा नया भ्रष्टाचार निवारण (संशोधित) अधिनियम, 2018 (The Prevention of Corruption (Amendment) Act, 2018) पारित किया गया है और यह देश में भ्रष्टाचार विरोधी व्यवस्था को बदल कर रख देगा।

सर्वे एजेंसी के मुताबिक दुनिया भर में हुए अनगिनत अध्ययन बताते हैं कि किस तरह से भ्रष्टाचार निवेश में बाधा डालता है, व्यापार को सीमित करता है, आर्थिक विकास कम करता है और सरकारी व्यय से संबंधित तथ्यों और आंकड़ों को तोड़ता और मरोड़ता है।

भ्रष्टाचार का सबसे भयप्रद रूप वह है जो सामान्य नागरिकों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। विभिन्न अध्ययन, गरीबी और आय समानता के बढ़ते स्तर के साथ भ्रष्टाचार के स्तर के प्रत्यक्ष सहसंबंध की पुष्टि करते हैं।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्कल्स ने इस सर्वेक्षण के माध्यम से हाल में हुई घटनाओं पर भारतीय नागरिकों की राय एकत्रित करने की कोशिश की है जैसे आम आदमी के सामने आने वाली दैनिक भ्रष्टाचार की स्थिति और भ्रष्टाचार विरोधी कानून में हुए हालिया बदलावों के बारे में लोगों की धारणा।

इस सर्वेक्षण का केंद्रबिंदु, आम आदमी के दैनिक जीवन और बुनियादी जरूरतों को पूरा करते वक्त उनके सामने आने वाली मुश्किलों पर ध्यान केंद्रित करना था। लोकल सर्कल्स के मुताबिक,

”इसमें बड़े भ्रष्टाचारों के किसी भी पहलू को संबोधित नहीं किया गया है। हालांकि, हमारे सर्वेक्षण के परिणाम दिखाते हैं कि आम नागरिक भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दों के बारे में ज्यादा जागरूक होते जा रहे हैं जो निश्चित रूप से सकारात्मक संकेत है। इस नासूर से देश को बचाने के लिए कोई भी ठोस कदम तब तक नहीं उठाया जा सकता जब तक कि नागरिक अपने बुनियादी अधिकारों के विषय में और हमारे देश में फैलते भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों के विषय में जागरूक नहीं हो जाते।“

पिछले साल 45% नागरिकों ने रिश्वत दी इस साल 54% ने दी रिश्वत

पिछले साल भी ऐसा ही सर्वेक्षण आयोजित किया गया था तब के सर्वेक्षण के अनुसार, देश के 45% नागरिकों ने रिश्वत दी थी। लेकिन इस साल के सर्वेक्षण से, नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी जाने वाली रिश्वत की संख्या में निश्चित और सुस्पष्ट वृद्धि दिखाई दी है। नागरिकों का बढ़ा हुआ प्रतिशत 54% है।

राज्यों में भ्रष्टाचार-निरोधक हेल्पलाइन

सर्वेक्षण के अनुसार, 58% नागरिकों ने कहा कि उनके राज्यों में भ्रष्टाचार-निरोधक हेल्पलाइन नहीं है। जबकि 33% ने कहा कि उनके राज्य में ऐसी किसी हेल्पलाइन के होने के विषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इससे राज्यों की ओर से यह सुनिश्चित करने की इच्छाशक्ति में अभाव नजर आता है कि नागरिक भ्रष्टाचार के मुद्दों से अवगत हो और रिश्वत व भ्रष्टाचार की घटनाओं के बारे में रिपोर्ट करके भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई में शामिल हो।

बेअसर हुई नोटबंदी, रिश्वत का मुख्य माध्यम अभी भी नकदी

नोटबंदी करते समय प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि इससे काला धन पर लगाम लगेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि नकद अभी भी रिश्वत का मुख्य माध्यम है क्योंकि लगभग 39% लोगों ने रिश्वत नकद में दी जिसके बाद अभिकर्ताओं के माध्यम से 25% ने और वस्तु के रूप में 1% लोगों ने रिश्वत दी। पिछले साल नागरिकों द्वारा पुलिस अधिकारियों को सबसे ज्यादा रिश्वत दी गई (25%) जिसके बाद नगर निगम, संपत्ति पंजीकरण और अन्य अधिकारियों (बिजली विभाग, परिवहन कार्यालय, कर कार्यालय आदि) को दी गई।

एक ध्यान देने योग्य दिलचस्प बात यह है कि सरकारी कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण होने के बावजूद रिश्वत के मामले जारी है। हालांकि, सी.सी.टी.वी. कैमरों का स्थापन, अपराधियों के लिए रूकावट बन गया है क्योंकि केवल 13% सर्वेक्षित नागरिकों ने उन सरकारी कार्यालयों में रिश्वत दी है जहाँ सी.सी.टी.वी. लगे हुए थे।

तेजी से बढ़ा है रिश्वत देने का चलन

इस सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि रिश्वत देने का चलन इतनी तेजी से इसलिए बढ़ा है क्योंकि लोग अपना समय और ऊर्जा बर्बाद किए बिना आसानी से अपना काम कराना चाहते हैं। राज्यों की ओर से इच्छा और पहल की कमी भी सामने आई है क्योंकि केवल 34% ने कहा कि राज्य ने भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं लेकिन यह कदम प्रभावी नहीं थे।

प्रभावी नहीं होगा नया भ्रष्टाचार निरोधक कानून

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्कल्स ने अपने सर्वेक्षण के द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक कानून में हाल ही में हुए बदलावों के बारे भारतीय नागरिकों की राय लेने की कोशिश की है। चूंकि, कानून के हिसाब से रिश्वत देना अपराध है और इसके लिए 7 वर्ष का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं लेकिन इसके बावजूद यह बात बहुत चौंकाने वाली थी कि 23% ने यह स्वीकार किया कि अपना काम करवाने के लिए वह रिश्वत देना जारी रखेंगे क्योंकि उन्हें शंका है कि यह कानून प्रभावशील होगा। इसका अर्थ यह है कि नागरिकों को लगता है कि नए भ्रष्टाचार निरोधक कानून का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

लोगों के उत्पीड़न को बढ़ा देगा नया भ्रष्टाचार निरोधक कानून

लगभग 63% को लगता है कि नया संशोधित कानून, सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा लोगों के उत्पीड़न को बढ़ा देगा क्योंकि कानून, अधिकारियों के हाथ में उन लोगों को भी परेशान करने का साधन देगा जो ईमानदार हैं।

इसके अतिरिक्त 49% नागरिकों ने कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी की जांच करने के पहले सक्षम प्राधिकारी से पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक होने से रिश्वत और भ्रष्टाचार में वृद्धि होगी क्योंकि इससे भ्रष्ट अधिकारियों पर तुरंत मुकदमा चलाना मुश्किल हो जाएगा।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्कल्स ने कहा है, “हम आशा करते हैं कि यह सर्वेक्षण और ऐसे कई आवधिक, शिक्षाप्रद और सोद्देश्य सर्वेक्षण नागरिकों को सशक्त करने में और सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में सहायता करने में सक्षम होंगे और साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की गंदगी का सामना प्रभावी तरीके से किया जाए।“

मत जनसांख्यिकीय और भागीदारी

भारत के 215 शहरों में रहने वाले 50000 अलग-अलग नागरिकों द्वारा 160000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई। लगभग 33% उत्तरदाता महिलाएं थी और 67% पुरूष थे। महानगर/प्रथम श्रेणी शहरों से 45%, द्वितीय श्रेणी शहरों से 34% और तृतीय श्रेणी और ग्रामीण क्षेत्रों से 21% उत्तरदाता थे।

कृपया हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें