सर्वोच्च न्यायालय की बेहद सख्त टिप्पणी : असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व, अगर इसे प्रेशर कूकर की तरह दबाएंगे तो...
सर्वोच्च न्यायालय की बेहद सख्त टिप्पणी : असहमति लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व, अगर इसे प्रेशर कूकर की तरह दबाएंगे तो...

Supreme Court's very strict remark: 'Safety valve of dissent democracy, if it is suppressed like a pressure cooker then...
नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। आज सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डिसेन्ट या असहमति होना लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है। अगर आप इसे प्रेशर कूकर की तरह दाबाएंगें तो ये फट जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी #भीमाकोरेगांव मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी के खिलाफ रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए की।
तमाम दलीले सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपियों को उनके घर में ही हाउस अरेस्ट रखा जाए। साथ ही महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करके इस मामले में 5 सितंबर तक जवाब मांगा है।
इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आने के बाद पुणे कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई और उसने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक आरोपियों को उनके घर पहुंचाने को कहा है।
महाराष्ट्र पुलिस ने इन सभी को पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में भड़की हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने भीमा-कोरेगांव घटना के करीब 9 महीने बाद इन व्यक्तियों को गिरफ्तार करने पर महाराष्ट्र पुलिस से सवाल किए।
Supreme Court is hearing the petition of Romila Thapar, Prabhat Patnaik, Satish Deshpande and others against the arrest of activists Sudha Bhardwaj and activist Gautam Navlakha in #BhimaKoregaon matter. https://t.co/xNoCZ8L0em
— ANI (@ANI) August 29, 2018
पीठ ने खचाखच भरे अदालती कक्ष में कहा,
'असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है और अगर आप इन सेफ्टी वॉल्व की इजाजत नहीं देंगे तो यह फट जाएगा.'
राज्य सरकार की दलीलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा,
'यह (गिरफ्तारी) वृहद मुद्दा है। उनकी (याचिकाकर्ताओं की) समस्या असहमति को दबाना है।'
पीठ ने सवाल किया,
'भीमा-कोरेगांव के नौ महीने बाद, आप गए और इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।'


