सवाल करना राष्ट्रद्रोह है !-इस धर्मोन्मादी फर्जीवाड़ा में प्रधानमंत्री को मिले उपहारों की नीलामी पर क्यों नहीं हो सकती कोई सीबीआई जांच?
पीएम के नाम वाले सूट पर लगी 1 करोड़ रुपए की बोली
सवाल करना राष्ट्रद्रोह है !- माननीय मुख्य न्यायाधीश, इस नामावली सूट की नीलामी को संज्ञान लेकर फौरन सीबीआई जांच अपनी देखरेख में करायें कि सूट सिलवाने वाले लोग कौन हैं और खरीदने वाले कौन हैं।

उसी तर्ज पर कि ममता के बनाये चित्र खरीदने से शारदा फर्जीवाड़े की गहरी साजिश की जांच करवा रहे हैं आप। ...

सवाल करना राष्ट्रद्रोह है?

सवाल करने के जुर्म में मेरी उंगलियां रेंती जा रही हैं लगातार।

सवाल करना राष्ट्रद्रोह

फिर भी सवाल करने की आदत से हम बाज नहीं आने वाले हैं कि सर कलम होना अभी बाकी है और आवाज बुलंद है अब भी और खामोश रहने की विरासत हमारी है नहीं।

सवाल है भारत के मुख्य न्यायाधीश से कि बंगाल की मुख्यमंत्री के बनाये चित्रों की नीलामी को शारदा फर्जीवाड़ा की सीबीआई जांच का आधार मान लिया आपने, तो इस धर्मोन्मादी फर्जीवाड़ा में प्रधानमंत्री को मिले उपहारों की नीलामी पर क्यों नहीं हो सकती कोई सीबीआई जांच?

हम नहीं जानते कि मेरा लिखा कहां तक, किस तक कब पहुंचता होगा और कितने लोग लाइक मारेंगे और कितने लोग डिलीट। कितने लोग शेयर करने की कृपा करेंगे और कितने लोग पढ़ने का वक्त निकालेंगे। फिर कितने लोग इस पर गौर भी करेंगे।

अगर बाधाएं तमाम पार करके, माननीय मुख्य न्यायाधीश, भारतीय लोक गणराज्य तक मेरी ये पंक्तिया पहुंच रहा है और वास्तव में देश में कानून का राज है, समता और न्याय है, तो आप इस नामावली सूट की नीलामी को संज्ञान लेकर फौरन सीबीआई जांच अपनी देखरेख में करायें कि सूट सिलवाने वाले लोग कौन हैं और खरीदने वाले कौन हैं।

उसी तर्ज पर कि ममता के बनाये चित्र खरीदने से शारदा फर्जीवाड़े की गहरी साजिश की जांच करवा रहे हैं आप। इस सूट का असल भुगतान किसे किस शक्ल में हो रहा है, इस साजिश की तह तक पहुंचने के लिए फिर हो सीबीआई जांच।

जनता को हक है कि जब उन्हें भूख प्यास के लिए कैश सब्सिडी आधार नंबर के मुताबिक मिलने का इंतजार करना है, जब वे शून्य मुद्रास्फीति में भी दाने-दाने को मोहताज है तो इस देश के प्रधानमंत्री को दिन में बार बार फैशन स्टेटमेंट बदलने के लिए बेशकीमती सूट बनाकर देता कौन राष्ट्रभक्त दर्जी है।

इसकी जानकारी जनता को होनी चाहिए ताकि एक मंदिर उनका भी बना दिया जा सकें गोडसे और मोदी के मंदिर के अगल बगल।

ममता बनर्जी को हम जेल भेजने को तैयार हैं। हम जयललिता को जेल भेज चुके हैं। हम लालू को जेल में देख चुके हैं।

तो क्या एक प्रधानमंत्री और उनकी बिजनेस फ्रेंडली सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा करने का कोई हक इस देश के नागरिकों को है नहीं, जिनने आखिरकार अपने बेशकीमती वोट से उन्हें फर्श से अर्श पर जमीन से आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाकर बाराक हुसैन ओबामा का बेस्ट फ्रेंड बनवा दिया?

क्या आप इस नीलामी का संज्ञान लेंगे माननीय मुख्य न्यायाधीश महाशय कि देश की नीलामी के तंत्र मंत्र और यंत्र का खुलासा हो!

ममता और जयललिता जिन आरोपों के घेरे में हैं, वे ही आरोप अगर प्रधान स्वयंसेवक के खिलाफ लगते हों और तब सवाल करना राष्ट्रद्रोह है तो सचमुच भारत के संविधान से अंबेडकरी टैग हटाकर हमारे पुरखे बाबा साहेब अंबेडकर को फौरन बरी कर दिया जाये और राष्ट्र के स्वतंत्र और संप्रभू होने की उद्घोषणा खत्म करके उन्मुक्त मुक्त बाजार हिंदू राष्ट्र भारत प्रायोजित लिख दिया जाये।

चाहे तो हिंदुत्व का मुक्त बाजार लिख दिया जाये!

बाशौक लिख दिया जाये हिंदी हिदू हिंदुस्तान कि बाअदब बाकी जनता सवालों से परहेज करें कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष जैसे वाहियात लफ्ज फौरन हटा दिया जाये कि गलतफहमी में पीढ़ियों को गुलाम रखने के हसीन ख्वाब को कोई अंत हो!

और हम बेअदब मूलनिवासी बहुसंख्य मेहनतकश आवाम जिनका आपके बुलरन पर कोई दांव नहीं है, कमसकम सच का सामना करें इस वधस्थल पर कतारबद्ध तमाम बलिप्रदत्व अनंत गीता महोत्सव में जो निमित्त मात्र हैं, जो ना कुरुपक्ष में हैं और न पांडवों में उनकी गिनती हैं लेकिन इस महाभारत में मारे वे ही जाएंगे!

सिर्फ वे ही मारे जाएंगे! कम सकम हम भोपाल गैसत्रासदी, सिख संहार, हरित क्रांति, बाबरी विध्वंस, गुजरात नरसंहार के हकीकत को समझने की हालत में हों!

अखबार तब तक देखा न था।

कल रेस्ट डे था तो मालूम ही न पड़ा कि क्या क्या छप रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर पर बहस चला रहे थे एनडीटीवाले और एंकर को बार-बार कहना पड़ा कि ट्विटर पर बारंबार कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और सुरक्षा मामले में सवाल उठाना राष्ट्रद्रोह है, लेकिन मीडिया का काम ही सवाल करना है।

अब आप समझ लीजिये।

एनडीटीवी वालों को सवाल करने का हक नहीं है।

हिंदुत्व ब्रिगेड हर कहीं लामबंद है कि कोई इस सरकार से कोई सवाल न करें।

जो सवाल दागने की हिम्मत करें, फौरन उसे राष्ट्रद्रोही टैग कर दो।

उग्रवादी आतंकवादी माओवादी खुल्ला ऐलान कर दो।

सलवा जुड़ुम चालू आहे।

आफसा चालू आहे।
पलाश विश्वास