सांप्रदायिक हिंसा : 2015
उत्तरप्रदेश, बिहार एवं हरियाणा
-नेहा दाभाड़े
2015 में सबसे अधिक संख्या में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं उत्तर भारत में हुईं। कुछ रपटों में तो हिंदी पट्टी को भारत का विस्फोटक साम्प्रदायिक हिंसा वाला इलाका बताया गया। उत्तर भारत, विशेषकर उत्तरप्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा के कुछ विशिष्ट लक्षण देखे गए। ज्यादातर मामलों में साम्प्रदायिक हिंसा के पहले सांसदों, विधायकों, राजनैतिक दलों के नेताओं और यहां तक कि मंत्रियों द्वारा नफरत भरे भाषण दिए गए। ये भाषण आक्रामक तत्वों के लिए संकेत थे कि वे बिना दण्ड के भय के हिंसा कर सकते हैं। शमशाबाद के दंगों में सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और वाट्सएप का गलत सूचनाएं एवं अफवाहें फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। ज्यादातर मामलों में साम्प्रदायिक हिंसा, पंचायत एवं संसदीय चुनावों के ठीक पहले हुई। समाज के ध्रुवीकरण का यह नतीजा है कि छोटी-छोटी घटनाएं गंभीर साम्प्रदायिक हिंसा का स्वरूप ले लेती हैं। जैसा कि उत्तरप्रदेश में भाजपा के कार्यकर्ता कहते हैं, ‘‘अब हिन्दू और मुसलमान साथ-साथ नहीं रह सकते‘‘। (द हिन्दू, 2015)

साम्प्रदायिक हिंसा : उत्तरप्रदेश
उत्तरप्रदेश, जहां 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं, में सन् 2015 के शुरूआती छः महीनों में साम्प्रदायिक हिंसा की 68 घटनाएं हुईं। पश्चिमी उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा हिंसा हुई।

4 जनवरी, 2015 आगरा

आगरा में उस समय तनाव व्याप्त हो गया जब ईद-ए-मिलादुन्नबी के जुलूस के मार्ग की बाधाएं दूर करने के लिए मुस्लिम युवकों ने बाजार में बिजली के तार काट दिए। दुकानदारों ने इस पर आपत्ति की एवं इसके बाद पथराव व दंगा हुआ (द हिन्दू, 2015 )।

16 जनवरी, 2015 बरेली

बरेली में 16 जनवरी को एक धार्मिक स्थल के बाहर एक पशु का शव मिला। पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धार्मिक स्थल को अपवित्र करने का मुकदमा दर्ज किया। भाजपा के स्थानीय नेताओं के खिलाफ पुलिस के कर्तव्यपालन में बाधा डालने के मामले दर्ज किए गए। पीएसी की दो कंपनियों को तैनात किया गया। साम्प्रदायिक हिंसा में किसी की मृत्यु होने या किसी के घायल होने की कोई सूचना नहीं मिली (द हिन्दू, 2015 )।

2 मई, 2015 शामली

तब्लीगी जमात के स्वयंसेवकों एवं जाट युवकों के बीच एक लोकल ट्रेन में हुई मारपीट में 17 लोग घायल हुए। कथित तौर पर जाट युवकों ने तब्लीगी जमात के पांच सदस्यों की पिटाई की। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग की (द हिन्दू, 2015)।

29 मई 2015, लखनऊ

ठीक अजान के समय, एक मंदिर के लाऊडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच हुए विवाद ने हिंसक मोड़ ले लिया। भीड़ ने पथराव किया, हालांकि इसमें कोई घायल नहीं हुआ। पुलिस के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी भी हुई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति पर नियंत्रण स्थापित किया (द हिन्दू, 2015 )।

29 अगस्त 2015, मुजफ्फरनगर

यह विडंबना ही है कि मुजफ्फरनगर में सन् 2013 में हुए दंगों के ठीक दो वर्ष बाद पुनः साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी। बजरंगदल ने 29 अगस्त को मुजफ्फरनगर के लोकप्रिय धार्मिक नेता नजीर अहमद कादमी के वाहन पर हमला किया। इसके बाद इस इलाके में अफवाहों का दौर शुरू हो गया। मुसलमानों ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग की। एक अन्य हिंसक घटना कुतबा गांव में हुई जब सन् 2013 के दंगों के शिकार कुछ मुस्लिम अपने खाली पड़े मकानों से ईटें लेने गांव में आए ताकि वे उन गांवों में नए मकान बना सकें जिनमें वे बस गए थे। इन मुसलमानों पर गांव के जाटों ने हमला किया और उनके साथ मारपीट की। मुसलमानों ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई परंतु कोई मदद न मिलने पर उन्होंने मुख्य मार्ग पर चक्का जाम कर दिया। इस चक्का जाम के कारण मुसलमानों और जाटों के बीच दुबारा टकराव हुआ। इस हिंसा में कितने लोग घायल हुए, इसकी कोई जानकारी नहीं है (द हिन्दू, 2015)।

4 सितंबर 2015, शमशाबाद

सितंबर माह के प्रारंभ में आगरा से 25 किलोमीटर दूर स्थित शमशाबाद में साम्प्रदायिक हिंसा हुई। इस बार वजह बनी फेसबुक पर पैगम्बर मोहम्मद के बारे में पोस्ट की गई आपत्तिजनक सामग्री। हिंसा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल गई। आपत्तिजनक पोस्ट से क्रोधित भीड़ ने एक उपासना स्थल में तोड़फोड़ की। उन्होंने जबरन दुकानें बंद करवाईं और आगजनी की। भीड़ ने कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले दुकानदार गुप्ता को पकड़ लिया, उनके साथ मारपीट की और उन्हें फांसी पर लटकाने का प्रयास किया। पुलिस ने भीड़ के विरूद्ध कानून व्यवस्था भंग करने एवं गुप्ता के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के लिए एफआईआर दर्ज की। दोनों समुदायों के करीब 100 लोगों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किए गए (द हिन्दू, 2015)।

28 सितंबर, 2015 बिसाडा गांव, दादरी

इस गांव में वह घटना घटी जिसने पूरे देश को झकझोर दिया और हमारे समाज की नैतिकता पर सवालिया निशान लगा दिए। यह घटना थी गौमांस खाने और रेफ्रिजिरेटर में रखने की अफवाह फैलने पर 58 साल के मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की गई हत्या। हत्या के ठीक पहले, एक मंदिर में लगे लाउडस्पीकर से वहां के पुजारी ने यह कहा कि अखलाक के परिवार ने गौमांस का सेवन किया है। इसके बाद भीड़ अखलाक की हत्या के इरादे से उसके घर की ओर बढ़ी। इस हिंसा में अखलाक की मृत्यु हो गई और उनका 21 साल का पुत्र दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने के बजाए अखलाक के रेफ्रिजिरेटर में रखे मांस को फोरेन्सिक जांच के लिए भेजने को प्राथमिकता दी ताकि यह पता चल सके कि क्या यह वाकई गौमांस था। अंततः इस मामले में एक भाजपा नेता के पुत्र को गिरफ्तार किया गया। जांच से यह सामने आया कि अखलाक के घर में गौमांस नहीं था।

4 अक्टूबर 2015, चितारा एवं कुडाखेड़ी

दादरी की घटना से उपजा तनाव नजदीक के दो गांवों -चितारा एवं कुदाखेड़ी- में भी फैल गया। चितारा में एक बछड़े का कटा हुआ सिर मिला जिससे गौवध की अफवाह फैली और तनाव उत्पन्न हुआ। इसी तरह कुडाखेड़ी में एक किसान के बछड़े की प्राकृतिक कारणों से मौत हुई, जिसके बाद शरारती तत्वों ने अफवाहें फैलाकर घटना को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की (द हिन्दू, 2015) ।

22 अक्टूबर 2015, फतेहपुर, जिला इलाहबाद

धार्मिक जुलूसों के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा बहुत आम है। ऐसा ही उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले में हुआ। एक मूर्ति को ले जा रहा जुलूस निर्धारित मार्ग से हटकर अलग रास्ते से ले जाया जा रहा था। बदले हुए रास्ते पर एक मस्जिद थी। दोनों धर्मों के अनुयायियों ने एक-दूसरे पर पथराव किया। दो मकानों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा और दो साईकिलों और तीन मोटरसाईकिलों को आग के हवाले कर दिया गया। यद्यपि किसी को गंभीर चोटें लगने की सूचना नहीं मिली। पीएसी और स्थानीय पुलिस बल को तैनात किया गया और पुलिस का दावा था कि स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

6 नवम्बर 2015, मैनपुरी

मैनपुरी में दंगे तब भड़के जब एक भीड़ ने चार मुसलमानों को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। भीड़ का आरोप था कि इन मुसलमानों ने गाय का वध किया है और उसकी खाल निकाली है। पुलिस की जांच में यह निष्कर्ष निकला कि गाय की मृत्यु के बाद उसके मालिक ने गाय का शव इन चार व्यक्तियों को दे दिया था ताकि वे उसकी खाल निकालकर उसे चमड़े के कारखाने में बेच सकें। उपद्रवी भीड़ ने मुसलमानों की एक दर्जन से अधिक दुकानों में आग लगा दी। हिंसा में सात पुलिसकर्मी भी घायल हुए। पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज कीं-पहली गौहत्या की और दूसरी 500 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दंगा करने की, वह भी तब जब पंचायत चुनाव के कारण धारा 144 लगी हुई थी। (द टाईम्स ऑफ इंडिया, 2015)। पुलिस की जांच से ज्ञात हुआ कि साम्प्रदायिक घृणा फैलाने और भीड़ को इकट्ठा कर दंगे करवाने के पीछे कुछ दक्षिणपंथी संगठनों का हाथ है (द टाईम्स ऑफ इंडिया, 2015)। कुल 30 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया और उनपर भादवि की कठोर धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किए गए। जिन धाराओं के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किए उनमें शामिल हैं 307 (हत्या का प्रयास), 148 (घातक हथियार लेकर दंगा करना), 353 (हमला कर अथवा आपराधिक बल का इस्तेमाल कर सरकारी कर्मचारी के कर्तव्यपालन में बाधा डालना), 353 (मकान आदि को नष्ट करने के उद्धेश्य से आग लगाना या विस्फोटकों का इस्तेमाल करना)। यद्यपि पुलिस ने दक्षिणपंथी संगठनों के नाम सार्वजनिक नहीं किए (द टाईम्स ऑफ इंडिया, 2015)।

14 नवम्बर 2015, अलीगढ़

यह अत्यंत चिंताजनक है कि हिन्दुत्ववादी शक्तियां, दलितों और मुसलमानों के बीच नफरत की खाई खोदने का प्रयास कर रही हैं। पटाखे चलाने को लेकर युवकों के दो समूहों के बीच हुए मामूली विवाद को भाजपा व विहिप द्वारा ‘‘दलितों और मुसलमानों के बीच टकराव‘‘ के रूप में दर्शाने का प्रयास किया गया। अलीगढ़ में हुई इस घटना में गौरव नामक एक 22 साल का दलित युवक मारा गया। भाजपा और विहिप ने मांग की कि गौरव के परिवार को भी 40 लाख रूपये का मुआवजा दिया जाए, जैसा कि मोहम्मद अखलाक के मामले में किया गया था (द हिन्दू, 2015)।
साम्प्रदायिक हिंसा: बिहार
बिहार में पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव हुए और चुनावों के पहले, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर वोट बैंक मजबूत करने के उद्धेश्य से बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा भड़काई गई। ज्यादातर मामलों में हिंसा भड़काने के लिए जो चालें चली गईं वे थीं- उपासना स्थलों में पशुओं के शव फेंकना, धार्मिक जुलूसों के बहाने विवाद भड़काना, मूर्तियों को अपवित्र करना और जमीन के टुकड़ों को लेकर झगड़ा करना। सन् 2013 में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूटने के बाद, 18 जून, 2013 से लेकर 30 जून, 2015 की अवधि में साम्प्रदायिक हिंसा की 445 घटनाएं हुईं। इसकी तुलना में 1 जनवरी 2010 से 18 जून 2013 की अवधि में कुल 92 घटनाएं हुईं थीं।

8 जनवरी, 2015, सासाराम, रोहतास़

एक कब्रिस्तान में पतंग गिरने के विवाद ने साम्प्रदायिक रूप ले लिया और हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 17 घायल हुए। कहा जाता है कि इस घटना की पृष्ठभूमि में वह घटना थी, जिसमें एक मुस्लिम दुकानदार ने एक हिन्दू लड़के को उसकी दुकान के बाहर पेशाब करने पर डांटा था और उनके बीच मारपीट हुई थी (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

19 जनवरी, 2015, अजीजपुर

अजीजपुर में हुए साम्प्रदायिक टकराव ने भीषण दंगों का रूप ले लिया। भीलवाड़ा निवासी भारतेन्दु साहनी नामक व्यक्ति का शव अजीजपुर के वसी अहमद के खेत में मिला। कथित तौर पर भारतेन्दु, वसी अहमद की पुत्री से प्यार करता था और इससे कुपित होकर उसके पुत्र ने भारतेन्दु की हत्या कर उसका शव खेत में फेंक दिया। शव मिलने के बाद साहनी समुदाय ने अजीजपुर में मुसलमानो के 40 मकानों को आग के हवाले कर दिया और पांच मुसलमानों की हत्या कर दी। गांववालों का मानना है कि हिंसा का उद्धेश्य मुसलमानों को और अधिक अलगथलग करना था। पुलिस ने 2000 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और उन 13 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनके विरूद्ध नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई थी (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

26 अप्रैल, 2015 ग्राम फुलवारिया

अप्रैल माह में जमीन के एक टुकड़े को लेकर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच टकराव हुआ। हिन्दू इस भूमि को पवित्र मानते हैं परंतु यह भूमि एक कब्रिस्तान के बीचोंबीच स्थित है। (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

8 मई, 2015 ग्राम चंदौती, गया

बिहार में साम्प्रदायिक तनाव इस हद तक बढ़ा हुआ था कि दो स्थानीय टीमों के बीच हुए एक क्रिकेट मैच के दौरान हुए एक छोटे से विवाद ने साम्प्रदायिक रूप धारण कर लिया (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

17 मई, 2015 दाउदनगर, औरंगाबाद

इस गांव में उस वक्त साम्प्रदायिक हिंसा भड़की जब यह अफवाह फैलाई गई कि एक गुमी हुई भैंस कुछ मुसलमानों के पास मिली है। साम्प्रदायिक हिंसा में आग्नेय अस्त्रों का इस्तेमाल किया गया जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और 13 घायल हुए। गांव के निवासियों ने बताया कि गांव में पिछले कई महीनों से तनाव व्याप्त था क्योंकि मोहर्रम के जुलूस के दौरान हनुमान की एक प्रतिमा को कथित तौर पर अपवित्र किया गया था (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

18 नवंबर, 2015 वैशाली

यहां नवंबर माह में हिंसा तब भड़की जब 19 वर्षीय मोहम्मद इरफान अपनी पिकअप वेन पर नियंत्रण खो बैठा और उसका वाहन एक 60 साल के वृद्ध के मकान में घुस गया। इस दुर्घटना में इस व्यक्ति और उसकी 8 माह की पौत्री की मृत्यु हो गई। जब यह अफवाह फैली की पुलिस ने प्राथमिक जांच के बाद इरफान को छोड़ दिया है, तब दो समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई। पुलिस को गोलीचालन करना पड़ा और इसमें विकास कुमार नामक एक 17 वर्षीय युवक गंभीर रूप से घायल हुआ, जिसकी बाद में मृत्यु हो गई (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।
साम्प्रदायिक हिंसा : हरियाणा
हरियाणा में हिंसा का लक्ष्य था प्रभावशाली जाट समुदाय का सामाजिक-राजनैतिक दबदबा बढ़ाना ताकि तथाकथित मुस्लिम दबंगों को चुनौती दी जा सके और सामंती समाज में यथास्थिति बनी रहे।
15 मार्च 2015, हिसार
हिसार के कामरी गांव में एक चर्च में तोड़फोड़ की गई और अनिल गोधरा नामक व्यक्ति ने चर्च के पादरी को धमकाया। अनिल का आरोप था कि पादरी, गांव के लोगों का धर्मपरिवर्तन कर उन्हें ईसाई बनाने का प्रयास कर रहा है। घटना के समय चर्च निर्माणाधीन था और अनिल गोधरा ने अपने साथियों के साथ ईसा मसीह के क्रास को गिराकर उसके स्थान पर हनुमान की प्रतिमा स्थापित कर दी। पुलिस ने 14 व्यक्तियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।

25 मई और 1 जुलाई, 2015 अटारी

अटारी गांव में साम्प्रदायिक हिंसा की गंभीर घटना हुई। मुसलमानों और जाटों के बीच एक मस्जिद के निर्माण को लेकर विवाद था। जिस भूमि पर एक कामचलाऊ मस्जिद बनी हुई थी और गांव के मुसलमान जहां नमाज पढ़ते थे, उसके बारे में कई दशकों से गांव के जाटों का दावा था कि यह भूमि पंचायत की संपत्ति है और इसी आधार पर वे वहां मस्जिद बनाए जाने का विरोध करते आए थे। जिला अदालत ने मस्जिद के निर्माण के पक्ष में निर्णय दिया। इसके बाद हिंसा के दो दौर हुए जिनमें एक व्यक्ति की मृत्यु हुई और 19 घायल हो गए। पुलिस द्वारा एफआईआर में नामजद व्यक्तियों को गिरफ्तारी करने में आगापीछा करने से जाट युवकों की हिम्मत बढ़ गई और इसके नतीजे में मई के हिंसा के पहले दौर के बाद जुलाई में पुनः हिंसा हुई। दंगों के बाद सबसे चिंताजनक स्थिति यह बनी कि सशक्त जाट समुदाय ने मुसलमानों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

5 जुलाई 2015, पलवल

अटारी की हिंसा के कारण उत्पन्न तनाव का प्रभाव अटारी से 30 किलोमीटर दूर स्थित पलवल के ब्राह्मण गांव में भी नजर आया। हालांकि यहां दंगा भड़कने का ठीक-ठीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि दो युवकों के बीच हुई हुज्जत के बाद दंगा भड़का जिसमें 17 लोग घायल हुए (द इंडियन एक्सप्रेस, 2015)।
(अगले अंक में जारी...)
(मूल अंग्रेजी से अमरीश हरदेनिया द्वारा अनुदित)