जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला- रिहाई मंच
सीरिया में जनसंहार की निन्दा और युद्ध रोकने की अपील
29 अगस्त के विधान सभा मार्च के लिये रिहाई मंच ने शुरू किया प्रदेश व्यापी जनसम्पर्क अभियान
विधानसभा मार्च को सफल बनाने के लिये कल बिल्लौजपुरा में हुयी आम सभा

लखनऊ 24 अगस्त। रिहाई मंच ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र व संस्कृतिकर्मी हेम मिश्रा की महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की अहेरी पुलिस द्वारा की गयी गिरफ्तारी की निन्दा करते हुये इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सरकारों ने देश की जनता के खिलाफ युद्ध घोषित कर रखा है और जब कोई पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, मानवाधिकार नेता जब आदिवासियों के क्षेत्र में जाता है तो उसे माओवादी बताकर और किसी राज्य दमन के मुस्लिम क्षेत्र में जाता है तो उसे आईएसआई और आतंकवादी बताकर गिरफ्तार किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह कुछ साल पहले वंचित समाज की आवाज उठाने वाले पत्रकार हेमचन्द्र पाण्डे को आन्ध्र प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था तो वहीं आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार होने के बाद बरी होने पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों का मुकदमा लड़ने वाले शाहिद आजमी को मुंबई में उनके चेम्बर में हत्या कर दी गयी। यह कठिन दौर है पर संघर्ष का दौर है ऐसे में रिहाई मंच हेम मिश्रा को तत्काल रिहा करने की माँग करता है।

बाराबंकी के सूफी उबैदुर्रहमान ने अवाम से अपील की है कि तमाम मुस्किलों और झंझावात में भी मौलाना खालिद के न्याय व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये चल रहा यह धरना 29 अगस्त को सौ दिन पूरा कर रहा है। बेगुनहों की रिहाई के लिये चल रहे इस संघर्ष को आंदोलनों की तारीख में हमेशा याद किया जायेगा। रमजान के महीने में जिस तरह से सरकार ने रिहाई मंच का टंेट उखड़वाकर बेगुनाह मुस्लिम बच्चों की लड़ाई को कमजोर करना चाहा उसके बावजूद सरकार के इरादों को पस्त करते हुये अवाम धरने पर बनी रही और रमजान के महीने में इस धरने पर दो-दो बड़ी संयुक्त दुआवों के आयोजन में जिस तरीके से शिया, सुन्नी और हिन्दू भाई शामिल हुये वैसे ही 29 अगस्त को खालिद के न्याय व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिये बड़ी तादाद में विधान सभा मार्च में शामिल होकर अवामी तहरीक का नया इतिहास बनायें।

धरने के समर्थन में कानपुर से आये इण्डियन नेशनल लीग के अब्दुल हफीज ने कहा कि जिस तरीके से चुनावी मौसम के आते ही सियासी नेताओं ने मुसलमानों को लुभाने के लिये रेवड़ी बाँटने का काम शुरु कर दिया है। इसी तरह कुछ मुस्लिम रहनुमा उस रेवड़ी को ज्यादा से ज्यादा बंटोरने के लिये सियासी नेताओं के दरबारों में हाजिरी लगा रहे हैं। बेजान इमारतों के लिये कानून बनाये जाने पर उलेमाओं का झुण्ड हाजिरी देने पहुँच जाता है लेकिन आतंकवाद के नाम पर कैद हजारों नौजवानों की जिन्दगी बचाने के लिये कभी किसी तहरीक में शामिल होने की जरुरत महसूस नहीं करते और जब बेगुनाह बच्चों की रिहाई का सवाल आता है तो उस पर कहते फिरते हैं कि यह दीनी मामला नहीं है सियासी मामला है और उसके लिये संघर्ष करना हमारे एजेंडे का हिस्सा नहीं है। ऐसे लोगों से हम पूछना चाहेंगे कि जो काम वो बेजान इमारतों के लिये करते हैं वो काम इंसानों के लिये क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि इसी तरह वो लोग जो हमेशा हुकूमतों की गोद में बैठकर मुस्लिम कौम को ब्लैक मेल करते रहे हैं और चुनावी मौसम में अपने आपको जिन्दा दिखाने और रेवड़ी लेने के लिये मुसलमानों की बुरी हालत पर सरकार को झूठ-मूठ का आईना दिखाने और मुस्लिम कौम को उसकी हालत का जिम्मेदार ठहाराने का काम करते हैं, उनको मालूम होना चाहिए कि रिहाई मंच एक साल में अवाम को ऐसा आइना दिखा दिया है जिसमें यह कौमी रहनुमा हुकूमतों के साथ हाथ में हाथ डाले नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह सीरिया में आम अवाम पर जहरीली गैस का इस्तेमाल करके पूरे समुदाय का जंनसंहार किया गया ऐसे अमानवीय कृत्य ही हम घोर निन्दा करते हैं। जहरीली गैस के कारण 1300 से अधिक लोगों की मौत पर हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

हारिस सिद्दीकी, जैद अहमद फारूकी और जमीर अहमद खान ने कहा कि एक वक्त 2012 के चुनावों का था जब मुलायम ने सत्ता में आने के लिये आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने का वादा किया था दूसरा वक्त आज का है कि सपा ने सिर्फ बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने के वादे से सिर्फ वादा खिलाफी ही नहीं कि बल्कि पूरे प्रदेश को दंगों के की आग में झोंक दिया। मुलायम ने सांप्रदायिकता का दांव खेलते हुये पहले सिंघल को बुलाकर पंचकोसी परिक्रमा के लिये हरी झंडी दिखायी फिर बाद में उसे रोकने का नाटक करने के नाम पर प्रदेश के मुसलमानों के अन्दर 20 साल पुराना बाबरी मस्जिद के दौर के भय को व्याप्त करने की कोशिश की है। जिसे आज जनता जान चुकी है। ऐसे में खालिद की हत्यारी सरकार को सबक सिखाने के लिये अवाम भारी तादाद में विधान सभा मार्च करे।

इंडियन नेशनल लीग के हाजी फहीम सिद्दीकी और पिछड़ा समाज महासभा के शिवनारायण कुशवाहा और एहसानुल हक मलिक ने कहा कि मुसलमान टोपी पहनाने की सियासत न करें। क्योंकि वो तो एक बार इन राजनेताओं को टोपी पहनाता है पर इसके सहारे वो पूरे कौम को टोपी पहनाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में यह अजब की चीज है कि मुसलमान जिसके साथ रहता है उसे सेक्युलर कहा जाता है और मुसलमान से टोपी पहनकर मुसलमानों पर जुल्म और ज्यादती करने वाले नेता भी सेक्युलर हो जाते हैं। राजनेताओं के लिये टोपी जैसे सेक्युलर होने का सर्टिफिकेट हो गयी है पर वही टोपी जब कोई मुसलमान पहनता है तो उसको शक की निगाह से देखा जाता है और मुल्क में ऐसे बहुत से मामले हैं जहाँ दाढ़ी-टोपी के नाम पर मुसलमानों को आतंकवादी घटनाओं में फँसाया गया, मौलाना खालिद मुजाहिद भी उसी कड़ी में हैं कि जब उनके बेगुनाही का सबूत निमेष कमीशन सामने आ गयी तो सपा सरकार के संरक्षण में विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झा, अमिताभ यश जैसे पुलिस व आईबी अधिकारियों ने उनकी हत्या करवा दी। जो मुलायम और अखिलेश मौके बे मौके मुसलमानों को खुश करने के लिये टोपी पहन लेते हैं आज वो भी मौलाना खालिद के हत्यारों को बचाने के लिये आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने से भाग रहे हैं। ऐसे में मुसलमान टोपी पहनने-पहनाने की अपनी आदत को छोड़ दे क्योंकि इससे उसके मसायल हल नहीं होने वाले हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता फैजान मुसन्ना ने कहा कि नेशनल सैम्पल सर्वे ने अपने सर्वेक्षण में साफ कर दिया है कि भारतीय मुसलमान 33 रूपए रोज पर ज़िन्दगी गुजार रहा है। यह सर्वे सरकारी संस्था ने किया है लिहाजा केंद्र सरकार को मुसलमानों को बीपीएल कार्ड जारी कर दे।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने बताया कि 29 अगस्त को होने वाले धरने मे प्रदेश की अखिलेश सरकार और इसके पहले पिछली मुलायम सरकार में आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार लोगों के परिजन व दंगा पीड़ित विधान सभा मार्च में शामिल होंगे। जो सपा सरकार अपने सेक्युलर होने के बयान रोज देती रहती है और किसी बड़ी घटना के बाद चाहे वो कुंडा के जियाउल हक का मामला हो यह कहती फिरती है कि मुलायम होते तो ऐसा नहीं होता उस सपा सरकार को आइना दिखाने लिये अवाम विधान सभा पर मार्च करेगी कि अखिलेश नहीं मुलायम के राज मे भी आतंकवाद के नाम पर लोग पकड़े गये और सपा सरकार के संरक्षण में दंगे हुये जिस तरह अखिलेश सरकार में हो रहे हैं। प्रवक्ताओं ने कहा कि सपा के लोग जो बार-बार कहते हैं कि उनके शासन में कोई गिरफ्तारी नहीं हुयी तो हम 29 अगस्त को सपा सरकार में 13 मई 2012 को एटीएस द्वारा उठाये गये सीतापुर के निवासी मोहम्मद शकील समेत चार और गिरफ्तारियों समेत पिछली मुलायम सरकार में इलाहाबाद के वलीउल्ला और मेरठ के डा0 इरफान, मो0 नसीम, शकील अहमद, मो0 अजीज के सवालों को भी उठायेंगे।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि 29 अगस्त के विधानसभा मार्च के लिये कल लखनऊ के बिल्लौजपुरा इलाके में रफीक सुल्तान खान और रिजवान के नेतृत्व में जनसभा की गयी। आज कसाई बाड़े में होगी रिहाई मंच की जनसभा।

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुये धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फँसाये गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की माँग को लेकर रिहाई मंच का धरना शनिवार को 95 वें दिन भी जारी रहा।

धरने का संचालन हरेराम मिश्र ने किया। धरने में मोहम्मद दानिश, मोहम्मद अख्तर, जमीर अहमद खान, मोहम्मद नसीम, समीना फिरदौस, इसरारूल्ला सिद्दीकी, मोहम्मद अरमान खान, एमएम खान, योगेंद्र सिंह यादव, मोहम्मद सेराज हुसैन, मोहम्मद फैज, असद हयात, राजीव यादव और शाहनवाज आलम इत्यादि मौजूद रहे।