साम्प्रदायिक वीडियो के जरिये दंगा भड़काने वाले ठाकुर संगीत सिंह को
2009 में सपा ने लोकसभा का चुनाव क्यों लड़ाया- रिहाई मंच
सपा सरकार में हो रहे सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ 16 सितंबर से
विधानसभा पर घेरा डालो-डेरा डालो- रिहाई मंच

लखनऊ, 11 सितम्बर 2013, रिहाई मंच धरना 113 वाँ दिन। आज के दिन ही दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्यवादी देश अमरीका ने दुनिया पर अपना नियंत्रण कायम करने के लिये 9/11 की राजनीति शुरू की। इस तीथि के सहारे अमेरिका ने बेहतर दुनिया बनाने की धमकी का ऐलान करते हुये दुनिया के देशों को कड़ा फैसला लेने की चेतावनी दी कि वो उसके क्रूसेड (धर्मयुद्ध) में शामिल हों या मृत्यु और तबाही की निश्चित संभावनाओं का सामना करें। बेहतर दुनिया बनाने का यह ऐलान दुनिया के खिलाफ एक ऐसे युद्ध का ऐलान था जिसके सहारे एक पूरे समुदाय को उसने आतंकवादी घोषित कर दिया और हालात यहाँ तक पहुंच गए कि ‘माई नेम इज खाना बट आई एम नॉट टेररिस्ट’ जैसे चुभते हुये जुमले को हर मुसलमान को बोलना पड़ रहा है।

यह उद्गार रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि अमेरिका की इस टेरर पालिटिक्स को उस समय भाजपा ने आयातित किया और इस बात को स्थापित किया कि हिन्दुस्तान का मुसलमान सिर्फ आतंकी घटनाओं का हथियार नहीं है बल्कि वो आतंकवाद को संचालित भी करता है और इसके लिये देश की खुफिया एजेंसी आईबी ने आईएम यानी इंडियन मुजाहिदीन को जन्म दिया। इस राजनीति के तहत भाजपा ने इशरत जहां, सादिक जमाल मेहतर, बाटला हाउस में कांग्रेस ने आजमगढ़ के साजिद और आतिफ, कतील सिद्दीकी या फिर सपा सरकार द्वारा मौलाना खालिद मुजाहिद ऐसे सैकड़ों लड़कों को मौत के घाट उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि इसी राजनीति को बचाने के लिये कभी गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, राजेन्द्र कुमार को इशरत जहां केस में चार्जशीट नहीं करने देते तो वहीं यूपी में अखिलेश यादव ने सिर्फ निमेष आयोग की रिपोर्ट को साल भर से दबाया ही नहीं बल्कि बेगुनाह मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या भी करवा दी और दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिये मौलाना खालिद की मौत बीमारी से हुयी बतायी। सीबीआई जाँच का वादा करके भी जाँच नहीं करवाया।

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि सरधना के भाजपा विधायक ठाकुर संगीत सिंह सोम जिन्हें मुजफ्फर नगर के दंगों को भड़काने के लिये पाकिस्तानी वीडियो अपलोड करने के दोषी पाये गये हैं और जिनके यहाँ से सैकड़ों सीडीयाँ बरामद की गयीं वे भाजपा के ही नहीं सपा के भी खास हैं। ठाकुर संगीत सिंह सोम 2009 में सपा से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसी तरह आजकल सपा के सांसद बृजभूषण सिंह जिन्होंने 1992 में बाबरी मस्जिद शहीद करने वाले सांप्रदायिक आतंकवादी कारसेवकों के लिये खाने-पीने की व्यवस्था की थी वे भी भाजपा से कई बार सांसद रहे हैं। इसलिये मुलायम इस बात से कन्नी नहीं काट सकते कि उनके और भाजपा में कोई वैचारिक रिश्ते नहीं हैं। यह अकारण नहीं है कि पिछले दिनों मुलायम ने आडवाणी और हेडगेवार की तारीफ की थी। इसी रिश्ते के तहत ठाकुर संगीत सिंह, हुकुम सिंह, सुरेश राना, भारतेन्दु समेत सैकड़ों दंगाइयों ने पाकिस्तान की सीडी मुजफ्फर नगर की बताकर पूरे क्षेत्र में बँटवाकर दंगे की आँच में झोंक दिया।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह का यह कहना कि मुजफ्फर नगर व आस-पास के जिलों में सांप्रदयिक हिंसा नहीं बल्कि जातीय हिंसा हुयी है, जनता को गुमराह करने और अपने सांप्रदायिक एजेंडे पर पर्दा डालने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि मुलायम का यह बयान शर्मनाक है और इस हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के जख्मों पर नमक छिड़कने के बराबर है, साथ ही यह कोशिश भी है कि इसकी जाँच सांप्रदायिक हिंसा के बजाए जातिगत हिंसा के पहलू से करायी जाये ताकि सपा का सांप्रदायिक एजेंडा और उसका भाजपा के साथ हिन्दुत्वादी गठजोड़ सामने न आ पाये। उन्होंने कहा कि मुजफ्फर नगर और आस-पास के जिलों में हुयी हिंसा गुजरात की तर्ज पर सपा सरकार ने करवायी है इसलिये इसकी न्यायिक जाँच के बजाए गुजरात की तर्ज पर एसआईटी के तहत सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज के देख-रेख में कराई जाये। उन्होंने सपा सरकार द्वारा इन दंगों की जाँच जस्टिस विष्णु सहाय से कराने पर टिप्पणी करते हुये कहा कि जो सरकार आतंकवाद के आरोप में फर्जी तरीके से एसटीएफ और आईबी द्वारा फंसाए गए तारिक और मरहूम खालिद की फर्जी गिरफ्तारी पर गठित जस्टिस निमेष कमीशन की रिपोर्ट को दबाए हुये है और पिछले एक साल से इसलिये जारी नहीं कर रही है क्योंकि अगर वो जारी करेगी तो एसटीएफ और आईबी के अधिकारियों पर कार्रवाई करनी होगी वो सपा सरकार कैसे अपने दोस्त सिंघल की बिरादराना पार्टी के भाजपा नेताओं पर कार्यवाई करने की हिम्मत कर सकती है। प्रदेश की अखिलेश सरकार भाजपा नेताओं को सिर्फ दंगे कराने की खुली छूट ही नहीं देती है बल्कि सांप्रदायिक वरुण गांधी पर से मुकदमा हटवाती है तो कभी फर्रुखाबाद में आरएसएस के दंगाईयों पर से।

भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद और मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद ने कहा कि जिस तरीके से मुलायम सांप्रदायिक तत्वों को बचााने के लिये इसे जातीय हिंसा करार दे रहे हैं यह वही मुलायम हैं जिन्होंने सन 2007 के विधानसभा चुनावों में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के साथ गठजोड़ कर पूरे पूर्वांचल को दंगों की आग में झोंक दिया। 2007 में पडरौना जिले में गांधी प्रतिमा चौराहे पर लगी दर्जनों गुमटियों को आग के हवाले ही नहीं किया गया बल्कि जलने के बाद नगर पालिका के ट्रैक्टरों से मलबा हटाकर वहाँ हिन्दू समुदाय के लोगों की नई गुमटियाँ लगवाने का काम किया गया। मुलायम भले भूल गए हों पर पडरौना से सटे गाँव रजानगर को जिस तरीके से योगी आदित्यनाथ के लोगों ने फूंका उसको याद करके आज भी उस गाँव के लोग सिहर जाते हैं कि बार-बार फोन करने के बाद तीन दिनों बाद वहाँ पुलिस पहुँची जब न गाँव बचा था और न लोग, सिर्फ बचा था तो दंगाईयों का तांडव।

मो0 इसहाक नदवी ने कहा कि ये अजीब बात है कि जो पार्टियां सत्ता में पहुंचने के लिये मुसलमानों की मोहताज हैं, मुसलमान उन्हीं पार्टियों का मोहताज बना हुआ है। यही वजह है कि इन पार्टियों ने बराबर मुसलमानों से झूठे वादे करके बेवकूफ बनाने का काम किया है और सत्ता में आने के बाद आरएसएस के एजेंडे पर खुल कर काम किया है। यही काम मौजूदा सपा सरकार कर रही है, इसलिये अवाम को इस दोहरे चरित्र वाली सरकार से दूरी बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि मुलायम और अशोक सिंघल की मुलाकात, फिर पूरे प्रदेश में दंगों की आग से सपा और आरएसएस का गठजोड़ जग जाहिर हो गया है, ऐसे में हम उन उलमा और कौमी रहनुमाओं से अपील करते हैं कि वह बात-बात पर मुलायम या अखिलेश के दरबार में हाजि़री लगा कर सपा सरकार को सेक्यूलर साबित करने की कोशिश करके कौम को गुमराह न करें, बल्कि जनता के बीच जाकर जनता के खिलाफ हो रही साजिशों और उनको जाति-धर्म की आग में झोंक कर सत्ता में बने रहने और देश की दौलत को लूटने की नीतियों को उजागर करें। आने वाले जुमे में मुजफ्फरनगर और आस-पास के जिलों में मारे गये, घायलों और दंगे के आतंक से बेघर लोगों के लिये दुआ करें। इस मुसीबत की घड़ी में इंसाफ के लिये इस दंगे की सीबीआई जाँच की माँग के लिये अपनी आवाज बुलन्द करें।

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुये धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की माँग को लेकर रिहाई मंच का धरना बुधवार को 113 वें दिन भी लखनऊ विधानसभा धरना स्थल पर जारी रहा।

इस दौरान पीसी कुरील, शिवनारायण कुशवाहा, एहसानुल हक मलिक, इरफान शेख, वासिफ शेख, राजीव यादव, जैद अहमद फारूकी, आमिर महफूज, गुफरान सिद्दीकी, इसहाक नदवी, हरे राम मिश्र, शाहनवाज आलम आदि मौजूद थे।