अमेरिकी इशारे पर सार्क को बेकार बनाने का अमेरिकी लक्ष्य मोदी-शरीफ मिलकर पूरा कर रहे
जगदीश्वर चतुर्वेदी
सार्क का मंच एक-दूसरे देश के राजनीतिक मसलों पर तू-तू मैं- मैं का मंच बनाकर मोदी-शरीफ ने तय कर दिया है ये लोग भारतीय उपमहाद्वीप को फंडामेंटलिस्टों का स्वर्ग बनाकर छोडेंगे।
ये दोनों नेता विदेशनीति का पालन न करके लोकल दलीय नीति का पालन कर रहे हैं।
सार्क लोकल दलीय नीति के पालन का मंच नहीं है।

अमेरिका यही चाहता है कि भारत और उसके आसपास के देश मिलकर कोई साझा फोरम बनाकर काम न करें, साझा विकास न करें।
भारत की पहल से सार्क बना, इसमें आसपास के देशों के साझा हित निहित हैं।

सार्क का बनना कांग्रेस की विदेश नीति की बड़ी सफलता मानी गयी।
पाक नहीं चाहता था कि सार्क बने।
दिलचस्प बात है सार्क को बेकार बनाने का अमेरिकी लक्ष्य मोदी-शरीफ मिलकर पूरा कर रहे हैं।
ये दोनों अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इशारे पर सार्क और इसी तरह के दूसरे मंचों को तोड़ने में लगे हैं। इस काम को पाक पहले भी करता था लेकिन भारत की मेच्योर भूमिका रहती थी।
मोदीजी के पीएम बनने के बाद अमेरिकी इशारे पर हमारी विदेशनीति उसी मार्ग पर चल पड़ी है जहां अमेरिका, पाक को ले गया।

मोदीजी भी विदेशनीति को पाक के मार्ग पर ले जा रहे हैं।
मोदी सरकार का सार्क के मंच को समृद्ध करने की बजाय उसे खोखला बनाने का प्रयास भारत के हितों को नुकसान पहुँचाएगा।
सार्क को हमने बनाया, हम उसे सार्थक बनाएं, लेकिन मोदी सरकार ने सार्क को भारत बनाम पाक की जंग का मैदान बनाकर विदेशनीति में भीतरघात किया है। इस पहलू को विपक्ष क्यों नहीं उठा रहा, कांग्रेस चुप क्यों है?

क्या कांग्रेस ने तय कर लिया है कि वह भाजपा की जीरोक्स कॉपी पार्टी बनेगी?
यदि ऐसा होता है तो यह शर्मनाक होगा। यह कांग्रेस को प्रतिक्रियावादी दल बनाने की दिशा में ले जाएगा। विदेश नीति के मामलों पर समग्रता में मोदी सरकार को बेनकाब करने की जरूरत है।
(जगदीश्वर चतुर्वेदी की फेसबुक पोस्ट्स का समुच्चय)