सुनील भाई की याद में श्रद्धांजलि सभा
सिंगरौली। 28 अप्रैल 2014। प्रख्यात समाजवादी नेता, चिंतक सुनील भाई की याद में महान संघर्ष समिति की तरफ से अमिलिया में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। 21 अप्रैल को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसे ली। वे समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री थे तथा मध्यप्रदेश में गरीबों-आदिवासियों के अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्षरत थे। साथ ही, वे सामायिक वार्ता जैसे ज्वलंत मुद्दे पर आधारित पत्रिका का लंबे समय से संपादन कर रहे थे।
उनके साथी रहे अवधेश भाई ने उन्हें याद करते हुए कहा कि, “सुनील भाई अपने सिद्धांत के कट्टर व्यक्ति थे। जेएनयू जैसे बड़े विश्वविद्यालय से पढ़ने के बावजूद नौकरशाह नहीं बने बल्कि केसला में जाकर लोगों के लिए काम किया। सिंगरौली को लेकर उनकी चिंताएँ हमेशा बनी हुई थी। इसलिए उनके निधन से सिंगरौली को निजी क्षति हुई है”।
इस अवसर पर बोलते हुए महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई ने कहा कि, “सुनील भाई भले बहुत शांत प्रकृति के इंसान थे लेकिन अपने सिद्धांतों के प्रति कठोर रहते थे। उन्होंने हमेशा बड़े बांधों, कोयला और परमाणु ऊर्जा, शिक्षा के अधिकार आदि मुद्दों पर निजीकरण का विरोध किया। महान की लड़ाई को लगातार उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। महान संघर्ष समिति द्वारा 4 अगस्त 2013 को आयोजित वनाधिकार सम्मेलन में उन्होंने शामिल होकर हमें मार्गदर्शन भी दिया था। उन्हीं के मार्गदर्शन में समिति एक संगठन का रुप ले सका। आज भले वो हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनका बताया रास्ता हमारे सामने है जिसपर हम शांतिपूर्वक चलते हुए अपने संघर्ष को जारी रखेंगे”।
लोकविद्या के रविशेखर ने कहा कि, “आज विश्वविद्यालय से तीन तरह के लोग निकलते हैं। एक जो फैक्ट्री लगाते हैं, दूसरा जो बेहतर दुनिया बनाने की बात करते हैं और तीसरा वो जो खुद संघर्ष कर एक बेहतर दुनिया बनाने की मुहिम में जुटते हैं। सुनील भाई इसी तीसरे श्रेणी के व्यक्ति थे, जो सिर्फ कॉलेज में बात ही नहीं करते रहे बल्कि बाहर निकलकर लोगों के संघर्ष के साथी बने। लोहिया के बाद सुनील भाई अपने समकक्षों में सबसे बड़े समाजवादी नेता थे”।
इस अवसर पर समाजवादी नेता लक्ष्मीचन्द्र दुबे ने कहा कि, “सच्चाई और ईमानदारी में बहुत बड़ी ताकत है। सुनील भाई जैसे महापुरुष ने समाज के दबे-कुचले वर्ग को ताकत देने का काम किया”।
महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता विरेन्द्र सिंह ने सुनील भाई को एक अच्छा संपादक बताते हुए कहा कि “वे उनके द्वारा संपादित सामायिक वार्ता के नियमित पाठक हैं”।
इस अवसर पर सिंगरौली के किसान आदिवासी विस्थापित मंच की तरफ से अंबिका नामदेव, कृपानाथ, जगनारायण साह, हरदयाल सिंह, हीरामणी आदि ने भी सुनील भाई को याद करते हुए अपनी-अपनी बातें रखी।