सी बी आर नहीं रहे
रतलाम ने समर्पित, सजग और निष्ठावान कामरेडों की एक पूरी पीढ़ी दी है। सीबीआर -कामरेड चतुर्भुज राठौर - इसी पीढ़ी के एक अनूठे व्यक्तित्व थे ।

वे बीस साल तक मप्र तृतीय वर्ग शासकीय संघ के जिला सचिव और पांच वर्ष तक इसके प्रांतीय सचिव रहे। फिलवक्त वे पेंशनर्स असोशियेशनके जिला अध्यक्ष और संभागीय सचिव थेे।
मगर यह परिचय काफी नहीं है। सिर्फ दो उल्लेख काफी हैंं; एक, एक पैर में जन्मजात विकलांगता के बावजूद वे पूरे रतलाम में साइकिल से जाकर पार्टी साहित्य पहुंचाते थे और जब तक शरीर ने थोडा सा भी साथ दिया तब तक करीबन 100 लोकलहर लगाते थे !! दूसरा यह कि वे रतलाम की उस मार्क्सवादी पीढ़ी से थे, जिसने सामाजिक सुधार की लड़ाई अपने घर से शुरू की । उन्होंने उस जमाने में अपने बच्चों का अंतर्जातीय विवाह किया था।
कम्युनिस्ट होना, सो भी रतलाम में वह भी सरकारी नौकरी में रहते हुए : और आखिर तक कम्युनिस्ट बने रहना सच में बड़ी बात है। सलाम सीबीआर - लाल सलाम।
बादल सरोज
बादल सरोज, लेखक भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की मध्यप्रदेश इकाई के सचिव हैं।