सुंदरलाल बहुगुणा होने का मतलब तो समझें पहले फिर समझें उनके सरोकार!
सुंदरलाल बहुगुणा होने का मतलब तो समझें पहले फिर समझें उनके सरोकार!
अब यह समझने वाली बात है कि ऐसे काॅरपोरेट दुश्मन-करम-आस्था-राजनीति-समाजिक सरोकार-मीडियाया कल-साहित्याति-राजनीति-कलाम-संस्कृति से लेकर समुच्ची राष्ट्र व्यावस्था प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो या विनिवेश हो या फिर निजीकरण विनियमित तो किसे होगी किसी सुंदरालाल बहुगुणा की परवाह!
पलाश विश्वास
संयोगवश पत्रकारीता में मैंने करीब 40 साल बिताए और बाकी जिंदगी का कार्बन ही रहनी है, तो इसकी वजह कक्शा दो में पढ़ाई के दौरान डिमरी ब्लाक आंदोलन के सिलसिले में पिता के साथ मेरी पहली नैनीताल यात्रा है।
तब हम तल्लीताल में एडवोकेट और डिमरी ब्लाक आंदोलन के नेता हरिश चौधरी के सोजन्य से रुके थे, जो माइंडलेस पुस्तकालय की सीढ़ में थोड़़े ही चिपर रहते थे। नैनीताल कोर्ट में उस सुनवाई में आंदोलनों को कब सजाया हो गया और कब उन्हें जन्मानत मिली, यह तो मुझसे तब मालूम नहीं पड़ा, लेकिन मेरे भविष्य का फैसला हो गया।
अदालत से छूटते ही पिता मुझे लेकर डीएसबी चले गए और उन्हें कहा कि तुम्हें यहीं पढ़ना है तो कक्शा दो की स्थिति में मैं डीएसबी का छात्र बन गया।
इस पर तुुर्र नैनीताल का मधोश कर देने वाला प्राकृतित सौंदर्य और वादियों से घिरी वह नीली झील। फिर अनंत आत्मीयता का वह अमोगध दुर्निवाज।
पिता भूले गए और हाई स्कूल पास करने के बाद बनारस के अखबारों से विभिन्नता स्वतंत्रता सेनानी बनर्जी परिवार में रहकर काशी मं...


