सुनो मोदी ! इंदिरा गांधी एक हीरो और देशभक्त की तरह कुर्बान हुईं

यह श्रीमती गांधी ही थी जिन्होंने श्रीनगर के सैंट्रल लॉन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की वापसी के लिए पूर्ण समर्थन की घोषणा की

पैंथर्स सुप्रीमो ने मोदी के इंदिरा गांधी पर हमले को चुनौती देते हुए समाज के लिए बेतुका व अस्वीकार्य बताया

नेशनल पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो एवं 15 वर्षों से अधिक समय तक जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक रहे प्रो.भीमसिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए प्रजातंत्र को मजबूती देने के लिए उनके राजनीतिक योगदान पर आरोपों को खारिज कर दिया।



उन्होंने कहा कि 1971 में पाकिस्तान पर भारत की जीत अद्वितीय एवं ऐतिहासिक थी। यह श्रीमती इंदिरा गांधी ही थी जिनके बांग्लादेश के नागरिकों की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए मजबूत संकल्प के कारण बग्लादेश अस्तित्व में आया। यह श्रीमती इंदिरा गांधी की वास्तविक जीत थी, जो उस समय कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रही थीं। यह श्रीमती इंदिरा गांधी ही थी, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान की दुश्मनी की तलवार से बचाया। उन्होंने 1975 में कश्मीर के निर्विवाद नेता शेख अब्दुल्ला को काबू में किया। 1977 में जम्मू-कश्मीर में तिरंगा ध्वज फहराया गया था, जब शेख अब्दुल्ला इंदिरा गांधी के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री बने। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग राष्ट्रीय ध्वज और लोकतंत्र के प्रति उस समय तक वचनबद्ध थे, जब तक जम्मू-कश्मीर में सत्ता की बागडोर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के हाथ में नहीं आयी।

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उन्होंने कहा कि यह श्रीमती गांधी ही थी जिन्होंने श्रीनगर के सैंट्रल लॉन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की वापसी के लिए पूर्ण समर्थन की घोषणा की।

यह श्रीमती इंदिरा ही थी जिन्होंने प्रजातंत्र को बचाने, कानून के शासन को कायम रखने के लिए आपातकाल की घोषणा की, हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि आपातकाल के दौरान कुछ गलतियां भी हुई हैं। युवा कांगेस ने, जिसके (भीमसिंह) महासचिव थे, भारत कुटिल समाज के कल्याण और विकास के लिए पूरी वचनबद्धता के साथ काम किया। आरएसएस जैसे कई समूह स्वेच्छा से युवा कांग्रेस में शामिल हुए, जिसका मैं खुद गवाह हूं। उनमें से कई अलग-अलग राज्यों में विधायक बन चुके हैं।

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उन्होंने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में उस समय आपातकाल लगाया, जब पूरे देश को कई राजनेताओं/व्यापारियों से खतरा था और देश की ट्रेनों और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली ठप हो गयी थी। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें कुछ ठगों की वजह से आसमान छू रही थीं। यह उनका साहसिक काम था, जब वह शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जनाजे में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय ध्वज के साथ पहुंची। वह धमकियों के बावजूद कब्रिस्तान भी पहुंची।

उन्होंने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी एक हीरो और देशभक्त की तरह कुर्बान हुईं, जिन्होंने अपनी जिंदगी अपनी मातृभूमि पर न्यौछावर कर दी। वह हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगी।

यह श्रीमती गांधी थी जिन्होंने पंजाब को कुछ नाराज युवाओं के क्रोध से बचाया था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने पंजाब को बचाया, जिससे इस देश को विदेशी षड्यंत्र से बचाया गया, जब भारतीय सेना ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए निर्दोष लोगों को केंद्र सरकार के आदेश पर बचाने के लिए मार्च किया। यह बेहद मुश्किल मिशन था, फिर भी उस समय स्वर्ण मंदिर, पूरे पंजाब और देश को विदेशी शक्तियों की साजिश से बचाने के लिए जरूरी था। यह अकेली श्रीमती गांधी थी जो पूरे देश की रक्षा में उस कठिन ‘आप्रेशन ब्ल्यू स्टार‘ की भूमिका निभा सकती थी।




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