30 सितम्बर को राज्यव्यापी आन्दोलन
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि सूखा से निपटने के प्रति रमन सरकार में ' समझ का अकाल ' है। यही कारण है कि आज हुई कैबिनेट की बैठक के निर्णयों से आम जनता को कोई राहत नहीं पहुंचने वाली है। माकपा ने कहा है कि जरूरत इस बात की है कि पूरे प्रदेश को सूखा ग्रस्त घोषित किया जाए और युद्ध स्तर पर रोजगार, पेयजल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा किसानों को क़र्ज़ से राहत देने के कदम उठायें जाएं।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि भाजपा सरकार की जनविरोधी-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आज से माकपा का राजनैतिक अभियान शुरू हो गया है। पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर आज सरकार को ज्ञापन सौंपे गए हैं। 30 सितम्बर को राज्यव्यापी आन्दोलन संगठित किया जायेगा।
माकपा नेता ने आरोप लगाया है कि भयंकर सूखे के बावजूद राज्य सरकार जल स्रोतों तथा जल संसाधनों के औद्योगिक- व्यापारिक उपयोग पर रोक लगाने से इनकार कर रही है। मनरेगा के कामों के लिए मोदी सरकार ने पर्याप्त फण्ड आबंटन नहीं किया है, जिससे रमन सरकार की घोषणाएं दिखावा बनकर रह गयी हैं। उन्होंने कहा कि अकाल से निपटने के लिए जरूरी है कि किसानों की फसल को अपने वादे के अनुसार सरकार बोनस सहित 2400 रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदें तथा किसानों से क़र्ज़ वसूली पर रोक लगे।
माकपा ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक करने की मांग करते हुए प्रति परिवार 35 किलो अनाज आबंटन की भी मांग की. पार्टी ने कहा है कि अकाल प्रभावित परिवारों के बच्चों की स्कूल-कालेजों की फीस माफ़ होनी चाहिए तथा अबीमित किसानों को भी बर्बाद फसल का मुआवजा दिया जाना चाहिए.
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