नई दिल्ली, 22 अगस्त 2019 : बदलती जीवन शैली (Changing lifestyles) के साथ खानपान के तौर-तरीके (Catering Methods) बदल रहे हैं और डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों का उपयोग (Use of canned food products) लगातार बढ़ रहा है। लेकिन, एक नए वैश्विक सर्वेक्षण में भारतीय डिब्बाबंद खाद्य उत्पाद और पेय सेहत के लिहाज से सबसे निचले पायदान पर पाए गए हैं।

दुनिया के 12 देशों में चार लाख से अधिक खाद्य एवं पेय उत्पादों का विश्लेषण करने के बाद द जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ (The George Institute of Global Health) के शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। भारतीय डिब्बाबंद खाद्य एवं पेय उत्पादों में ऊर्जा का औसत स्तर सबसे अधिक 1515 किलोजूल/प्रति ग्राम और दक्षिण अफ्रीकी खाद्य उत्पादों में सबसे कम 1044 किलोजूल/प्रति ग्राम दर्ज किया गया है।

इस सर्वेक्षण में ब्रिटेन के डिब्बाबंद खाद्य उत्पाद सबसे अधिक गुणवत्तापूर्ण पाए गए हैं। सेहतमंद डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों के मामले में अमेरिका दूसरे और ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर है। ब्रिटेन को सर्वाधिक 2.83, अमेरिका को 2.82 और ऑस्ट्रेलिया को 2.81 हेल्थ स्टार रेटिंग दी गई है। चीन की 2.44 हेल्थ रेटिंग के बाद भारत को सबसे कम 2.27 रेटिंग मिली है। चिली को 2.44 हेल्थ रेटिंग के साथ नीचे से तीसरे पायदान पर रखा गया है।

यह सर्वेक्षण डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में चीनी, संतृप्त वसा, नमक और कैलोरी जैसे तत्वों के उच्च स्तर पर आधारित है।

अध्ययनकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया की हेल्थ स्टार रेटिंग प्रणाली (Australia's Health Star rating system) की मदद से देशों की रैंकिंग की है। इस प्रणाली का उपयोग ऊर्जा, नमक, चीनी, संतृप्त वसा के साथ प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर जैसे पोषक तत्वों के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। इसके आधार पर ½ (सबसे कम सेहतमंद) से 5 स्टार (सर्वाधिक सेहतमंद) की रेटिंग दी जाती है।

द जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ, इंडिया के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर विवेकानंद झा ने बताया कि

“भारत जैसे देश के लिए यह अध्ययन एक चेतावनी है, जहां छोटे शहरों एवं गांवों में भी डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इससे जुड़े संभावित खतरों से बचाव के लिए नीति-निर्माताओं और फूड इंस्ट्री को मिलकर पहल करनी होगी ताकि डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों को अधिक सेहतमंद बनाया जा सके।”

शोधकर्ताओं में शामिल डॉ एलिजाबेथ डन्फॉर्ड ने बताया कि

“इस अध्ययन के नतीजे चिंताजनक हैं क्योंकि सुपरमार्केट ऐसे उत्पादों से भरे हुए हैं और प्रसंसस्कृत उत्पादों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है। इन उत्पादों में वसा, नमक और चीना का अत्यधिक स्तर होता है, जो बीमारियों को बढ़ावा दे सकते हैं। कई निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में डिब्बाबंद खाद्य उत्पाद खानपान संबंधी बीमारियों के बोझ को दोगुना कर सकते हैं।”

जॉर्ज इंस्टीट्यूट, ऑस्ट्रेलिया के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर ब्रूस नील ने कहा कि

"डिब्बाबंद उत्पाद खाद्य आपूर्ति में हावी हो रहे हैं, जो चिंता का प्रमुख कारण है। हमें ऐसे रास्ते खोजने होंगे, जिससे खाद्य उद्योग गुणवत्ताहीन जंक फूड परोसने के बजाय पोषक तत्वों की तर्कसंगत एवं संतुलित मात्रा वाले खाद्य उत्पादों की बिक्री करने से लाभान्वित हो सके।" इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका ओबेसिटी रिव्यूज में प्रकाशित किए गए हैं।

उमाशंकर मिश्र

(इंडिया साइंस वायर)