राजीव नयन बहुगुणा

चप्पल, झोला, चश्मा, माचिस

जोगी की इतनी जागीर
कुछ मुंह से खाते हैं
कुछ मुंह की खाते हैं
हे निखण्या बागी, हे खरण्या बागी
कनु फुटी कपाल, उत्यरि को बाजु लागी
हे उजड़या बागी
पल्या ह्यूंद चुनाव होण था
छोरा नी सकी जागी
सुनहरी अवसर

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देहरादून, मसूरी, दिल्ली आदि में विधायकों की खरीद-बिक्री के लिए दलाल और नेता मारे-मारे घूम रहे हैं। जवानों, देखते क्या हो, ताक में रहो। जेब में लाल मिर्ची की बुकनी रखो। देखते ही झोंको और बैग झपट कर नौ दो ग्यारह हो जाओ। रेसिस्ट करे, तो बाल खींच कर अंडकोष पर लात जमाओ। यह माफिया का पैसा है। राज्य में तबाही लाएगा। उस धन से एक समांतर विधायक निधि बनाओ। क्रेता और विक्रेता, दोनों की पहचान करो। बाहर से यहां आये संदिग्ध व्यक्तियों पर कड़ी नज़र रखो।

भागे विपन्न हो समर छोड़ ग्लानि से निमज्जित धूर्तराज

- दिनकर, रश्मि रथी

कुकर्यो न कर, सुंगर्यो न कर
द्यबतौँ से डर
कुप्पथ न खा, भौं कुछ न घुळ
भकाली गेर, अर पूठा लगला छाड़ा
या द्वी दिन की छ चर पसर
जनता से डर, ख्ंकळ्यो न कर
सीसी भरी गुलाब की, पत्थर पे तोड़ दूँ
ख़त लिखा है खून से, स्याही न समझना
बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय
काम बिगाड़े आपने, जग में होत हंसाय
मक्खी बैठी शहद पर, पंख दिए लपटाय
दास मलूका कह गए लालच बुरी बलाय
जीभ हमारी लटपटी बोल बोल्द बिकराळ
आफु लुकि जांदी भितर, जुत्ता खान्दु कपाळ

मानव देह के अस्थि विहीन दो अंग सार्वजनिक जीवन में बड़ी-बड़ी आपदाओं का कारण बनते हैं। ज़बान फिसलने से हरीश रावत पर कहर टूटा, तो अमुक अंग की फिसलन से वृद्ध तिवारी की लाट साहबी गयी।
भ्रष्टाचार तो खैर राज्य गठन के उपरान्त से ही यहां राजनीति का एक आवश्यक अंग सा बन गया है। इसका समाधान किसी एक मुख्यमंत्री या सरकार को अपदस्थ करना नहीं, अपितु बुनियाद पर प्रहार करना है। सर्व प्रथम यहां के मतदाता की चन्द्रायण करनी होगी, जो भ्रष्ट हो चुका है।
अब स्टिंग की बात। पहले वाले स्टिंग का सर्वाधिक तिक्त पक्ष वह है, जिसमें हरीश रावत कहते हैं, कि मेरे पास तो सिर्फ 5 करोड़ हैं। आज जिसके पास भी एक मकान, एक प्लाट, एक अच्छी गाड़ी और कुछ बैंक बैलेंस है, वह पांच करोड़ का स्वामी है। इस तरह यदि 1980 से कई बार सांसद, मंत्री और मुख्य मंत्री रहने के बाद भी यदि हरीश रावत के पास सिर्फ 5 करोड़ ही हैं, तो उन्हें ईमानदार नेता माना जाना चाहिए।
अब स्टिंगकर्ता की बात। पिछले 40 वर्ष से पत्रकारिता में सक्रिय रहने के उपरान्त मेरी दृढ़ मान्यता है कि स्टिंग कोई पत्रकारिता नहीं, अपितु चोरी और ब्लैक मेलिंग है। राज्य में यह प्रवृत्ति पनप रही है। पश्चिम में इन्हें पोपराज़ी कहते हैं, और इनकी वजह से कईयों का सामाजिक, राजनितिक और पारिवारिक जीवन नष्ट हो चूका है। युव राज्ञी डायना की दर्द नाक मौत इसका उदाहरण है। कई देशों में पोपराज़ी बैन हैं। उत्तराखण्ड में भी यदि ब्लैकमेलिंग की राजनीति थामनी है, तो इन पोपराज़ियों को पकड़ कर इनके गुदा में पेट्रोल में भीगा रुई का फाया लगा कर भगाना होगा।