हथियारों के कारोबार का शांति और प्रगति से क्या नाता है
हथियारों के कारोबार का शांति और प्रगति से क्या नाता है
संगीतबद्ध हो गयी आज की सुबह।
फोन पर अशोक जयसिंघानी ने बच्चों की आवाज में गीत सुनाया और कहा कि इसे जेल में गा सकते हैं और अब जेलयात्रा कभी भी संभव है।
पूरा देश जेलखाना है, ऐसा हम जयसिंघानी जी को बता नहीं सकते।
मनचाहा राजकाज निबट जाने के बाद राजनीति का साध्वी जिहाद का अंजाम यह कि साध्वी निरंजन ज्योति की विवादास्पद टिप्पणियों के मुद्दे पर राज्यसभा में पिछले एक सप्ताह से चला आ रहा गतिरोध आज सभापति द्वारा एक प्रस्ताव पढ़ने के बाद समाप्त हो गया।
इसी बीच विपक्ष की गैरहाजिरी में कारपोरेट केसरिया हित में एक झटके से 1382 कानून अप्रासंगिक बताकर राजकाज तेज करने के लिए खत्म कर दिये गये हैं, हमने इस पर लिखा भी है। लेकिन हमें अभी नहीं मालूम कि उन कौन कानून खत्म हैं और राजकाज उनसे कैसे बाधित हो रहा था। उनके खत्म होने का सीधा फायदा किन्हें है।
संसद और संसद के बाहर कोई पूछने वाला भी नहीं है। बहरहाल साध्वी चुनाव प्रचार करेंगी दिल्ली में और संसद भी बहाल है।
इसी बीच चेन्नई से खबर है कि छह महीने पहले भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली एमडीएमके ने अपना नाता तोड़ लिया है। पार्टी की बैठक में एनडीए से अपना नाता तोड़ने का प्रस्ताव पारित किया है।
एमडीएमके ने दावा किया है कि गठबंधन में शामिल होने के दौरान पीएम मोदी सहित सभी भाजपा नेताओं ने स्वीकार किया था कि वे श्रीलंका का समर्थन नहीं करेंगे, लेकिन वे लोग दोबारा वापिस अपने ट्रैक पर आ गए। भाजपा तमिलों के खिलाफ काम करती रही है। मोदी ने राजपक्षे को चुनाव के लिए बधाई दी है।
अगर यह सच है तो पहेली यह है कि बाकी तामिल राजनीति क्यों केसरिया है।
इन्हीं परिस्थितियों के बीच आज सुबह ही पुणे से अशोक जयसिंघानी का फोन आया और कहा उन्होंने हम लोग जो लिख बोल रहे हैं, वह तो खुल्ला खेल है। तमाशा पुराना है।
उन्होंने कहा कि सारे समझदार लोग जानते हैं।
सही कहा है उन्होंने हमने तो एफडीआई को डालर छापने के मोदी उपक्रम बतौर चिन्हित भी किया है और औपनिवेशिक ब्रिटिश राजकाज का हवाला देकर औपनिवेशिक जमाने में नोट छापकर लूटने के खिलाफ बाबासाहेब के शोध का हवाला भी दिया है। जाहिर है कि हम नया कुछ भी नहीं कह रहे हैं। प्राब्लम आफ रुपी न पढ़ा हो तो पढ़ लीजिये तुरंत।
हम इसका क्या इलाज निकालें कि इस देश के सबसे बड़े अर्थशास्त्री के नजदीकी रिश्तेदार इल्युमिनेटी और जायनी घराने से हैं और वे हिंदुत्व का शास्त्रीय राग अलाप रहे हैं।
समझने वाली बात यह भी है कि नोबेल पुरस्कार जिस नोबेल महाशय के नाम है, वे डायनामाइट के आविष्कारक हैं और हथियारों का उनका कारोबार है।
हथियारों के कारोबार का शांति और प्रगति से क्या नाता है, इसका खुलासा वियतनाम के कसाई हेनरी कीसिंजर और बाराक ओबामा को मिले नोबेल शांति पुरस्कारों की दास्तां है।
हम क्या करें कि इस देश में आम नागरिकों की सुनवाई होती ही नहीं और न भीड़ में किसी चेहरे की कोई पहचान होती है।
आलोकित मंच से सुभाषित सूक्तियों से हम देश और समय की नब्ज बूझने की कवायद करते हुए तजिंदगी गुलामी ही जीते हैं।
आपस में हम संवादहीनता के रिश्ते निभाते हुए आग के दरिया से हजारों कोस दूर रहते हैं जबकि उस आग के दरिया को पार किये बिना मुहब्बत होगी नहीं।
O- पलाश विश्वास


