हम जैसे साधारण पत्रकार सत्ता की धौंस या किसी 'आतंक' से नहीं डरते। जब तक सांस है, सेक्युलर लोकतांत्रिक भारत और उसकी अवाम के पक्ष में लिखते-बोलते रहेंगे।

आप में से जिन मित्रों ने मुझे किसी चैनल पर बहस में हिस्सेदारी करते देखा है, उनमें शायद ही कोई कहेगा कि मैं बहस के किसी अन्य हिस्सेदार को किसी तरह डिस्टर्ब करता हूं। मेरी कोशिश होती है कि सभी मुक्त भाव से अपनी-अपनी बात कहें। कोई मेरी बात से असहमत हो सकता है पर कोई मुझे बोलने न दे,यह कत्तई अच्छा नहीं लगता मुझे।

पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ। आज ' न्यूज नेशन ' पर भाजपा के प्रवक्ता और पूर्व सैफोलाजिस्ट जीवीएल नरसिंह राव बार-बार मेरी टिप्पणी में दखल देते रहे। यह अच्छा नहीं लगा।

मैंने अपना विरोध जताया और उन्हें याद भी दिलाया कि हम जैसे साधारण पत्रकार सत्ता की धौंस या किसी 'आतंक' से नहीं डरते। जब तक सांस है, सेक्युलर लोकतांत्रिक भारत और उसकी अवाम के पक्ष में लिखते-बोलते रहेंगे।

(अपनी फेसबुक वॉल पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश जी का स्टेटस}