हम ‘पेटीएम’ राष्‍ट्रवाद के दौर में जी रहे हैं, यह मानसिक आपातकाल का भी दौर है
छद्म राष्‍ट्रवाद के खिलाफ सब एक साथ आएं - एनएपीएम
जन आन्‍दोलनों का राष्‍ट्रीय समन्‍वय के 11वें राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का दूसरा दिन

पटना, 4 दिसम्‍बर। देश में बढ़ती जाति आ‍धारित और साम्‍प्रदायिक हिंसा से लड़ने के लिए जाति-वर्ग और लिंग से परे व्‍यापक एकजुटता की जरूरत है। यह वक्‍त की मांग है। यह एकजुटता इसलिए भी जरूरी है ताकि मुल्‍क को छद्म राष्‍ट्रवाद के उन्‍माद से बचाया जा सके।
यह अपील मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार तीस्‍ता सेतलवाड, दलित नेता जिग्‍नेश मेवानी, वरिष्‍ठ पत्रकार नासिरूद्दीन, शैलेन्‍द्र और अन्‍य लोगों ने शनिवार को पटना के अंजुमन इस्‍लामिया हॉल में आयोजित जन आन्‍दोलनों का राष्‍ट्रीय समन्‍वय के 11वें राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के दूसरे दिन की।
ये सभी सम्‍मेलन के तहत ‘दादरी से उना तक: आक्रामक हिन्‍दुत्‍व की राजनीति, जाति का खात्‍मा, विश्‍वविद्यालयों की स्‍वायत्‍तता पर हमला, साम्‍प्रदायिकता’ विषय पर आयोजित विशेष परिचर्चा में शामिल थे।

हम एक अघोषित आपातकाल में रह रहे हैं: तीस्‍ता
मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार तीस्‍ता सीतलवाड ने अपनी बात की शुरुआत भोपाल गैस कांड के पीडि़तों को याद करते हुए की।
तीस्‍ता ने कहा कि हम सब एक अघोषित आपातकाल में जी रहे हैं। इसके जरिए महिला, मुसलमान, दलित और आदिवासियों जैसे हाशिए पर डाल दिए गए समुदायों पर गो रक्षा, लव जिहाद और घर वापसी जैसे हथियारों से हमला किया जा रहा है।
उन्‍होंने कहा कि असुरक्षा और असंतोष के इस माहौल के बारे में मीडिया में ज्‍यादातर चुप्‍पी है।
उन्‍होंने देश भर के अलग-अलग विश्‍वविद्यालयों में चल रहे स्‍टूडेंट आन्‍दोलन को याद करते हुए कहा कि ये सभी फासीवादी, जातिवादी हिन्‍दुत्‍ववादी सत्‍ता के विरोध में मजबूत आवाज हैं।

वक्‍त की मांग है कि सामाजिक हस्‍तक्षेप तेज किए जाएं : श्‍याम रजक
बिहार में सत्‍ताधारी जनता दल (यू) के श्‍याम रजक ने कहा कि जिन लोगों के पास संसाधन है, वे उसके जोर पर आमजन पर चौतरफा हमला कर रहे हैं। जब देश में किसान आत्‍महत्‍या, मजदूर कुपोषण से मर रहे हैं और दलितों के साथ भेदभाव और अत्‍याचार हो रहा है, तब मौजूदा केन्‍द्र सरकार सिर्फ शौचालय बनाने और गंगा को साफ करने की बात कर रही है। जन आन्‍दोलनों के हस्‍तक्षेप से ही सामाजिक बदलाव मुमकिन है।
छपरा के गोविंद ने दलितों पर होने वाले अत्‍याचार की दास्‍तान सुनाई
छपरा के युवा दलित गोविंद ने अपने और अपने परिवार के साथ हुए जुल्‍म की रोंगटे खड़े करने वाली दास्‍तान सुनाई।
उन्‍होंने बताया कि किस तरह ऊंची जाति के लोगों ने पहले मरी हुई गाय को हटाने को कहा और फिर उन लोगों ने इस मुद्दे पर जबरन लड़ाई की। उसे और उसके परिवार वालों को पूरे गांव ने मिलकट पीटा। पुलिस ने गांव के दबंगों के दबाव में उलटे इन लोगों पर ही मुकदमा कर दिया। सबसे खतरनाक बात है कि लोग इसके खिलाफ बोलने से डर रहे हैं।

भाजपा, आरएसएस, एबीवीपी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा : जिग्‍नेश
गुजरात में दलित आन्‍दोलन के चेहरा बने नौजवान कार्यकर्ता जिग्‍नेश मेवानी ने कहा दादरी में गो हत्‍या के नाम पर अखलाक की हत्‍या, अहमदाबाद में कथित गोरक्षकों द्वारा मोहम्‍मद अयूब की हत्‍या, उना में दलितों की पिटाई, भोपाल में फर्जी मुठभेड़ और जेएनयू के नजीब का गायब हो जाना- ये सभी घटनाएं बता रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (आरएसएस), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
उन्‍होंने कहा कि इनका एजेंडा संविधान की जगह मनुस्‍मृति का शासन लाना है।
जिग्‍नेश ने कहा कि दलित आंदोलन को नारों से आगे आकर जमीन पर हक की लड़ाई लड़नी होगी।
उन्‍होंने गुजरात के विकास के जन विरोधी मॉडल का पर्दाफाश करने की अपील की और कहा कि हम गुजरात में होने वाले निवेशकों के सम्‍मेलन का विरोध करेंगे।

जाति-वर्ग और लिंग के दायरे में चल रहे संघर्षों के साथ जुड़ें : कविता
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ (एपवा) की कविता कृष्‍णन ने कहा कि पितृसत्‍ता एक ऐसा घर है जिसमें साम्‍प्रदायिकता, फासीवाद और हर तरह की हिंसा को अच्‍छी जगह मिलती है। हमें सिर्फ बचाव की मुद्रा में नहीं रहना चाहिए। हमें आक्रामक होकर चुनौतियों को स्‍वीकार करना चाहिए। हमें अपने आंदोलन में जाति-वर्ग और लिंग के दायरे में चल रहे संघर्षों को साथ लेना होगा।
असली भारत माता तो आम दुखियारी भारतीय स्‍त्री है: शैलेन्‍द्र
भारत माता के नाम पर राष्‍ट्रवाद का उन्‍माद पैदा करने की कोशिश पर करारी चोट करते हुए इप्‍टा के शैलेन्‍द्र ने कहा कि असली भारत माता तो आम भारतीय स्‍त्री है। यह असली माता भूख और तकलीफ में जी रही है।

वरिष्‍ठ पत्रकार नासिरूद्दीन ने कहा कि हम ‘पेटीएम’ राष्‍ट्रवाद के दौर में जी रहे हैं।
यह मानसिक आपातकाल का भी दौर है। इस राष्‍ट्रवाद में महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, ट्रांसजेंडर, मुसलमानों की जगह कहां है।
तमिलनाडु की मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता गैब्रिएल ने कहा कि स्‍त्री के साथ होने वाली नाइंसाफी दूर करने के लिए हर धर्म के निजी कानून में सुधार होना जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि आज के माहौल में महिला आंदोलन यूनिफार्म सिविल कोड की बात नहीं करना चाहता है। हमें इस बारे में सरकार की मंशा पर शक है।
इस मौके पर अरुंधति धुरु, विजयन एमजे, जितेन, उदयन ने भी अपनी बात रखी।
इससे पहले शनिवार सवेरे एनएपीएम के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रभात फेरी निकाली और गांधी मैदान में स्‍थापित गांधी प्रतिमा तक गए। वहां कार्यकर्ताओं ने गांधी के सपनों का भारत बनाने की शपथ ली।