अमित शाह ने कह रखा है कि बंग विजय के बिना भारत विजय अधूरा है।
मुकुल अंदर दाखिल होते न होते दीदी की बारी है। उसीकी तैयारी है।
आजोकाल एक मुश्किल अच्छे दिनों की अजीब है।

दफ्तर आने जाने में वक्त भौत जाया होता है।

दिल्ली रोड मुंबई रोड दोनों पार करके दप्तर से आना जाना।

कल हमारे घर के पास जो सोदपुर रेलवे स्टेशन लांघने को फ्लाईओवर है, उसके बीचोंबीच जोड़ इंसान फर्राटा मराकर मोटर साईकिल दौड़ाते-दौड़ाते ट्रक के नीच कुचले हैं। तो तुरंत यह लाइफ लाइन बंद।

56 नंबर की बस सीधे दिल्ली रोड कनेक्टर तक फेंक कर हावड़ा निकल जाती है बेलुड़ होकर। ब्रिजवा के मुखवा वो मुड़कर निकली तो जल्दी जल्दी दफ्तर पहुंच खातिर हम उमा बइठ गये। दो किमी को चक्कर लगाकर रेलवे क्रासिंग, फेर बीटी रोड।

रेलवे क्रासिंग पर जाकर देखा कुलै ट्रैफिक वहीं फंस गया। कुलै ट्राफिक जाम।

मौसम बेमौसम विकास का जलवा यह कि रस्ता सारा खन दिया।

न आगे और न पीछे जा सके।

झख मारकर पैदल बीटी रोड जाकर डनलपके लिए गिरजा से बस पकड़े तो वे सोदपुर चौराहे तक पहुंचकर बंद हो गयी।

आगे रास्ता फिर जाम।

रात के नौ बज गये तो बीटी रोज से बड़ा पाव लेकर सविताबाबू के दरबार में वापस लौट आये। फिर आसन जमाकर बइठ गये पीसी के सामने।

बीचों में फंसे रहे तो क्या करें, ममझना मुश्किल है।

इधर दीदी कटघरे में हैं।

जाड़ों में मुकुल पतझड़ हो गयो तो अब केसरिया ब्रिगेड बंगाल दखल को मुस्तैद है।

कोलकाता कारपोरेशन दखल वास्ते अमित शाह काफी नहीं। मोदी खुदै आ रहे हैं।

दीदी के मंत्री मतुआ मंजुल के बेचो को केशरिया तोप दिया और वह अब वनगांव लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी हैं।

हिंदुत्व उन्माद के लिए चिड़िया की आंख बंगाल विधानसभा चुनाव है।

अमित शाह ने कह रखा है कि बंग विजय के बिना भारत विजय अधूरा है।

मुकुल अंदर दाखिल होते न होते दीदी की बारी है। उसीकी तैयारी है।

लालू प्रसाद को चारा घोटाले में जेल में भेजे रहि उपेन विश्वास को सीबीआई के मुकाबले दीदी का सिपाहसालार बना दिया गया है और बाकीर राजनीतिक मोर्चाबंदी है और बंगाल को आग लगा देने की पूरी तैयारी है।

नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे जो हैं सो हैं, बाकीर जो कनेक्टर है वहां या तो गड्ढा खना है विकासे खातिर या फिर वसूली है ट्रकों से जबरजंग।

ट्रक वालों को मीलों दूर खबर हो जाती है। जहां तहां ट्रेन सरीखा कंटेनर बीच सड़क में खड़ा करके सो जाते हैं शुतुरमुर्ग की तरह। रास्ता खुल जायी तो डंडा मार मारकर उठाना पड़े।

वातानुकूलित कार तो है नहीं, पुल कार से घर लौटते हुए ट्रकों के काफिले के आगे पीछे रोज खुल जा सिम सिम सिम जाप है।

सर्दी कड़कड़ती है और रास्ते के चारों तरफ अब भी दखल हुई बिन नीली झीलें हैं।

हवा सनसनाती जाये और कारमा शीतलहर जैसा हाल हुआ करे।

नीचे से सर्द हवा फुरफुराते हुए कलेजे तक में बिंध जाये।

एक बजे कि साढ़े बारह बजे भी दफ्तर से रवानगी हो तो मुंबई रोड दिल्ली रोड लांघकर घर आते आते साढ़े तीन चार बजबे करे हैं तो हमारे लिखने पढ़ने का भी बारह बजे है।

यह है हीरक चतुर्भुजवा का हालचाल।

रंग केसरिया है और कमाई भी केसरिया है।

जो रंग की राजनीति है कमाई उसी रंग की ।

न सफेद और न काला।

अमित शाह ठीक ही बोलिस हैं कि मामला जटिल है।

पलाश विश्वास