हिंदुत्व के जुलाब के साथ फासिज्म का बाबा रामदेव का पुत्र जीवक रसायन
हिंदुत्व के जुलाब के साथ फासिज्म का बाबा रामदेव का पुत्र जीवक रसायन
कोई पालिका जीते बिना तृणमूल कांग्रेस से ज्यादा फायदे में है संघ परिवार
मालूम हो कि जिस भूमि आंदोलन की नींव पर तामीर हुआ मां माटी मानुष का ममतामय बंगीय तिलिस्म, उसमें नंदीग्राम और सिंगुर में सेज पर देशी विदेशी पूंजी की सुहागरात मनाने के खिलाफ तेज जनांदोलन तो था ही, उसके साथ ही नंदग्राम के पास ही हरिपुर में परमाणु संयत्र लगाने का मुद्दा भी शामिल था।
सेज का नामकरण निजीकरण को विनिवेश और पीपीपी माडल में तब्दील करने की तरह बल ही रहा है। यह पूरी प्रक्रिया हिंदुत्व के जुलाब के साथ फासिज्म का बाबा रामदेव का पुत्र जीवक रसायन है और सेज अब औद्योगिक गलियारा से लेकर स्मार्ट सिटी के मुकाम पर है। भारत माला के जरिये बिल्डरों, प्रोमोटरों के हवाले की जारी हैं भारत की सीमाएं। रक्षा क्षेत्र में एफडीआई क जरिये देश की सुरक्षा विदेशी पूंजी और विदेशी हितों के हवाले करने वाले देश बेचो हिंदू साम्राज्यवाद के धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की यह लहलहाती सुनहरी केसरिया कारपरेट फसल है।
भूमि अधिग्रहण का विरोध करने वाली ममता बनर्जी लेकिन औद्योगिक गलियारा और स्मार्ट सिटी के खिलाफ नहीं हैं। न ही बंगाल के समुद्र तट को रेडियोएक्टिव बनाने वाले हरिपुर संयंत्र समेत देश के कुल दस नये परमाणु संयंत्रों को मंजूरी देने के फैसले पर उनने अभीतक कोई प्रतिक्रिया दी है।
इसके विपरीत भूमि अधिग्रहण के विरोध की रट लगाये, संघ परिवार के खिलाफ जिहाद के तेवर के साथ मुसलमान वोटरों को अपने पाले में रखकर अपराजेय चुनावी समीकरण साधने वाली दीदी जनसंहारी आर्थिक सुधारों के मोर्चे पर मोदी सरकार की सबसे कारगार सहयोगी बनकर उभरी हैं। राज्यसभा की बाधा दौड़ पार करने में तृणमूल कांग्रेस की संसदीयशक्ति संघ परिवार की पूंजी है। इसीलिए बंगाल में वाम वापसी के बजाय दिनोंदिन संघपरिवार का हिंदुत्वकरण अभियान तेज हुआ जाता है। पालिका चुनावों में भी कोई पालिका जीते बिना तृणमूल कांग्रेस के अलावा में फायदे में है संघ परिवार।
मीडिया रपटों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के नगर निकाय चुनाव होते ही राज्य के जूट मिल मजदूरों पर मुसीबतों का कहर बरपने लगा है। मजदूर दिवस और उसके दूसरे दिन शनिवार को राज्य की कुल पांच जूट मिलें बंद हो गई। जिनमें काम करने वाले करीब 25 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
बंद होने वाली जूट मिलों में कांकीनाड़ा, नाफरचंद्र, विक्टोरिया, इंडिया जूट मिल और महादेव जूट मिल शामिल है। नाफरचंद्र जूटमिल चार दिन पहले ही खुली थी। इसके साथ ही जूटमिल मजदूर न्यूनतम वेतन करार के बाद से राज्य में बंद जूट मिलों की संख्या 10 और बेरोजगार मजदूरों की संख्या करीब 40 हजार हो गई है।
नगर निकायों के चुनाव से पहले राज्य सरकार ने जूट मिल मजदूरों का न्यूनतम वेतन करार कर बंद जूट मिलें खुलवाई थीं। बंद हुए जूट मिलों में से तीन उत्तर 24 परगना जिले और दो हुगली जिले की हैं। दो अप्रेल 2015 को जूट मिल मजदूरों का न्यूनतम वेतन 157 रूपए से बढ़ा कर 257 रूपए किया गया था। करार होने से लेकर एक मई से पहले तक पांच जूट मिल बंद हो गई थी। इसमें से कमरहट्टी की प्रवर्तन जूटमिल चुनाव के दूसरे दिन ही बंद हुई थी।
पलाश विश्वास


