हर स्त्री को द्रोपदी दुर्गति बनाने का योगाभ्यास और अनंत प्रवचन है और लव कार्निवाल है क्योंकि इस पूरे देश में विधर्मी म्लेच्छों और अनार्यों के सफाये का एजेंडा है।
दिल्ली के तख्त पर एक मुगलेआजम ताजनशीं है जो मुहब्बत के खिलाफ है।
फिक्र नाही के तिब्बत से सोना निकालना चालू आहे और शेयरों पर दांव का खुल्ला बाजार हुकूमत है।
फिक्र नाही के इंफ्रास्ट्रक्चर बूम बूम मार्फत, रिएल स्टेट कारोबार मार्फत, ईटेलिंग मार्फत, बेदखली विस्थापन देस निकाला मार्फत, कार्निवाल मुक्तबाजारी मार्फत, डाउ कैमिकल्स और तमामो हजारोहज्जार ईस्ट इंडिया कंपनी मार्फत, हजारों हजार शारदा फर्जीवाड़ मार्फत, बेलगाम बुलरन की सांढ़ संस्कृति मार्फत, अरबपति खरबपति कारपोरेट राजकरण फटा पोस्टर वोट समीकरण देश तोड़ो समाज तोड़ो घर परिवार तोड़ो मुहिमो मार्फत, खेती के बाद बिजनेस इंडस्ट्री विदेशी पूंजी और एफडीआई हवाले करो संघ के हिंदुत्व एजंडा मार्फत, मीडिया की ब्लू संस्कृति मार्फत बेमिसाल कयामत और सुनामी मार्फत रीमिक्स आइटम सांग पंद्रह लखटकिया सूटो मार्फत अडानी के जेट मार्फत अंबानी के तेलवर्चस्व मार्फत आईपीएल और रक्षा सौदा कमीशन स्विस बैंक खाता मार्फत कारपोरेट चंदा और कारपोरेट लाबिंग मार्फत, सैन्यतंत्र, आफसा और सलवा जुडुम मार्फत, आपदाओं विपदाओं मार्फत विकास दर की गरीबी की बदलती परिभाषाओं के मार्फत, आरबीआई की मौद्रिक कवायदों और विदशी रेटिंग बजरिये छलांगा मारती विकास दर मार्फत, कंप्लीट प्राइवेटाइजेशन कंप्लीट प्राइवेटाइजेशन कंप्लीट जिसइंवेस्टमेंट मार्फत इस रोबोटिक बाओमैट्रिक डिजिटल देश में शंहशाह के दरबार में प्याकिया तो डरना किया महफिल है।कि तुमसे हमें खूबैखूब मुहब्बत है, कहेके चाहि बाबुलंद चाहे मुहब्बत हो कि न हो, चाहे तैयारी बलात्कार की हो या निर्मम हत्या की, मुहब्बत का धग्मांतरण कार्निवाल मध्ये गाड सेव दि किंग मध्ये जनगणमन है।
धर्मांतरण उत्सव चालू आहे के लवडे खातिरे वैलेंटाइन कुर्बान मेरी जान है।
तमाम परिंदों के डैने लोहे की बेड़ियों में बंधे हैं कि गानेवाली बुलबुल के कलेजे में धंसा हुआ हिंदुत्व है।
एक अनुवर्तिता से नाराज संघ परिवार गुस्से में है और डाउ कैमिकल्स का ऐलान है दिल्ली के वाटरलू का हश्र चाहे जो है, सो है, दिल्ली मगर उनकी है। हाशिये पर गुजरात नरसंहार, सिख संहार, बाबरी विध्वंस, भोपाल गैस त्रासदी और हरित क्रांति के पीड़ित हैं।
दिल्ली में कोई मुगलेआजम का राज है बै, चैतू, जो नागरिकों के सांझे चूल्हे को परमाणु चूल्हे में तब्दील कर रहा है कि कोई डाउ कैमिकल्स कंपनी है जो आम जनता के लिए पोलोनियम 210 से ज्यादा मारक विष के प्रयोग आर्थिक सुधारों के बहाने कर रही है।
मैं फिर वहीं मुहब्बत के फसाने में हूं और पृथ्वी थिएटर चालू आहे।
इसी थिएटर का आभार जिसे अब थामते थामते हमारी सबसे बड़ी ख्वाहिश रही कहीं रंगकर्म में हमसफर संजना कपूर बूढ़ी हो चली है और विरासत अभी रंग चौपाल के जिम्मे है।
पृथ्वी थिएटर की पेशकश नहीं रही है फिल्म श्री 420, लेकिन मुझे नये सिरे से शेयर बाजार में खड़े खड़े पोंजी लूटखसोट की भारतीय अर्थव्यवस्था में जनसंहारी स्थाई बंदोबस्त के तिलिस्म के बीचोंबीच श्री 420 के प्रेम दर फ्रेम पृथ्वी थिएटर की रुह बोलती नजर आ रही है, जहां मदरिंडिया की हसरतों का कत्ल होते देख रहा हूं और किसी मुगलेआजम की दहाड़ के सिवाय हर आवाज पर लेकिन चाकचौबंद पहरा है।
हिंदुत्व के लिए लव बेहद जरुरी है।
शूद्र दासियों को विष कन्या बनाये जाने की कवायद है।
हर स्त्री को द्रोपदी दुर्गति बनाने का योगाभ्यास और अनंत प्रवचन है और लव कार्निवाल है क्योंकि इस पूरे देश में विधर्मी म्लेच्छों और अनार्यों के सफाये का एजेंडा है।
कि धर्मांतरित हर स्त्री के लिए दस बच्चे या चालीस पिल्ले पैदा करने के फतवे जारी है।
आम आदमी कोई शहजादा सलीम नहीं है और न हर आम आदमी के लिए कोई अनार कली है और ताजमहल बनाने के ईनाम बतौर कटे हुए हाथों पर कोई ताजमहल कभी सजता रहा है कि मुहब्बत इजहार करने की आजादी नहीं है हमारे इस अस्मिताओं में तितर बितर कायनात में।के मुहब्बत से पहले जाति और धर्म के हिसाब निपटाने होते हैं।
न जाने कैसे होगी फिर वही मुहब्बत कि प्यार किया तो डरना क्या वाली जिगर के साथ बजरंगियों और दुर्गाओं के पहरेदारी में कि कहा नहीं कि मुहब्बत है, शादी करने की नौबत होगी संघ परिवार की किसी अंधेरी रोशन गुफा में हर कहीं।
पता नहीं कि किस किससे शादी करनी होगी मुहब्बते के शेयर की खरीददारी के लिए और न जाने किस विदेशी वित्तीय संस्था की आस्था की जरुरत होगी, हमें मुहब्बत है कहने के लिए के इस मुहब्बत खातिर न जाने किस किसको बेचना होगा यह देश बार बार बार।
गनीमत है कि किसी हीर, रांझा, लैला मजनूं, शीरीं फरहाद, सोहनी माहीवाल रोमियो जुलियट को मुहब्बत के लिए देश दांव पर लगाना नहीं पड़ा।
लेकिन अब लविंग किसिंग डे के फैशन में लाखों डालर के शूट और करोड़ की कार, अरब की हवाई उड़ान के तहत किस किस क्लियोपैट्रा, द्रोपदी और हेलेन के लिए अपना यह ग्लोबल विलेज दांव पर लगाना होगा, जिसके लिए डाउ कैमिकल्स का जहर हर किसी के रगों में बह रहा है खून बनकर।
कि पता नहीं कि कब तक सांसों को इजाजत है मुहब्बत कहने के लिए।
#मुक्तबाजारपोंजी
#श्री420
दिल्ली के तख्त पर एक मुगलेआजम ताजनशीं है जो मुहब्बत के खिलाफ है
फिक्र नाही के तिब्बत से सोना निकालना चालू आहे और शेयरों पर दांव का खुल्ला बाजार हुकूमत है, kissing Love Day मुबारक।
#देश के कोने कोने में श्री 420 कारनामा, फिर वहीं शारदा फर्जीवाड़ा राजकरण देश विरुद्धे।