हिंसक भीड़ के समर्थन में न्यायपालिका का आना फासीवाद का संकेत- तीस्ता सीतलवाड़
हिंसक भीड़ के समर्थन में न्यायपालिका का आना फासीवाद का संकेत- तीस्ता सीतलवाड़
अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह
लखनऊ। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा है कि हिंसक भीड़ के समर्थन में न्यायपालिका का आना फासीवाद के आने का संकेत है।
वर्तमान दौर में साम्प्रदायिकता की चुनौतियां और हमारी भूमिका
तीस्ता सीतलवाड़ अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह के अन्तर्गत ‘वर्तमान दौर में साम्प्रदायिकता की चुनौतियां और हमारी भूमिका’ विषय पर जय शंकर प्रसाद सभागार में आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में अपेन विचार व्यक्तकर रही थीं। उन्होंने ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सामने सबड़े बड़ी चुनौती केन्द्र व कुछ राज्यों में बैठी हुई सरकारें है। हम लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है जो कि पूर्णतः गैरसंवैधानिक है। इसके लिए भी हमें अपनी भूमिका तय करनी होगी। यह लड़ाई हम लोग मिलकर ही लड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यू0पी0, कानपुर, हरियाणा व अन्य जगह पर गरीबी, अशिक्षा, उत्पीड़न व अन्य प्रकार के अत्याचार बढ़ रहे हैं। सभी अत्याचारों से लड़ने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के आन्दोलन चलाने होगे और महोल्लों व घरों तक जाना होगा।
कार्यक्रम की शुरूआत में का0 अर्जुन प्रसाद को विभिन्न संगठनो के प्रतिनिधि द्वारा श्रद्वांजलि अर्पित की गयी। प्रसिद्व आलोचक वीरेन्द्र यादव ने का0 अर्जुन प्रसाद के जीवन के विभिन्न पहलू लोगों के बीच में रखे और साम्प्रदायिकता के खिलाफ अर्जुन प्रसाद के रूख को स्पष्ट किया।
कार्यक्रम के अन्त में मनोज पाण्डेय द्वारा लिखित व रिशी श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित लघु फिल्म ‘खाल’ का प्रदर्शन किया गया जिसमें सोम, मण्डल दा, अंकुर, अर्चिता, सचिन, श्रेयष ने भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में शहर के विभिन्न शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन, बैंककर्मी व विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कलम सांस्कृतिक मंच के संयोजक रिशी श्रीवास्तव ने किया।


