हिंसा फैलाने की हिंदू साम्प्रदायिक ताकतों की नई रणनीति का एक हिस्सा है अखलाक की हत्या
हिंसा फैलाने की हिंदू साम्प्रदायिक ताकतों की नई रणनीति का एक हिस्सा है अखलाक की हत्या
उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर जिले की दादरी तहसील के बिसाहड़ा गांव में एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या पर जनहस्तक्षेप की जांच रिपोर्ट
Investigation report of Janhastakshep on the killing of a Muslim man in Bisahada village of Dadri tehsil of Gautam Buddha Nagar district in Uttar Pradesh
नई दिल्ली। शिक्षाविदों एवं पत्रकारों के एक जांच दल ने कहा है कि बिसाहड़ा की घटना छोटे पैमाने पर साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा फैलाने की हिंदू साम्प्रदायिक ताकतों की नई रणनीति का एक हिस्सा है। इस रणनीति का मकसद बेहतर आर्थिक स्थिति वाले मुसलमानों को हिंसा का निशाना बनाने के साथ ही इस समुदाय के गरीबों में बहुसंख्यकों की क्रूरता की शक्ति का भय भरना है।
“जन हस्तक्षेप” की एक टीम ने उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर जिले की दादरी तहसील के बिसाहड़ा में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की जांच के लिए 02 अक्टूबर 2015 को इस गांव का दौरा किया। इस गांव में 28 सितंबर की रात एक उग्र भीड़ ने गौमांस खाने के आरोप में स्थानीय मुस्लिम निवासी अखलाक की हत्या कर दी थी और हमले में बुरी तरह जख्मी उसका बेटा दानिश अस्पताल में मौत से जूझ रहा है।
जन हस्तक्षेप की छह सदस्यीय जांच टीम में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के शिक्षाविद् डॉ विकास वाजपेयी, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ईश मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार, अनिल दुबे और पार्थिव कुमार तथा दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा शीतल भोपल शामिल थीं।
जनहस्तक्षेप की जांच रिपोर्ट में कहा गया है यह घटना वैसे समय में हुई जब देश भर में गौवध और गौमांस पर प्रतिबंध के मामलों को लेकर विवाद और साम्प्रदायिक तनाव लगातार बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। पिछले कुछ अरसे में देश के विभिन्न हिस्सों में मजहबी तनाव और हिंसा की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके सहयोगी संगठनों के साम्प्रदायिक मंसूबों तथा रूढि़वादी और पुरातनपंथी सामाजिक-राजनीतिक एजेंडे का विरोध करने वाले बुद्धिजीवियों को धमकाए जाने और उनकी हत्या की घटनाएं भी होती रही हैं। बिसाहड़ा में साम्प्रदायिक हत्या को अलग-थलग घटना के बजाय इस घटनाक्रम की ही एक कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। संघ परिवार का यह साम्प्रदायिक अभियान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के ‘अच्छे दिन’ के नारे की पोल खुल जाने और आर्थिक नीतियों की नाकामी से पैदा उसकी घबराहट को प्रदर्शित करता है।
बिसाहड़ा की घटना छोटे पैमाने पर साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा फैलाने की हिंदू साम्प्रदायिक ताकतों की नई रणनीति का एक हिस्सा है। इस रणनीति का मकसद बेहतर आर्थिक स्थिति वाले मुसलमानों को हिंसा का निशाना बनाने के साथ ही इस समुदाय के गरीबों में बहुसंख्यकों की क्रूरता की शक्ति का भय भरना है।
रिपोर्ट कहती है कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि अखलाक और उसके परिवार वालों पर हमला यकायक नहीं हुआ। इसकी योजना हिंदुत्ववादी ताकतों ने बेहद सुविचारित ढंग से तैयार की थी। इस योजना पर उन संगठनों के जरिए अमल किया गया जिनका संघ परिवार से सीधा नाता नजर नहीं आता। क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में ‘राष्ट्रवादी प्रताप सेना’, ‘समाधान सेना’ और ‘राम सेना’ जैसी संदिग्ध ‘सेनाओं’ की सक्रियता में बढ़ोतरी हुई है।
अखलाक के घर से बरामद मांस के नमूने की परीक्षण रिपोर्ट कहती है कि यह बकरे का गोश्त था। फिर भी गांव में बड़ी संख्या में लोग मानते हैं कि उसके परिवार ने वाकई गौमांस खाया था। उनकी इस गलत धारणा को पुख्ता करने में केन्द्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा तथा उत्तर प्रदेश विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी संगीत सोम समेत संघ परिवार के अनेक नेताओं की अहम भूमिका रही है।
महेश शर्मा और संगीत सोम के अलावा भाजपा के स्थानीय नेता और बिसाहड़ा गांव के प्रधान संजय राणा की भी इस मामले में भूमिका काफी संदिग्ध है। वास्तव में प्रधान के बेटे और भतीजे को भीड़ को उकसाने और अखलाक के घर पर हमले का नेतृत्व करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया जा चुका है। गांव के मंदिर का नवनियुक्त पुजारी भी संदेहों के घेरे में है। उसी ने लाउडस्पीकर के जरिए घोषणा की थी कि अखलाक के घर में गौमांस है। महेश शर्मा ने 02 अक्टूबर को गांव के मंदिर में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मीडिया पर इस मामले का साम्प्रदायीकरण करने का आरोप लगाया था और मीडियाकर्मियों को ‘बुरे नतीजों’ की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि बिसाहड़ा के निवासी मीडिया को गांव में घुसने नहीं देंगे। उनकी चिंता पीडि़त परिवार को इंसाफ और सुरक्षा दिलाने के बजाय मामले में गिरफ्तार लोगों की खैरियत को लेकर थी।
जनहस्तक्षेप ने अपनी जांच के आधार पर हिंदुत्ववादी ताकतों के इस अपराध के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में वर्णित तथ्य उपरोक्त निष्कर्षों की पुष्टि करते हैं।
जन हस्तक्षेप ने अपनी जांच के आधार पर निम्नलिखित मांगे की हैं-
जनहस्तक्षेप अखलाक के परिवार की इस मांग का पूरा समर्थन करता है कि इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों को बिना किसी देरी या ढिलाई के सख्त सजा दिलाई जाए।
जनहस्तक्षेप मांग करता है कि अपराधियों को बचाने के मकसद से इस नृशंस हत्या को गलतफहमी का परिणाम बताने वाले महेश शर्मा को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से फौरन बर्खास्त किया जाए। मीडियाकर्मियों को धमकी देने के मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर इस बात की जांच कराई जाए कि क्या अगले दिन मीडिया पर हुए हमले में उनका हाथ था।
जनहस्तक्षेप साम्प्रदायिक ताकतों को मनमानी करने की पूरी आजादी देने वाली और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा रोकने में नाकाम उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये की कड़ी निंदा करता है। वह मांग करता है कि इस घटना के पीछे की पूरी साजिश को उजागर करने के लिए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
जनहस्तक्षेप साम्प्रदायिक ताकतों पर नकेल कसने में नाकाम स्थानीय प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है। उसका मानना है कि साम्प्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने के लिए सक्रिय विभिन्न ‘सेनाओं’ की गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें रोकने में पुलिस की अक्षमता के कारण क्षेत्र में कानून और व्यवस्था का गंभीर संकट पैदा हो गया है।


