हिन्दुत्ववादी जेहनियत का एक हथियार है आतंकवाद
हिन्दुत्ववादी जेहनियत का एक हथियार है आतंकवाद
स्थिति को और भयावह बना रही है राज्य प्रायोजित हत्याओं पर न्यायपालिका की चुप्पी
सरकार के फासीवादी चेहरे को बेनकाब करती है खालिद की हत्या - शबनम हाशमी
बाटला हाउस नाटक ने तार-तार किया आईबी और हिन्दुत्ववादी आतंकियों का गठजोड़
अठारहवें दिन भी जारी रहा खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिये रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना
लखनऊ 8 जून 2013/ मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारों की गिरफ्तारी और बेगुनाहों को छोड़ने के सवाल पर सपा हुकूमत की वादा खिलाफी के खिलाफ रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के अठारहवें दिन जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट ने विधानसभा धरना स्थल पर जहाँ ‘बटला हाउस’ नाटक का मंचन किया तो वहीं साप्रदायिकता विरोधी अभियानों में सक्रिय शबनम हाशमी और मानसी समर्थन र्में आयीं। आज क्रमिक उपवास पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आये अनिल आजमी और मोहम्मद आरिफ बैठे।
जेएनयू के रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट के रियाज ने कहा कि खालिद के इंसाफ के लिये चल रहे इस धरने में ‘बटला हाउस’ का मंचन आज इसलिये जरूरी हो जाता है क्योंकि इन दोनों ही घटनाओं में राज्य का आपराधिक चेहरा बेनकाब हो गया है। उसकी खुफिया एजेंसियों और हिन्दुत्वादी गिरोह के गठजोड़ ने आतंकी वारदातों को अंजाम देकर बेगुनाहों का कत्ल किया और फिर खुद को बचाने के लिये बेगुनाहों को साम्प्रदायिक आधार पर पकड़ कर कहीं जेलों में सड़ा रही है तो कहीं उनकी हत्या करवा रही है। इस नाटक के किरदार गोगोल, रुबीना, देविका, अजरम, समर, रियाज, अनिरबान और ललित ने नाटक के माध्यम से बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ के बाद उस पर उठने वाले सवालों को बहुत व्यापक तरीके से उठाया कि किस तरह आजमगढ़ के होने और मुसलमान होने के नाम पर पुलिस ने उन लड़कों की हत्या कर उसे जायज सिद्ध करने की कोशिश की। रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट ने कहा कि ठीक आज उसी तरह खालिद की हत्या के बाद अपने को सेकुलर कहने वाली सपा सरकार के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव बिना किसी जाँच के ही उसकी मौत का कारण बीमारी बता रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम समेत पूरे वंचित तबके के प्रति राज्य के चरित्र को समझा जा सकता है।
धरने के समर्थन के दिल्ली से आयीं शबनम हाशमी ने कहा कि आतंकवाद हिन्दुत्वादी जेहनियत का एक हथियार है जिसका इस्तेमाल राज्य बेगुनाह मुस्लिम युवकों को निशाना बनाने में कर रहा है। हाशमी ने कहा कि आतंवादी घटनाओं को लेकर जब भी किसी जाँच का सवाल आता है तो इसी वजह से सरकार तक उसके पक्ष में नहीं होती। जहाँ तक बात यूपी की है जहाँ विभिन्न आतंकी घटनाओं पर बहुतेरे सवाल उठते रहे हैं तो आज सपा सरकार इनकी जाँच क्यों नहीं कराना चाहती। जिस तरह खालिद की हत्या हुयी ठीक इसी तरह दरभंगा के कतील सिद्दीकी और फैज उस्मानी की हत्या भी महाराष्ट्र में हुयी है, जो यह साबित करता है कि बेगुनाहों को सरकारें सिर्फ जेल में ही नहीं डाल रही हैं बल्कि अपनी कस्टडी में उनकी हत्याएं भी करवा रही हैं क्योंकि अब सरकारें अवाम के प्रति नहीं बल्कि लोकतन्त्र पर नियन्त्रण करने की स्थिति में पहुँच चुकी खुफिया एजेंसियों के प्रति जवाबदेह हो गयी हैं। उन्होंने कहा कि इन राज्य प्रायोजित हत्याओं पर देश की न्यायपालिका की चुप्पी स्थिति को और भयावह बना रही है। कभी किसी अफजल गुरु को बिना किसी ठोस सुबूत के सिर्फ जनता की सामूहिक चेतना को संतुष्ट करने के लिये तो कभी बटला हाउस की जाचं कराने से इसलिये मना कर दिया जाना कि इससे पुलिस का मनोबल गिरेगा, न्याय तन्त्र को भी कटघरे में खड़ा कर देता है। इसलिये आज लोकतन्त्र को बचाने के लिये जरूरी है कि लोकतन्त्र के सभी स्तम्भों पर अवाम निगरानी रखे।
धरने का सम्बोधित करते हुये दिल्ली से आयीं अनहद की मानसी शर्मा ने कहा कि जिस तरह खालिद की हत्या के बाद नामजद एफआईआर होने के बावजूद यूपी सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है उससे साफ हो जाता है कि सरकार की मंशा हत्यारों को बचाने की है। लेकिन सपा हुकूमत को यह याद रखना चाहिये कि मुलायम सिंह आजकल जिन भाजपा नेताओं की तारिफ कर रहे हैं उनकी मानवता विरोधी प्रयोगशाला गुजरात के मुख्यमन्त्री मोदी भी इशरत जहाँ और सोहराबुद्दीन के हत्यारे पुलिस वालों को बचाने में लगे थे। लेकिन अवाम की ताकत के आगे निजाम को झुकना पड़ा और बंजारा-सिंघल जैसे अपराधी पुलिस अधिकारियों को जेल भेजना पड़ा। मुलायम जिनकी सरपरस्ती में खालिद के हत्या के आरोपी पुलिस वालों को जिस तरह से बचाने के कोशिश हो रही है ऐसे में सपा हुकूमत को समझना चाहिये कि अगर मोदी की राह पर चलेंगे तो दुनिया में कहीं भी मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुएब और इण्डियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो0 सुलेमान ने कहा कि अखिलेश यादव यह बयान देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं कि उन्होंने अदालतों में रिहाई की अर्जी दे दी है, और उनका वादा पूरा हो गया है। जबकि सच्चाई तो यह है कि कचहरी विस्फोट के मामले में भी सरकार ने न्यायालय में न तो निमेष कमीशन की रिपोर्ट को आधार बनाकर मुकदमा वापसी की माँग रखी और न ही तत्कालीन एडीजी लॉ एण्ड आर्डर बृजलाल के दिये गये बयान कि कचहरी धमाकों के मॉड्यूल मक्का मस्जिद से मिलते हैं, (जहाँ भगवा ब्रिगेड के लोग पकड़े गये) के ही तथ्य इन बेगुनाहों की रिहाई के लिये अदालत में रखे। जिससे सरकार की मंशा उजागर हो जाती है। उन्होंने कहा कि सपा खुलेआम मुसलमानों से किये गये वादे को तो नहीं निभा रही है लेकिन वरुण गाँधी और फर्रुखाबाद में दंगा फैलाने के आरोप में मुकदमा झेल रहे संघ परिवार के 65 लोगों पर से मुकदमा हटाकर भाजपा से गुपचुप तरीके से किये गये वादे को जरूर निभा रही है। जिसे अवाम भी समझ रहा है।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि कल दिल्ली से पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) की मेघा बहल धरने के समर्थन में आयेंगी। इनके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नकवी भी आयेंगे।
तारिक कासमी के चचा हाफिज फैयाज भी धरने में माजूद रहे। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के महबूब शहाना ने आज जीपीओ से विधानसभा धरना स्थल तक जुलूस निकालकर धरने में शिरकत की।


