हिन्दू महासभा की स्वामी अग्निवेश का सर कलम करने वाले को 5 लाख रुपये देने की घोषणा, दुनिया भर में कड़ी निंदा
हिन्दू महासभा की स्वामी अग्निवेश का सर कलम करने वाले को 5 लाख रुपये देने की घोषणा, दुनिया भर में कड़ी निंदा
नईदिल्ली, 29मई। राइट लाइवलीहुड अवार्ड विजेताओं ने स्वामी अग्निवेश की हत्या करने के लिए उकसावे की कड़ी निंदा की है।
राइट लाइवलीहुड अवार्ड विजेताओं और राइट लाइवलीहुड अवार्ड फाउंडेशन ने स्टॉकहोम में जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि वे पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, नवोदय टाइम्स और एबीपी न्यूज़ में 24 और 25 अप्रैल 2015 की उन ख़बरों से सशंकित हैं जिनमें हिन्दू महासभा, हरियाणा, के सदस्यों ने राइट लाइवलीहुड पुरूस्कार 2004 के विजेता स्वामी अग्निवेश का सर कलम करने वाले को 5 लाख रुपये देने की घोषणा की गयी है।
राइट लाइवलीहुड अवार्ड विजेताओं ने कहा "हम जनसंहार निवारण पर संयुक्त राष्ट्र संघ महासचिव के मुख्य सलाहकार अडामा दिएंग और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक समाज के तमाम अन्य नेताओं द्वारा सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने की इस खुली कोशिश की निंदा का समर्थन करते हैं और स्वामी अग्निवेश के साथ पूरी साझीदारी अभिव्यक्त करते हैं. हम मांग करते हैं कि हरियाणा पुलिस इस धमकी की विवेचना भारतीय दंड संहिता की धाराओं 108, 115, और 503 के प्राविधानों के तहत हत्या के लिए उकसाने के मामले के बतौर करे और दोषियों को सजा दिलाये. हम गहरी चिंता के साथ यह भी देख रहे हैं कि उपरोक्त मीडिया संगठनों ने इस धमकी की रिपोर्टिंग इस तरह की है जो हिंसा को गौरवान्वित करने के साथ साथ हिंसा भी भड़काती है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(2) साफ़-साफ़ कहता है कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में अपराध करने के लिए भड़काने की स्वंत्रता शामिल नहीं है।"
राइट लाइवलीहुड अवार्ड विजेताओं ने इस विज्ञप्ति में कहा है -हमने इन मीडिया संगठनों के संपादकों को पूर्ण माफ़ी मांगने का अनुरोध करते हुए लिखा है और साथ ही मीडिया संगठनों के जवाब न देने की स्थिति में पत्रकारीय नैतिकता के इस गंभीर उल्लंघन की जांच के लिए प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया से अनुरोध करने की मंशा भी रखते हैं. इसके साथ ही हम पुलिस से मांग करते हैं कि आईपीसी की धारा 108 और 115 के तहत हत्या के लिए उकसाने के आरोप में इन मीडिया संगठनों की जांच करे।
घटना की पृष्ठभूमि की जानकारी देते हुए कहा गया है कि 18 अप्रैल 2015 को एक उपवास में शामिल होने के लिए स्वामी अग्निवेश श्रीनगर गए थे, वहाँ उन्होंने अपनी यह इच्छा व्यक्त की थी कि काश्मीरी पंडितों को काश्मीर वापस लाकर उनके मुस्लिम पड़ोसियों के साथ रहने के लिए जरूरी परिस्थितियाँ पैदा की जाएँ न कि उनके लिए अलग से शहर बनाये जाएँ। धार्मिक एकता के लिए स्वामी अग्निवेश की अपील का जवाब हरियाणा के हिन्दू महासभा सदस्यों ने उनकी हत्या करने के सार्वजनिक आह्वान से दिया। यह आह्वान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21, जो व्यक्तियों के जीवन और निजी स्वतंत्रता को प्रतिस्थापित और सुरक्षित करता है, का घोर उल्लंघन है। हाल ही में स्वामी अग्निवेश को महाराष्ट्र के एक समूह से दो धमकी वाले फोन भी आये हैं।
स्वामी अग्निवेश “दक्षिण एशिया में धार्मिक और सामुदायिक सहअस्तित्व, सहिष्णुता, और परस्पर समझदारी को बढ़ावा देने के लिए सालों से किये गए काम के लिए” स्वर्गीय असग़र अली इंजीनियर के साथ राइट लाइवलीहुड अवार्ड 2004 के संयुक्त विजेता हैं।
यह अपील जारी करने वाले राइट लाइवलीहुड अवार्ड विजेता हैं डॉ माद बार्लो, राष्ट्रीय अध्यक्ष, कौंसिल ऑफ़ कैनेडियंस (2005), डॉ अनवर फज़ल, निदेश, राइट लाइवलीहुड कॉलेज, मलेशिया (1982), बासिल फर्नान्डो, एशियन ह्यूमन राइट्स कमीशन, हांगकांग, चाइना (2014), डॉ हैंस हेरेन, संस्थापक, बायोविज़न फाउंडेशन, स्विट्ज़रलैंड (2013), डॉ एस एम मोहम्मद इदरिस, सहबत आलम, मलेशिया (1988) कंज्यूमर्स असोसिएशन ऑफ़ पेनांग और थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क, मलेशिया, असमा जहाँगीर, पाकिस्तान (2014), बिआन्का जैगर, संस्थापक और अध्यक्ष, बिआन्का जैगर ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन, निकारागुआ/यूनाइटेड किंगडम (2004), इडा कुक्लिना, द कमिटी ऑफ़ सोल्जर्स मदर्स ऑफ़ रशिया, (1996), बिर्सेल लेम्के, टर्की (2000), हेलेन मैक चांग, फंडासियान मिरना मैक, ग्वाटेमाला (1992), प्रोफेसर एच सी (मल्ट) मैनफ्रेड मैक्स-नीफ, निदेशक, इकोनॉमिक्स इंस्टिट्यूट, उनिवेर्सिदाद ऑस्ट्राल दे चिली, चिली (1983), प्रोफ़ेसर राउल ए मोंटेनेग्रो, अध्यक्ष, फंडासियान पारा ला देफेंसा देल एम्बियंते, अर्जेंटीना (2004), फ्रांसिस मोर लाप्पे, सह संस्थापक, स्माल प्लेनेट इंस्टिट्यूट, संयुक्त राज्य अमेरिका (1987), निकानोर परलास, सेंटर फॉर अल्टरनेटिव डेवलपमेंट इनिशियेटिव्स, फिलिपीन्स, (2003), पी के रविन्द्रन, केरल शास्त्र साहित्य परिषद, इंडिया (1996), डॉ सीमा समर, अध्यक्ष, अफ़ग़ानिस्तान इंडिपेंडेंट ह्यूमन राइट्स, अफ़ग़ानिस्तान (2012), माइकल श्नाइडर, जर्मनी (1997), डॉ वंदना शिवा, नवदान्या, इंडिया (1993), प्रोफ़ेसर माइकेल सक्को, संस्थापक, माइकेल सक्को फाउंडेशन फॉर नेचर कंजर्वेशन, जर्मनी (1997), सुचिवाती, शहीद मुनीर की पत्नी, इंडोनेशिया (2000), डॉ हनुमाप्पा सुदर्शन, करुणा ट्रस्ट & वीजीकेके, इंडिया (1994), श्रीकृष्ण उपाध्याय, कार्यकारी अध्यक्ष, सपोर्ट एक्टिविटीज फॉर पुअर, प्रोड्यूसर्स ऑफ़ नेपाल, (2010), प्रोफ़ेसर थिओ वान बोवेन, द नीदरलैंड (1985), मार्टिन वोन हिल्देब्रांड, संस्थापक और अध्यक्ष, फंडासियान जीएआईए अमेजोनास, कोलंबिया (1999), चीको व्हिटेकर फेरेरा, ब्राज़ील (2006), अल्ला यारोशिंक्सकाया, रशिया (1992) तथा ऐन्जीज़ेल्टर, ट्राईडेंट प्लोशेयर्स, यूनाइटेड किंगडम (2001)।
हस्ताक्षर करने वालों में आरएलए बोर्ड के सदस्य और निर्णायक मंडल से याकूब वान ओक्सकुल, सह निदेशक, बोर्ड ऑफ़ द राइट लाइवलीहुड अवार्ड फाउंडेशन, यूनाइटेड किंगडम, डॉ मोनिका ग्रीफान, सह निदेशक, बोर्ड ऑफ़ द राइट लाइवलीहुड अवार्ड फाउंडेशन, जर्मनी व ऊल्ल वान ओक्सकुल, कार्यकारी निदेशक, बोर्ड ऑफ़ द राइट लाइवलीहुड अवार्ड फाउंडेशन, स्वीडन भी शामिल हैं।


