समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) ने नरेंद्र मोदी सरकार की लेटरल एंट्री योजना के खिलाफ विरोध (Protest against Narendra Modi government's lateral entry scheme) जताया है। यूपीएससी के माध्यम से संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर पर 45 डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती की योजना परअखिलेश यादव ने आपत्ति जताते हुए इसे एक साजिश बताया। जानें कि लेटरल एंट्री क्या है और इसके खिलाफ क्यों खड़ी हो रही है समाजवादी पार्टी।

लेटरल एंट्री के खिलाफ अखिलेश यादव ने फूंक दिया बिगुल

नई दिल्ली, 18 अगस्त 2024. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार यूपीएससी के माध्‍यम से सबसे बड़ी लेटरल एंट्री के तहत संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर पर 45 डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती करने जा रही है। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है।

क्या होती है लेटरल एंट्री

सरकारी कामकाज में पांच साल पहले मोदी सरकार (Modi Government) एक नया तरीका लाई थी, जिसको लेटरल एंट्री (Lateral Entry) कहा जाता है। इस तरह की भर्ती 2019 में पहली बार की गई थी और अब इसे बड़े पैमाने पर दोहराया जा रहा है। लेटरल एंट्री को सरकारी नौकरशाही में बाहरी विशेषज्ञों को लाने की योजना के तौर पर समझा जा सकता है। आरोप लग रहे हैं कि इसके जरिए आरएसएस से जुड़े लोगों और कॉरपोरेट के नुमाइंदों को प्रशासनिक मशीनरी में घुसेड़ा जा रहा है।

अखिलेश यादव ने किया लेटरल एंट्री का विरोध

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लेटरल एंट्री के विरुद्ध बिगुल फूंक दिया है। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया

"भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।

ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे।

दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है।

भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।

देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है।

ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।

#नहीं_चाहिए_भाजपा"