अनिल सद्गोपाल ने की मध्य प्रदेश में अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014 की घोषणा
अनिल सद्गोपाल ने की मध्य प्रदेश में अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014 की घोषणा
अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014 की सार्वजनिक घोषणा
भोपाल। महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के अनेक जन-पक्षीय संगठनों ने अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच और देश के 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इससे जुड़े तकरीबन 45 सदस्य-संगठनों व 100 से ज्यादा बिरादराना संगठनों द्वारा आयोजित की जा रही ‘अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014’ में सक्रिय भागीदारी की घोषणा की। इस यात्रा का मकसद है शिक्षा में बाजारीकरण और सांप्रदायीकरण व हर तरह के भेदभाव के विरुद्ध जनता के व्यापक हिस्सों को संगठित करना ताकि ‘केजी से पीजी’ तक पूरी तरह मुफ्त और राज्य द्वारा वित्त-पोषित ‘समान शिक्षा प्रणाली’ की स्थापना की जा सके जो समतामूलक, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, प्रबुद्ध और मानवीय भारत का निर्माण करने में सक्षम हो जिसका ख्वाब शहीद भगत सिंह व उनके क्रांतिकारी साथियों ने देखा था।
शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल द्वारा आहूत बैठक में ‘अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014’ के राज्य में आयोजन के लिए “मध्य प्रदेश आयोजन समिति’ का गठन किया गया।
प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. अनिल सद्गोपाल ने बताया कि यह यात्रा 2 नवंबर 2014 को, सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के खिलाफ इरोम शर्मिला के संघर्ष में एकजुटता के साथ, मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में शुरू हो रही है। मध्य प्रदेश की जिला व ब्लाक स्तरीय यात्राएं उन देशव्यापी आंचलिक यात्राओं में मिल जायेंगी जो देश के उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी कोनों से निकलेंगी। यात्रा का समापन 4 दिसंबर 2014 को भोपाल में साम्राज्यवादी पूंजीवाद की क्रूरता और दमन के खिलाफ तीस साल से संघर्षरत भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों से एकजुटता जाहिर करते हुए होगा। इसके साथ ही 4 दिसंबर को यात्रा का भोपाल समापन निम्नांकित उद्देश्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है, (क) वर्ग, जाति, पितृसत्ता और हर तरह के भेदभाव से मुक्त लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समतामूलक समाज बनाने का उद्देश्य, जिसकी परिकल्पना संविधान में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने की थी जिनका महापारिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर को है; (ख) भारत के सामाजिक ताने-बाने और साम्राज्यवादविरोधी स्वाधीनता संग्राम से चली आ रही साझी संस्कृति की समृद्ध धरोहर को विकृत व कमजोर करने वाली और 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहाने वाली संकीर्ण और विभाजनकारी सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ व्यापक प्रतिरोध खड़ा करने का उद्देश्य, और (ग) 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस के मौके पर वर्तमान गैरबराबर व्यवस्था द्वारा हाशिए पर धकेले गए विकलांग लोगों के समान अवसर व न्याय के अधिकार के लिए संघर्ष करने का उद्देश्य।
आयोजन समिति के सदस्य लोकेश मालती प्रकाश ने कहा कि ‘अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा’ में; (क) हम समानता के मूलभूत संवैधानिक उसूल का उल्लंघन करने वाली मौजूदा भेदभावपूर्ण बहुपरती शिक्षा प्रणाली का विरोध करेंगे और पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्त-पोषित व बराबरी पर आधारित, 12वीं कक्षा तक समान पड़ोसी स्कूल व्यवस्था समेत, ‘केजी से पीजी तक’ की ‘समान शिक्षा प्रणाली’ के लिए संघर्ष करेंगे जिसमें बच्चों व युवाओं को उनकी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, आंचलिक, जातीय, भाषाई या लैंगिक पृष्ठभूमि और शारीरिक या मानसिक विकलांगता के आधार पर भेदभाव किये बगैर पूरी तरह से मुफ़्त और समान शिक्षा की गारंटी हो। (ख) हम सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़.डी.आइ.) समेत शिक्षा के किसी भी प्रकार के बाज़ारीकरण का विरोध करेंगे और हाशिए पर धकेले गए समूहों, यथा दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, विकलांगों और धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों खासतौर से इन समुदायों की महिलाओं के लिए व अन्य उत्पीड़ित समुदायों एवं समूहों जैसे खानाबदोश कबीलों, डी-नोटिफाइड जनजातियों, बंधुआ मजदूरों, विस्थापितों, सुदूर द्वीपों के निवासियों और रेगिस्तान, जंगलों व गांवों के निवासियों और ट्रांसजेंडरों के सामाजिक न्याय व समानता के अधिकार के लिए संघर्ष करेंगे। (ग) हम शिक्षा के नव-उदारवादी एजेंडे का विरोध करेंगे जो वैश्विक पूंजी की जरूरत के मुताबिक शिक्षा के उद्देश्य को विकृत कर उसे गुलाम मानसिकता के कुशल कामगारों के उत्पादन तक सीमित कर देता है और इसकी जगह पर हम ऐसी शिक्षा व्यवस्था के लिए संघर्ष करेंगे जिसका उद्देश्य समाज के मानवीय विकास के लिए हरेक व्यक्ति को प्रबुद्ध व सचेत बनाना होगा।
लोकेश मालती प्रकाश ने बताया कि हम भारत सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व व्यापार संगठन-गैट्स को दिए गए ‘प्रस्तावों’ और हमारी उच्च शिक्षा को वैश्विक पूंजी का पिछलग्गू बनाने की कानूनी चालों का विरोध करेंगे और शिक्षा व सभी स्तरों पर ज्ञान के निर्माण व उस संबंध में नीति-निर्माण के लिए देश की संप्रभुता को बरकरार रखने के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि हम शिक्षा के सांप्रदायीकरण एवं दक्षिणपंथी संगठनों, खासतौर से संघ परिवार व उससे जुड़े संगठनों द्वारा शिक्षा में दकियानूसी, संकीर्ण और विभाजनकारी दुष्प्रचार का विरोध करेंगे और पाठ्यचर्या को वैज्ञानिक, धर्मनिरपेक्ष, आलोचनात्मक और लोकतांत्रिक नज़रिए से लैस करने के लिए व देश की बहुलता के सम्मान और धार्मिक, भाषाई व सांस्कृतिक समूहों के लोकतांत्रीकरण के लिए संघर्ष करेंगे ताकि वर्ग, जाति, जेंडर, भाषा, अंचल, और शारीरिक अथवा मानसिक विकलांगता पर आधारित गैर-बराबरी का खात्मा किया जा सके।
शिक्षा का अधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया कि हम स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों का विरोध करेंगे और शिक्षा संस्थानों व कैम्पसों में किसी भी तरह के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की आज़ादी, आलोचनात्मक विचार, असहमति की अभिव्यक्ति व बहस की आज़ादी, और शांतिपूर्ण विरोध (सत्याग्रह) के अधिकार के पक्ष में संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि बहुभाषीयता के संदर्भ में मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाए जाने के शिक्षाशास्त्रीय महत्व पर बल देते हुए, हम सभी सरकारी व निजी शिक्षा संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंगरेजी के वर्चस्व का विरोध करेंगे और एक बहु-भाषाई परिवेश में मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के तौर पर स्थापित करने के लिए संघर्ष करेंगे। साथ ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में, ज्ञान-उत्पादन में, विज्ञान के प्रसार और कामकाज में, सामाजिक विज्ञानों व मानविकी में, लेन-देन और व्यापार में भारतीय भाषाओं की मुख्य भूमिका के लिए संघर्ष करेंगे; और देश की भाषाओं में भारत और विश्व भर के सारे विषयों के बहु-आयामी अनुवाद के लिए प्रचार करेंगे।
प्रेस-वार्ता को एल. एस. हरदेनिया (वरिष्ठ पत्रकार), गोविंद एस. आसिवाल (वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता), अब्दुल जब्बार (भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, भोपाल), सुश्री माधुरी (जागृत आदिवासी दलित संगठन, बड़वानी), अनुराग मोदी (सचिव, जन संघर्ष मोर्चा, मध्य प्रदेश), सुश्री संध्या शैली (ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन्स एसोसिएशन), रूप सिंह चौहान (राज्य सचिव, एटक), सुश्री शिवानी (मुस्कान, भोपाल), जे. पी. दुबे (मध्य प्रदेश बैंक एम्प्लाईज़ एसोसिएशन), मोहम्मद अफ़ाक (सिटिज़न्स वेल्फेयर फ़ोरम, भोपाल), विजय कुमार (क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा) व डॉ. अनिल सद्गोपाल (शिक्षाविद व सचिव, शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल) ने संबोधित किया।
-0-0-0-0-0-0-0-
अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014, अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच, अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच , शिक्षा में बाजारीकरण, समान शिक्षा प्रणाली,शिक्षा,बाजारीकरण, Anil Sadgopal, Anil Sadgopal announced All India Education Struggle Yatra-2014 in M.P.,Marketisation of education, the same education system, education, marketization,
अखिल भारत शिक्षा संघर्ष यात्रा-2014 की सार्वजनिक घोषणा,AISSY_Pamphlet_hindi_28sept2014


