डॉ. असगर अली इंजीनियर की विरासत
डॉ. असगर अली इंजीनियर की विरासत
अ इरफान इंजीनियर
मेरे जीवन में मानों एक तूफान आया और सब कुछ खत्म हो गया। मुझे जो ख़तित हुई है, उससे मैं अब तक समझौता नहीं कर सका हूँ। तूफान की तरह, मौत भी ईश्वर के हाथों में होती है और तूफान की तरह, आप मौत के सामने भी असहाय होते हैं। मुझे जरा भी इल्म न था कि मेरे अजीज पिता डॉक्टर असगर अली इंजीनियर को मौत हमें इतनी जल्दी छीन लेगी। मैं इतना बड़ा धक्का के लिए कतई तैयार नहीं था। परंतु अब मुझे यह सोचना है कि मेरे पिता ने मुझे विरासत में क्या दिया। मेरी बहन सीमा ने एक सम्वाददाता से बिलकुल ठीक कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि उनकी विरासत हम दोनों में बराबर-बराबर बांटी जाए - उनकी शिक्षाओं की विरासत। मन कुछ शांत होने के बाद मैं यह सोचने की कोशिश कर रहा हूँ कि मेरे पिता ने मुझे विरासत में क्या दिया है?
(1) उनका अनुसासन और का उनके दिनचर्या।
वे अपनी निर्धारित दिनचर्या से कभी भी डिगते नहीं थे। इस दिनचर्या में शामिल थी सुबह की सैर, जिससे उनकी सेहत ठीक रह सके। वे सुबह आकर लेकर रात दस बजे तक काम करते थे। दोपहर में एक छोटी सी झपकी उनकी दिनचर्या का हिस्सा थी। गत 13 फरवरी को अस्पताल में दाखिल होने तक वे अपने दिनभर के काम को चार हिस्सों में बांटते थे- प्रशासनिक का, पत्रों और ईमेलों का उत्तर देना, पढ़ना और लिखना। इस मामले में वे काफी सख्त थे और कार्यालाय के कर्माचारियों को...


