सांप्रदायिक हिंसा-छपरा (बिहार) के डीएम बोले-पाकिस्तान में भी तो अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं
सांप्रदायिक हिंसा-छपरा (बिहार) के डीएम बोले-पाकिस्तान में भी तो अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं
छपरा (बिहार) के डीएम बोले-पाकिस्तान में भी तो अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं
छपरा और मकेर में सांप्रदायिक हिंसा : तथ्यान्वेषण रपट
इरफान इंजीनियर
बिहार के सारण जिले के मकेर कस्बे और छपरा शहर में पांच और छः अगस्त, 2016 को हुई सांप्रदायिक हिंसा की खबर मन को विचलित कर देने वाली थी।
मुबारक नाम के एक मुस्लिम युवक ने एक छोटे से वाट्सएप समूह पर एक ऐसा वीडियो पोस्ट किया जो हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने वाला था।
मकेर, जहां का मुबारक रहने वाला था, के मुस्लिम समुदाय ने उसकी इस हरकत की कड़ी निंदा की। इसके बाद, हिन्दुओं को बड़े पैमाने पर एकजुट किया गया और मकेर में पांच अगस्त को और छपरा में छः अगस्त को सांप्रदायिक हिंसा हुई।
मुबारक के घर को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया और अन्य मुसलमानों के घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया। एक मस्ज़िद को भी नुकसान हुआ।
हिंसा बहुत बड़े पैमाने पर नहीं हुई और इसमें किसी व्यक्ति की जान नहीं गई। परंतु बिहार, जहां हाल ही में हुए चुनावों में जनता ने सांप्रदायिक ताकतों को कड़ी शिकस्त दी थी, में इस तरह की घटना चिंतित कर देने वाली थी। चूंकि इस संबंध में अखबारों में बहुत कम छपा था, इसलिए सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेक्युलरिज़्म ने तय किया कि अन्य प्रमुख नागरिकों के साथ वह इस घटना की पड़ताल करेगा और घटनाक्रम की सही तस्वीर और उनके कारणों को लोगों के सामने रखेगा।
दल में निम्न व्यक्ति शामिल थेः
(1) विभूति नारायण राय, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तरप्रदेश और पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय
हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा।
(2) विजय प्रताप, निदेशक, एसएडीईडी,
(3) इरफान इंजीनियर, निदेशक, सीएसएसएस
(4) शाहिद कमाल, अध्यक्ष, बिहार राष्ट्रीय सेवा दल
(5) विनोद रंजन, गांधी स्मारक निधि
(6) उदय, संयोजक, बिहार आल इंडिया सेक्युलर फोरम
(7) चोक सेरिंग
सारण जिले के बारे में
सारण जिला, उत्तरी बिहार के सारण संभाग में है। छपरा, इस जिले का सबसे बड़ा शहर और जिला मुख्यालय है। सारण जिले की आबादी में हिन्दुओं का प्रतिशत 89.45 और मुसलमानों का 10.28 है। पूरे बिहार में 82.69 प्रतिशत हिन्दू और 16.87 प्रतिशत मुसलमान रहते हैं। सारण जिले में अनुसूचित जातियां, आबादी का 5.84 प्रतिशत हैं।
छपरा
छपरा, आबादी की दृष्टि से जिले का सबसे बड़ा नगर है। यहां 37,800 परिवार निवासरत हैं। यह व्यावसायिक दृष्टि से बिहार का महत्वपूर्ण नगर है, जहां पर कई छोटी फैक्ट्रियां और लघु उद्योग हैं। छपरा के 10.38 प्रतिशत निवासी झुग्गी बस्तियों में रहते हैं।
मकेर
मकेर एक कस्बा है, जिसकी कुल आबादी 76,251 है। आबादी में पिछले दस वर्षों में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस कस्बे के 55 प्रतिशत रहवासी खेतिहर श्रमिक हैं और कस्बे में शिक्षा के संबंध में जागरूकता बढ़ रही है। रोज़गार के अवसरों की सीमित उपलब्धता के कारण, मकेर और छपरा, दोनों से लोगों का पलायन होता रहता है।
हिन्दुओं की तुलना में मुसलमानों में गरीबी ज्यादा है। अधिकांश मुसलमानों के पास खुद की ज़मीनें नहीं हैं। कुछ खेतिहार श्रमिक हैं और अन्य छोटी-मोटी मज़दूरी कर अपना पेट पालते हैं।
मुसलमानों के एक छोटे से तबके में हाल के कुछ दशकों में समृद्धि आई है। मुबारक का परिवार उनमें से एक है।
मुबारक का परिवार एक छोटा सा होटल चलाता है जिससे होने वाली आमदनी के चलते उन्होंने पक्का मकान बनवा लिया है जिसमें कई कमरे हैं और स्टील की अलमारियां, अन्य फर्नीचर और दूसरी सुविधाएं भी हैं।
मुबारक का बड़ा भाई भोपाल में नौकरी करता है। परिवार ने मुबारक को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बैंगलूरू भेजा है।
पिछले करीब 15 सालों से कस्बे के मुसलमान ईद-ए-मिलादुन्नबी पर जुलूस निकालते आए हैं, जिसमें इस्लामिक झंडे शामिल रहते हैं। इन झंडों को गलती से पाकिस्तान का झंडा मान लिया जाता है।
इस अवसर पर पारंपरिक रूप से तलवारों का प्रदर्शन भी किया जाता है। जुलूस, औलिया बाबा की मज़ार पर समाप्त होता है। इस जुलूस की देखादेखी कस्बे के उच्च जाति के रहवासियों ने पिछले दो सालों से रामनवमी पर जुलूस निकालना शुरू कर दिया है।
हिन्दुओं के कुछ नेता ईद-ए-मिलादुन्नबी के जुलूस में शामिल होते हैं और इसी तरह, कुछ मुस्लिम बुजुर्ग रामनवमी के जुलूस में भागीदारी करते हैं।
त्यौहारों के इस तरह के प्रतिद्वंद्वितापूर्ण आयोजनों से जहां अपने-अपने समुदाय के प्रति वफादारी का भाव जागृत होता है वहीं विभिन्न समुदायों के बीच एकता कमज़ोर पड़ती है। इस तरह के धार्मिक आयोजनों से अलगाव में बढ़ोत्तरी होती है।
मकेर की यात्रा
कस्बे के मुसलमानों से हमने वहां की मस्जिद में बातचीत की। उन्होंने हमें जो बताया उसका सार यह थाः
आशुतोष कुमार ने इस्लाम का अपमान करने वाला एक वीडियो, एक वाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किया। इस वाट्सएप ग्रुप के सदस्य हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। इसके जवाब में मुबारक, जो बैंगलूरू में पढ़ता है, ने एक हिन्दू देवी का अपमान करते हुए एक वीडियो वाट्सएप पर डाल दिया।
मस्जिद में मौजूद मुसलमानों ने मुबारक की इस हरकत की कड़ी निंदा की यद्यपि उन्होंने यह भी कहा कि यह आशुतोष द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो की प्रतिक्रिया थी।
हिन्दू राष्ट्रवादियों ने मुबारक के आपत्तिजनक पोस्ट को वायरल कर दिया और बैठकें आयोजित कर लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया।
चार अगस्त को कुछ हिन्दू, मकेर पुलिस थाने पहुंचे और मुबारक के खिलाफ रपट लिखवाने की बात कही। मुसलमानों ने भी इस कार्यवाही का समर्थन किया। उन्होंने हिन्दू नेता जयशंकर शाह से कहा कि उन्हें मुबारक के खिलाफ पुलिस में एफआईआर कायम करनी चाहिए। परंतु मकेर के पुलिस थाना प्रभारी संजय गुप्ता ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि घटना उनके थाना क्षेत्र में नहीं हुई है और फरियादियों को परसा पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
गुप्ता ने मामले की गंभीरता को नहीं समझा या फिर शायद वे जांच आदि की परेशानियों से बचना चाहते थे। उन्होंने यह बहाना बनाया कि चूंकि वह वीडियो बैंगलूरू से अपलोड किया गया था इसलिए अपराध उनके थाना क्षेत्र में घटित नहीं हुआ है।
थाना प्रभारी को कम से कम एसपी को इस घटना की सूचना देना थी परंतु उन्होंने यह भी नहीं किया।
एफआईआर दर्ज न होने से हिन्दुओं में गुस्सा और बढ़ गया।
5 अगस्त को सुबह लगभग छः बजे, करीब 5,000 लोग मकेर के राजेन्द्र विद्यालय में इकट्ठा हुए। भीड़ में भाजपा विधायक सतवंत तिवारी जो चैकर बाबा के नाम से जाने जाते हैं, भी शामिल थे।
मुसलमान कुछ समझ पाते उसके पहले भीड़ चौक पहुंच गई और उसने मुबारक के घर पर हमला कर दिया। जो कुछ लूटा जा सकता था, लूट लिया गया। इसमें गहने भी शामिल थे।
पुलिस की भूमिका
जब भीड़ राजेन्द्र विद्यालय से मुबारक के घर पर हमला करने के लिए बढ़ी, तब पुलिसकर्मी साथ चल रहे थे परंतु उनकी संख्या बहुत कम थी और उनके पास भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हथियार भी नहीं थे। मुसलमानों को लगा कि पुलिस ने जानबूझकर कोई कार्यवाही नहीं की और मुबारक का घर लुटने दिया।
सिराज के अनुसार, जब उसने संजय गुप्ता से यह अनुरोध किया कि वे भीड़ को उसके गोडाउन और टेम्पो पर हमला करने से रोंके तो गुप्ता ने अपनी रिवाल्वर निकाल कर उसे धमकाया। जिन मुसलमानों से हमने बातचीत की उनका कहना था कि थाना प्रभारी संजय गुप्ता और एसपी पंकज कुमार राय दोनों ने निष्पक्षता से व्यवहार नहीं किया।
जिला मजिस्ट्रेट दीपक आनंद ने हमें बताया कि उन्हें 5 अगस्त को लगभग 10 बजे सुबह यह सूचना मिली कि मकेर में वाट्सएप पोस्ट को लेकर लोगों ने सड़क जाम कर दी है। वे एसपी के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और शाम चार बजे, जब तक वहां शांति स्थापित नहीं हो गई, तक वहीं रहे।
जिला मजिस्ट्रेट ने कस्बे में धारा 144 लगा दी और वहां का इंटरनेट बंद करवा दिया ताकि अफवाहें फैलने से रोकी जा सकें। उन्होंने शाम को शांति समिति की बैठक बुलाई और लोगों को यह आश्वस्त किया कि मुबारक को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अगले दिन 6 अगस्त को बजरंग दल ने बंद का आह्वान किया। जिला मजिस्ट्रेट ने स्थानीय राजनेताओं से यह आश्वासन लिया कि बंद शांतिपूर्ण होगा।
छपरा में लगभग 100 लोगों ने जुलूस निकाला।
सुबह साढ़े नौ से दस बजे के बीच शहर के करीम चौक में इन लोगों ने लूटपाट शुरू कर दी।
जिला मजिस्ट्रेट दो मिनट से भी कम समय में वहां पहुंच गए। वहां उन्होंने देखा कि मुसलमानों की दुकानों पर पत्थरबाजी की जा रही है और जगह-जगह जलते हुए टायर पड़े हुए हैं।
एसपी और जिला मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। दो घंटे के भीतर शहर में शांति स्थापित हो गई।
जिला मजिस्ट्रेट का यह दावा है कि प्रशासन ने राज्य सरकार की नीति के अनुरूप, जिन मुसलमानों की 36 दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया था, उन्हें 18 लाख रूपए का मुआवजा वितरित किया है। जिसे जितना नुकसान हुआ, उसे उतना मुआवजा दिया गया है।
निष्कर्ष
(1) सबसे पहले हम किसी भी धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाले वीडियो पोस्ट करने की
घटना की कड़ी निंदा करते हैं। इसके लिए दोषी व्यक्तियों को कानून के अनुसार सज़ा दी जानी चाहिए।
(2) हमें यह देखकर अचंभा हुआ कि बिहार, जहां आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस गठबंधन सरकार सत्ता में है, वहां भी संघ परिवार इतनी आसानी से दंगा भड़का लेता है। ये दंगे रातों रात नहीं हुए थे। उनके लिए पहले से तैयारी की गई थी।
(3) मुबारक की पोस्ट को संघ परिवार के सदस्यों ने वायरल किया ताकि हिन्दुओं की भावनाओं को भड़काया जा सके। यह स्पष्ट है कि कोई भी हिन्दू या मुसलमान, अपने धर्म को अपमानित करने वाली पोस्ट को प्रसारित नहीं करेगा। वह सीधे पुलिस स्टेशन जाएगा, रपट लिखवाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि दोषी को सज़ा मिले और आपत्तिजनक पोस्ट हटाया जाए। आशुतोष कुमार को मुबारक की पोस्ट प्रसारित करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
जब यह पोस्ट वायरल हो रहा था तब ही प्रशासन को सावधान हो जाना चाहिए था और उपयुक्त कदम उठाने चाहिए थे। परंतु ऐसा नहीं हुआ और मुबारक की पोस्ट का इस्तेमाल हिन्दुओं को भड़काने के लिए किया गया।
(4) हमारे देश में दूसरे समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया का जमकर दुरूपयोग किया जा रहा है।
सांप्रदायिक दंगे करवाने के लिए पहले योजना बनानी होती है और हथियार और भीड़ इकट्ठे करने होते हैं। यह काम सोशल मीडिया के जरिए आसानी से हो जाता है। यद्यपि भारत में सरकारें आईटी एक्ट की धारा 66 का दुरूपयोग कर उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही करती रही हैं जो सोशल मीडिया पर सरकार की निंदा करते हैं परंतु धार्मिक नफरत और सांप्रदायिकता फैलाने वाली पोस्टों के खिलाफ इतनी ही तत्परता से कार्यवाही नहीं की जाती।
(5) इस मामले में बिहार के पुलिस अधिकारियों की लेतलाली स्पष्ट है।
महागठबंधन ने यह वायदा किया था कि उसके शासन में बिहार में कानून का राज होगा परंतु ऐसा होता नहीं दिख रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि आपत्तिजनक पोस्ट के मुद्दे पर लोगों को भड़काया जाता रहा और पुलिस की विशेष शाखा को इसका पता ही नहीं चला। इससे भी गंभीर भूल है मकेर में सांप्रदायिक हिंसाभड़कने के बारे में जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करने में देरी। अगर समय पर वहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी जाती तो शायद इतना नुकसान नहीं होता। अगर मुबारक को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया होता तो हिन्दू सांप्रदायिक संगठनों को लोगों को भड़काने का मौका नहीं मिलता।
(6) मकेर के थाना प्रभारी संजय गुप्ता के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने मुबारक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया और मुबारक के परिवार और उसके घर को सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई।
(7) एसपी और जिला मजिस्ट्रेट ने 5 अगस्त की शाम छपरा में शांति समिति की बैठक बुलाई और यह जानते हुए भी कि स्थिति तनावपूर्ण है, 6 अगस्त को बंद और रैली की अनुमति दे दी। क्या जिला मजिस्ट्रेट इतने भोले थे कि उन्होंने संघ परिवार के इस आश्वासन पर विश्वास कर लिया कि बंद शांतिपूर्ण होगा?
(8) जिला मजिस्ट्रेट भी अल्पसंख्यकों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं, ऐसा हमें प्रतीत हुआ। जब हमने उन्हें बताया कि जिले में अल्पसंख्यक अब भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो उनका जवाब था कि पाकिस्तान में भी तो अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। इस पर हमने उन्हें याद दिलाया कि पाकिस्तान न तो धर्मनिरपेक्ष देश है और ना ही वहां प्रजातंत्र है। इसके विपरीत, भारत धर्मनिरपेक्ष और प्रजातांत्रिक देश है जहां का संविधान सभी नागरिकों को बराबरी का दर्जा और सुरक्षा की गारंटी देता है। इस तरह के पूर्वाग्रह, शासकीय मशीनरी के सांप्रदायिक तनाव की स्थिति में त्वरित, निष्पक्ष और प्रभावी कार्यवाही करने में बाधा बनते हैं।
(9) छपरा और मकेर में हुई सांप्रदायिक हिंसा और अल्पसंख्यकों में बढ़ते असुरक्षा भाव पर राजनैतिक प्रतिक्रिया बहुत कमज़ोर रही है। धर्मनिरपेक्ष नागरिक समाज ने प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया। हमारी यह मान्यता है कि जब तक देश के नागरिक आगे बढ़कर सांप्रदायिक सोच और विमर्श का मुकाबला नहीं करेंगे, तब तक इस देश में सांप्रदायिक सौहार्द कायम नहीं रह सकेगा और ना ही हम सच्चे अर्थों में प्रजातांत्रिक राष्ट्र बन सकेंगे। (मूल अंग्रेजी से अमरीश हरदेनिया द्वारा अनुदित)


