गाय का ग्रह: जस्टिस मार्कंडेय कटजू का 'गौ महाकुंभ' और गाय की पूजा की राजनीति पर व्यंग्य

जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने ‘Planet of the Cows’ पोस्ट में गौ महाकुंभ और गोमाता की राजनीति पर व्यंग्य किया, जिससे सोशल मीडिया पर हलचल मच गई।;

By :  Hastakshep
Update: 2025-09-07 05:18 GMT

जयपुर में 4 दिन का गौ महाकुंभ महोत्सव

  • जस्टिस कटजू का 'गाय का ग्रह' विचार
  • 'गाय के बारे में एक फिल्म' और बॉलीवुड से इसकी तुलना

जस्टिस मार्कंडेय कटजू का 'गाय का ग्रह' शीर्षक वाला व्यंग्यात्मक पोस्ट, जिसमें गौ महाकुंभ कार्यक्रम और गाय की पूजा से जुड़ी राजनीति की आलोचना की गई थी, सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया।

नई दिल्ली, ७ सितंबर २०२५. क्या होगा अगर भारतीय गायें अचानक गोशालाओं से निकलकर इंसानों को गुलाम बना लें? सुनने में अजीब लगता है न… लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने जयपुर में चल रहे ‘गौ महाकुंभ’ पर ऐसा ही व्यंग्य किया है, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है।

दरअसल जयपुर में 4 से 7 सितंबर तक चार दिवसीय ‘गौ महाकुंभ’ का आयोजन हो रहा है। आयोजक इसे गाय से जुड़ा वैश्विक शिखर सम्मेलन और प्रदर्शनी बता रहे हैं। यहाँ गौमूत्र से कैंसर के इलाज से लेकर ‘वैदिक प्लास्टर’ तक के दावे किए जा रहे हैं।

द वायर में प्रकाशित इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया में जस्टिस काटजू ने हमारी अंग्रेज़ी वेबसाइट hastakshepnews.com पर लिखे अपने लेख में मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि किसी भारतीय फिल्म निर्माता को ‘Rise of the Planet of the Cows’ नाम से फिल्म बनानी चाहिए।

जैसे हॉलीवुड की फिल्म ‘Rise of the Planet of the Apes’ में बंदर इंसानों पर हावी हो जाते हैं, वैसे ही इस फिल्म में भारतीय गायें गोशालाओं से भागकर इंसानों को गुलाम बना लेंगी। और काटजू का दावा है कि यह फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’, ‘शोले’, ‘पठान’, ‘बाहुबली’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों से दस गुना ज़्यादा कमाई करेगी।

उन्होंने लिखा् - "मेरा सुझाव है कि किसी भारतीय फिल्म निर्माता को 'राइज़ ऑफ़ द प्लैनेट ऑफ़ द काउज़' नाम की फिल्म बनानी चाहिए (अमेरिकी फिल्म 'राइज़ ऑफ़ द प्लैनेट ऑफ़ द एप्स' की तरह)। इसमें दिखाया जाना चाहिए कि भारतीय गायें गौशालाओं से भागकर इंसानों को गुलाम बना लेती हैं। मुझे यकीन है कि यह एक बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट होगी और 'मुगल-ए-आजम', 'शोले', 'पठान', 'पद्मावत', 'बाहुबली' या 'राइज ऑफ़ द प्लैनेट ऑफ़ द एप्स' से 10 गुना ज़्यादा कमाई करेगी।

काटजू यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि भारत के ज़्यादातर हिस्सों में गायों को महिलाओं, भूखे बच्चों, बुजुर्गों, अल्पसंख्यकों और दलितों से ज़्यादा सम्मान मिलता है। गायों की अपनी ‘सेना’ है जिसे हम गौ-रक्षक कहते हैं। और आजकल गोमांस खाने का आरोप भी जानलेवा हो सकता है।

अपनी पोस्ट के अंत में उन्होंने लिखा – जय गोमाता! जय गोमूत्र!… और यक़ीन मानिए, इंटरनेट पर लोग इस व्यंग्य को पढ़कर हंसी रोक नहीं पा रहे हैं।

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