झीलें: धरती और जीवन के लिए अनमोल प्राकृतिक धरोहर | विश्व झील दिवस विशेष
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से झीलों का अस्तित्व संकट में है। विश्व झील दिवस (World Lake Day in Hindi) हमें इन्हें बचाने की याद दिलाता है।;
विश्व झील दिवस 27 अगस्त: क्यों मनाया गया पहली बार
- झीलों की वैश्विक संख्या और झीलों का महत्व
- झीलें—मीठे पानी का सबसे बड़ा ख़ज़ाना
- जैवविविधता और पर्यावरणीय सन्तुलन में झीलों की भूमिका
- आजीविका से पर्यटन तक झीलें और स्थानीय अर्थव्यवस्था का संबंध
- प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और झीलों का संकट
- झीलों पर 2050 तक मंडराते ख़तरे
झीलों को बचाने के लिए क्या ज़रूरी कदम
धरती पर 11 करोड़ 70 लाख से अधिक झीलें मौजूद हैं, जो मीठे पानी, जैवविविधता, जलवायु संतुलन और आजीविका का आधार हैं। प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से झीलों का अस्तित्व संकट में है। विश्व झील दिवस (World Lake Day in Hindi) हमें इन्हें बचाने की याद दिलाता है। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर...
झीलें केवल सैर-सपाटे के लिए ही नहीं, धरती और जीवन के लिए भी अहम
28 अगस्त 2025 जलवायु और पर्यावरण
ये जानकारी निश्चित रूप से दिलचस्प है कि हमारी धरती पर 11 करोड़ 70 लाख से अधिक झीलें मौजूद हैं? वे दुनिया की कुल ज़मीन का लगभग 4 प्रतिशत हिस्सा घेरे हुए हैं और धरती व मानव जीवन के लिए बहुत अहम हैं. मगर साथ ही ये चुनौती भी है कि इनसानों को अक्सर सुकून मुहैया कराने वाली इस प्राकृति धरोहर यानि झीलों को अगर हमने बचाने की कोशिश नहीं की, तो आने वाले कल में यह नीली धरोहर सिकुड़ सकती है.
इस वर्ष 27 अगस्त को पहली बार विश्व झील दिवस मनाया गया है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि झीलें केवल पानी का स्रोत नहीं हैं, बल्कि हमारी धरती और हमारे जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण प्राकृतिक धरोहर हैं.
झीलें हमें जीवन देती हैं, आजीविका का सहारा बनती हैं और पर्यावरणीय सन्तुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं.
बहुत बड़ा ख़ज़ाना
धरती पर जितना भी ताज़ा पानी मौजूद है, उसका सबसे बड़ा हिस्सा इन्हीं झीलों में सुरक्षित है. पृथ्वी में मौजूद कुल सतही ताज़े पानी का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा, झीलों में संग्रहित है, यानि हमारी पहुँच में उपलब्ध पानी का सबसे बड़ा ख़ज़ाना झीलें ही हैं.
झीलें मीठे पानी का सबसे अहम स्रोत हैं. ये हमें पीने का पानी देती हैं, खेती के लिए सिंचाई का पानी देती हैं और उद्योगों को सहारा देती हैं.
इतना ही नहीं, झीलें जैवविविधता की भी संरक्षक हैं. असंख्य मछलियाँ, पौधे, पक्षी और अन्य जीव-जन्तु इनका हिस्सा हैं. लेकिन झीलों के वजूद को लेकर स्थिति चिन्ताजनक है क्योंकि पिछले 50 वर्षों में, मीठे पानी में बसने वाली प्रजातियों की संख्या 85 प्रतिशत तक घट चुकी है.
झीलों का महत्व सिर्फ़ पारिस्थितिकी तक सीमित नहीं है. वे धरती के तापमान को नियंत्रित करती हैं, बाढ़ के पानी को सोख़ लेती हैं और कार्बन को संचित करती हैं.
साथ ही, झीलें पर्यटन, मत्स्य पालन और मनोरंजन जैसी गतिविधियों के ज़रिए स्थानीय समुदायों को आर्थिक सहारा भी देती हैं.
संकट में डूबी झीलें
आज झीलें गहरे संकट में हैं. प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक दोहन ने उनकी साँसें घोंट दी हैं. खेतों से बहकर आने वाली खाद और रसायन, नदियों के रास्ते झीलों में पहुँचता कचरा और बढ़ता शहरी दबाव, उनकी सेहत बिगाड़ रहे हैं.
वहीं जलवायु परिवर्तन ने जलस्तर और बर्फ़ की परत पर असर डालना शुरू कर दिया है. बढ़ता तापमान, झीलों के जलस्तर और बर्फ़ की परत पर असर डाल रहा है, जिससे वाष्पिकरण की दर तेज़ हो गई है.
इसके अलावा, बढ़ती आबादी और बढ़ते औद्योगीकरण के कारण झीलों पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है.
कहीं देर न हो जाए…
जानकारों का कहना है कि अगर हमने जल्द क़दम नहीं उठाए, तो झीलों का पारिस्थितिकी तंत्र टूट सकता है, और इसके परिणाम हमारी पीढ़ियों को भुगतने होंगे.
अगर यही स्थिति बनी रही तो अनुमान है कि वर्ष 2050 तक झीलों में प्रदूषण दोगुना हो जाएगा और मीथेन गैस का उत्सर्जन और भी तेज़ी से बढ़ेगा. वो स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी गहरा संकट साबित होगी.
विश्व झील दिवस हमें यह अवसर देता है कि झीलों को बचाने के लिए अब और देर नहीं की जाए. ज़रूरत है कि हम झीलों को प्रदूषण से बचाएँ, उनके किनारों पर प्राकृतिक पारिस्थितिकी को संरक्षित करें, समुदायों को जागरूक करें और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने के लिए ठोस क़दम उठाएँ.
झीलें हमारी धरती की सुन्दरता ही नहीं, बल्कि हमारे बेहतर भविष्य की सूचक हैं. उन्हें बचाना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है.