हुआ 17 साल पुराना ब्रेक अप, 'सुशासन बाबू' से 'सेकुलर बाबू' हो गये नीतीश
जद(यू) ने 17 साल के राजग गठबंधन को तोड़ दिया — शरद यादव और नीतीश कुमार का प्रेस नोट, भाजपा-जद(यू) टकराव, मोदी नियुक्ति और बिहार की राजनीति पर असर...;
नीतीश कुमार
भाजपा—जद(यू) 17 साल का रिश्ता टूटा : शरद यादव-नीतीश ने किया गठबंधन समाप्त करने का ऐलान
- शरद यादव का ऐलान : 17 साल के गठबंधन का अंत और राजग संयोजक पद से इस्तीफा
- नीतीश कुमार का पक्ष: भाजपा मंत्रियों के असहयोग के कारण मंत्रिमंडल से सिफारिश
मोदी और चुनाव प्रभारी नियुक्ति: जद(यू) के निशानों पर विवाद
जद(यू) ने 17 साल के राजग गठबंधन को तोड़ दिया — शरद यादव और नीतीश कुमार का प्रेस नोट, भाजपा-जद(यू) टकराव, मोदी नियुक्ति और बिहार की राजनीति पर असर
लीजिये। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) का 17 साल चला लिव इन रिलेशनशिप अब ब्रेक अप हो गया है और 2002 के गुजरत दंगों के दौरान नरेन्द्र मोदी को आँख बन्द कर समर्थन दे रहे नीतीश कुमार भी सेक्युलर हो गये हैं। जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने बिहार के मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार के साथ प्रेस वार्ता में गठबन्धन तोड़ने के फैसले का एलान किया।
शरद यादव ने कहा कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी का गठबन्धन 17 वर्ष से था और अटल जी और अडवाणी जी के साथ बैठकर सभी पार्टियों ने नेशनल एजेण्डा बनाया था। उन्होंने कहा कि अब जो नया दौर चला है, जो कई तरह के राजनीतिक उतार-चढ़ाव आये हैं। उसमें जद (यू) की लगातार कोशिश रही है कि जो राजग के नेशनल एजेण्डे के दायरे में चलें। लेकिन पिछले छह सात महीनों से जिस तेजी से जो घटनाएं घटी हैं। उससे जद (यू) का गठबन्धन में बने रहना मुश्किल हो गया था।
गठबन्धन तोड़ने का एलान करते हुये शरद यादव ने कहा, "आज हमने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक की। सबसे बातचीत कर यह तय हुआ कि अब गठबन्धन में साथ चलने से न तो उनके गठबन्धन को लाभ होगा और न हमारी पार्टी के लिये ये हितकारी होगा। इसलिये हमने फैसला किया है अब उनका रास्ता और हमारा रास्ता अलग हो गया है। अब जद (यू) गठबन्धन से बाहर हो गया है।" इसके साथ ही शरद यादव ने राजग के संयोजक का पद भी छोड़ने की घोषणा की।
सम्वाददाता सम्मेलन में नीतीश कुमार ने कहा कि गठबन्धन सरकार में शामिल भाजपा के 11 मन्त्रियों के असहयोगात्मक रवैय्ये के कारण उन्होंने राज्यपाल से उन्हें मन्त्रिमण्डल से हटाने की सिफारिश की है। उनका कहना था कि कई दिनों से राज्य सरकार में शामिल भाजपा के मन्त्री सरकार के काम में सहयोग नहीं कर रहे थे और अपने दफ्तर तक नहीं आ रहे थे इसलिये अनुशासनहीनता करने के लिये उन्हें मन्त्रिमण्डल से हटाने की सिफारिश की गयी है।
इस सवाल पर कि मोदी को तो लेकर चुनाव अभियान समिति का प्रमुख ही बनाया गया है तो नीतीश ने कहा, 'चुनाव प्रमुख भाजपा में इससे पहले भी कई लोग बने थे। स्वर्गीय प्रमोद महाजन तो अरूण जेटली भी चुनाव प्रमुख बने थे, लेकिन ऐसा नजारा पहली बार बना।' एक पत्रकार ने जब भाजपा के उस नेता का नाम जानना चाहा, जिसकी वजह से यह गठबन्धन टूटा, तो नीतीश ने नरेन्द्र मोदी का नाम न लेकर कहा कि 'समझने वाले समझ गये, जो ना समझे वो अनाड़ी हैं।'
गठबन्धन टूटने के लिये कौन जिम्मेदार है, इस सवाल पर नीतीश ने कहा, 'हम जिम्मेदार नहीं है। हमें गठबन्धन तोड़ने के लिये मजबूर किया गया है। प्रधानमन्त्री बनने के लिये 272 सांसद चाहिये, जो कि राजग से भी नहीं होगा। ऐसी कोई आँधी नहीं जिससे भाजपा अगले आम चुनाव में 272 सीटें जीत सके। हमें राजग से और लोगों को जोड़ने की कोशिश करनी होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब ऐसी नौबत आ गयी थी कि या तो आप समझौता करें या फिर बाहर जायें। ऐसे में हमने परिणाम की चिन्ता किये बगैर बाहर होने में अपनी भलाई समझी।' उन्होंने कहा कि राजनीतिक इतिहास में आज के दिन को काला दिवस के रूप में लिखा जायेगा।
वहीं भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जद (यू) द्वारा सम्बंध तोड़ने की घोषणा पर कहा कि गठबन्धन वीटो से नहीं चला करते बल्कि गठबन्धन परस्पर विश्वास के आधार पर चलता है। उन्होंने कहा कि, "साल 2000 में बिहार में जब भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या 67 थी और जद (यू) के विधायकों की संख्या सिर्फ़ 64 थी, तब भी हमने बड़े दिल का परिचय देते हुये कहा कि जनता दल यूनाइटेड हमारा छोटा भाई है। इसलिये मुख्यमन्त्री यदि बनना चाहिये तो जनता दल (यू) का ही बनना चाहिये।"
राजनाथ ने कहा कि, "क्या कारण हो गया कि आज भारतीय जनता पार्टी से जनता दल (यू) ने रिश्ते तोड़ लिये। भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा क्या अपराध कर दिया कि 17 वर्षों के रिश्ते को जद (यू) ने तार-तार कर दिया।" उन्होंने कहा कि गुजरात के लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी को पार्टी की केन्द्रीय चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना कर उन्होंने कोई ऐसा गुनाह नहीं कर दिया था कि जद (यू) ने गठबन्धन से ही रिश्ता तोड़ दिया।
उधर, भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने जद (यू) के इस फैसले के बाद कहा है कि नरेन्द्र मोदी को चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाना पार्टी का अन्दरुनी फैसला था और इस मामले में भाजपा पीछे नहीं हटेगी, इसके लिये गठबन्धन चाहे कितनी ही बार टूट जाये।
इस बीच बिहार के भाजपा नेता और बर्खास्त उप मुख्यमन्त्री सुशील कुमार मोदी ने भी एक सम्वाददाता सम्मेलन कर जद (यू) के इस क़दम को विश्वासघात करार दिया और कहा कि पार्टी इसके खिलाफ़ 18 जून को पूरे राज्य में विश्वासघात दिवस मनायेगी और शान्ति पूर्वक बिहार बन्द करेगी। कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होने पर सफाई देते हुये मोदी ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ जब कैबिनेट की बैठक रविवार को हुयी है। उन्होंने कहा, 'हमें सुबह नौ बजे इस बैठक की जानकारी मिली। मैं मुम्बई में था तब मुझे जानकारी मिली कि रविवार को कैबिनेट की मीटिंग बुलायी गयी है। मैं भी आश्चर्यचकित था कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो रविवार को कैबिनेट की मीटिंग बुलायी गयी है। हमारे कई मन्त्री अपने-अपने काम से बाहर हैं। ऐसे में हम अचानक नहीं आ सकते थे। इसलिये हमने कैबिनेट की मीटिंग में नहीं जाने का फैसला लिया।'
सुशील मोदी ने नरेन्द्र मोदी का समर्थन करते हुये कहा, 'लोगों में डर पैदा हो गया है क्योंकि पहली बार प्रधानमन्त्री पद पर पहुँचने की सम्भावना दिखाई दे रही है। वह व्यक्ति कभी चाय बेचा करता था। वह गरीब का बेटा है। हमने नरेन्द्र मोदी के रूप में पिछड़े वर्ग को मौका दिया है। नीतीश का यह कदम नरेन्द्र मोदी को रोकने की कोशिश है, लेकिन मुझे विश्वास है कि जिस मोदी को साम्प्रदायिक हो कहा जा रहा है, वो भी 2014 के बाद सेकुलर हो जायेंगे। जो व्यक्ति 2002 में साम्प्रदायिक हो नहीं था, आज वो व्यक्ति कैसे साम्प्रदायिक हो गया।'
सुशील मोदी ने कहा कि 2010 का विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था। जनता ने आँख मूँद कर राजग गठबन्धन को विकास के नाम पर प्रचण्ड बहुमत दिया था। इस प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार को जद (यू) ने एक झटके में तोड़ दिया है।
राजग की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा, 'यह अस्थायी टूट है, स्थायी नहीं।' काँग्रेस ने बिहार में राजग के टूटने पर चुटकी ली है। काँग्रेस नेता शकील अहमद ने नीतीश कुमार को बधाई देते हुये कहा, 'यह गठबन्धन देश के हित में काम नहीं कर रहा था।' वहीं, राजद मुखिया और पूर्व मुख्यमन्त्री लालू यादव ने कहा, 'नीतीश अहंकार में डूबे रहे हैं। वह गलतफहमी में जी रहे हैं। अब चुनाव मैदान में आयें तो जनता उन्हें सबक सिखा देगी। हम दोनों (भाजपा और जदयू) की धुलाई करेंगे।'
वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह ने सवाल किया है कि बीजेपी के लोगों ने बार बार दावा किया है कि वे गठबंधन की राजनीति को चलाना जानते हैं और निभाना जानते हैं। तो क्या शिव सेना और अकाली दल की विदाई तक यही राग रहेगा या अब नीतीश और उनके चेलों के जाने के बाद बयान में कुछ परिवार्तन आयेगा।
वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन फुटेला ने मौजूदा हालात पर चुटकी लेते हुये कहा कि भाजपा-जदयू का जो भी हो, काँग्रेस का काम तो हो गया है। भाजपा, लालू, पासवान और जद(यू) भी किसी के साथ जाने की हालत में नहीं होंगे। काँग्रेस अब पिक एण्ड चूज़ की हालत में है।
युवा पत्रकार सरोज कुमार ने जोड़ा कि नीतीश 'सुशासन बाबू' से 'सेकुलर बाबू' हो गये।
वरिष्ठ पत्रकार आनंद प्रधान ने कहा कि “तो भाइयों, धर्मनिरपेक्षता के लिये नाख़ून कटाकर नीतिश कुमार भी शहीद बन गये। अच्छा है, बहुत अच्छा है!!! आख़िर यह नीतिश कुमार के घर का अन्दरूनी मामला है।“