जो भी पत्रकार जगेंद्र हैं, जिंदा जलाये जायेंगे
पत्रकार संदीप कोठारी की हत्या और भारत में पत्रकारों की गिरती सुरक्षा पर पलाश विश्वास की चुभती कलम। क्या अगला जागेंद्र हम में से कोई होगा?;
Press Media
जिसने सच लिखा, उसे ज़िंदा जला दिया गया। अगला नंबर किसका?
पलाश विश्वास की कलम से एक जलता हुआ सवाल।
भारत में पत्रकारों की हत्या (Murder of journalists in India) अब अपवाद नहीं, क्रमबद्ध साज़िश बन चुकी है। पलाश विश्वास का यह लेख पत्रकार संदीप कोठारी की नृशंस हत्या (Brutal murder of journalist Sandeep Kothari) के बहाने मौजूदा सत्ता और माफिया गठजोड़ की खतरनाक हकीकत को उजागर करता है। यह एक भावनात्मक शोकगीत नहीं, बल्कि एक चेतावनी है—हर उस पत्रकार के लिए जो सच्चाई की कीमत चुका रहा है। इस टिप्पणी में पलाश विश्वास यह सवाल उठाते हैं कि क्या अगला नंबर किसी और 'जागेंद्र' या 'संदीप' का है? क्या लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की चिता पहले ही सज चुकी है?
पलाश विश्वास
अब बताना मुश्किल कि कब कहां किस पत्रकार के जिंदा जलाये जाने की बारी है।
निनानब्वे फीसद पत्रकारों की कुक्कुरदशा और फासीवादी राज्यतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खतरे के बारे में हम लगातार आगाह करते हुए जनपक्षधर ताकतों के साथ वंचित ईमानदार पत्रकारों की देश व्यापी लामबंदी की अपील यशवंत की गिरफ्तारी के दिन से करते रहे हैं।
हाल में हमें लिखना पड़ा कि जो भी जागेंद्र होगा, जिंदा जला दिया जायेगा। सिर्फ यूपी में ही नहीं, बाकी देश में भी पत्रकार कहीं सुरक्षित नहीं है।
अब बांग्लादेश में ब्लागरों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की हत्याओं का सिलसिला भारत में दोहराया जा रहा है और हम योग कर रहे हैं हिंदुत्वकरण का।
केसरिया भूगोल के बालाघाट में केसरिया विदर्भ के एक पत्रकार को अगवा कर देश की तरक्की और अच्छे दिनों की सौगात मिली है और अंदेशा है कि यह सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि सत्ता के वर्ग वर्ण वर्स्वी अरबपति करोड़पति तबके के साथ मीडिया विभीषणों का चोली दामन का रिश्ता है।
यूपी में जो विरोध हो रहा है, उसमें पत्रकारों की आवाज गूंज बनकर जनता के बीच कहीं पहुंच नहीं रही है और न मसला यह है कि अब मीडियाकर्मियों पर हमला हुआ तो बचेंगे नहीं अपराधी। यही वजह है कि हत्यारों के हौसले बुलंद हैं और सत्ता बिना प्रतिरोध उनका संरक्षण कर रही है।
अब बताना मुश्किल है कि कब कहां किस पत्रकार के जिंदा जलाये जाने की बारी है।
बालाघाट से साथियों ने जो खबरें दी हैं, उसके मुताबिक चिटफंड कंपनी, भू-माफिया और अवैध उत्खनन से जुड़े कारोबारियों के खिलाफ संघर्ष ने कटंगी निवासी युवा पत्रकार संदीप कोठारी की जान ले ली। अपहरण के मामले में पकड़े गए दो आरोपियों से जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो हत्या के मामले का पटाक्षेप हो गया। आरोपी कार से उनका अपहरण कर बालाघाट से करीब दो किमी दूर महाराष्ट्र के वर्धा जिले के बुटीबोरी में सिंधी रेलवे थाना क्षेत्र ले गए थे, जहां उनकी जलाकर हत्या कर दी।
संदीप का 19 जून की रात बालाघाट से कटंगी लौटते समय अपहरण किया गया था। इस दौरान आरोपियों ने संदीप के साथी के साथ मारपीट कर भगा दिया था। मामले में पुलिस ने चिटफंड कंपनी से जुड़े बालाघाट के तिरोड़ी निवासी विशाल तांडी और जमीन की प्लाटिंग के कारोबार से जुड़े महाराष्ट्र बुटीबोरी निवासी ब्रजेश डहरवाल की हिरासत में लिया था, जिन्होंने पूछताछ में संदीप की हत्या कबूल की है। एक आरोपी राकेश नर्सवाली अभी फरार है। पुलिस के अनुसार पकड़े गए आरोपियों के कारोबार को लेकर मृतक ने उच्चाधिकारियों से शिकायतें की थी।
विशाल तांडी के खिलाफ संदीप ने चिटफंड कंपनी के मामले में शिकायत की थी। जिसके खिलाफ उदयपुर (राजस्थान) के हिरणमगरी थाने में पुलिस ने अपराध भी दर्ज किया था।
वहीं संदीप ने ब्रजेश डहरवाल के खिलाफ अवैध रूप से जमीन की प्लाटिंग करने की शिकायत की थी। अन्य मैगनीज माफियाओं के अलावा उन्होंने यहां के पूंजीपतियों के गलत कारोबार की भी शिकायत की थी। जिसे इस वारदात की वजह बताया जा रहा है। वर्धा जिले के सिंधी थाना क्षेत्र में जली हालत में मिली लाश महाराष्ट्र के वर्धा जिले की सिंधी थाना पुलिस ने शनिवार को अज्ञात मानकर संदीप की लाश को पीएम कराने सिविल अस्पताल भेजा था, लेकिन शाम हो जाने के कारण पीएम नहीं हो सका था।
बालाघाट पुलिस ने सिविल अस्पताल से शव बरामद कर लिया है। 19 जून को बालाघाट आए थे संदीप संदीप 19 जून को बालाघाट आए थे। शाम को वह अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान कटंगी रोड पर आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के साथ उनका अपहरण कर लिया था।
कटंगी एसडीओपी जगन्नाथ मरकाम के अनुसार रात्रि करीब 9.30 बजे संदीप का अपहरण हुआ था। जिसकी शिकायत करीब 12.30 बजे कटंगी थाने में दर्ज हुई थी।