हाथियों की मूर्तियों पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर बोलीं मायावती, मीडिया व भाजपा के लोग कटी पतंग ना बनें
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मायावती ने मूर्ति खर्च मामले पर पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट कर अपना पक्ष मजबूती से रखने की बात कही;
Mayawati, the leader of the Bahujan Samaj Party (BSP) and former Chief Minister of Uttar Pradesh
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: मूर्तियों पर खर्च पैसा लौटाएं
- मायावती की पहली प्रतिक्रिया: ट्वीट में दी सफाई
- दलित स्मारकों और हाथी की मूर्तियों पर मायावती का पक्ष
- क्या है मूर्ति खर्च से जुड़ी याचिका और कानूनी मामला
- 2 अप्रैल को होगी मामले की अगली सुनवाई
मीडिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया पर मायावती की नसीहत
नई दिल्ली : मानननीय उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की उस टिप्पणी, जिसमें कह गया कि बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) को यूपी में हाथियों की मूर्तियों में खर्च किए गए पैसे (Money spent in elephant statues) को लौटाना चाहिए, पर मायावती की पहली प्रतिक्रिया आई है। मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि वह इस मामले पर अपना पक्ष मानननीय उच्चतम न्यायालय में काफी मजबूती के साथ रखेंगी। दरअसल, नोएडा में लगी हाथी की मूर्तियों (Idols of elephant in Noida) के मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Chief Justice Ranjan Gogoi) ने मायावती के वकील को कहा कि अपने क्लाईंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए।
मानननीय उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद मायावती ने आज सुबह ट्वीट किया और इस मामले में मीडिया को भी नसीहत दी। उन्होंने लिखा-
'मीडिया कृप्या करके माननीय मानननीय उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे। माननीय न्यायालय में अपना पक्ष ज़रूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जायेगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया व भाजपा के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है।'
मायावती ने एक और ट्वीट किया-
'सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल/स्मारक/ पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है।'
इस ट्वीट से ऐसा लग रहा है कि वह अपनी सरकार द्वारा बनाए गए स्मारक और पार्क आदि के फैसले का बचाव कर रही हैं।
मायावती का मूर्तिकरण और दलित विकास का प्रश्न
दरअसल, मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि हमारा विचार है कि मैडम मायावती को मूर्तियों का सारा पैसा अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए।
मायावती की ओर से सतीश मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें। अब इस मामले में 2 अप्रैल को सुनवाई होगी।
किस मामले में हुई सुनवाई:
शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक अधिवक्ता द्वारा 2009 में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं। अधिवक्ता का आरोप है कि 2008-09 और 2009-10 के राज्य बजट से करीब दो हजार करोड़ रुपये का इस्तेमाल मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए विभिन्न स्थानों पर अपनी तथा बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां लगाने में किया।
मानननीय उच्चतम न्यायालय में कल मामले में क्या हुआ था
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती को चाहिए कि वह लखनऊ और नोएडा में हाथी की प्रतिमाओं पर खर्च किए गए सरकारी पैसे को वापस लौटा दें।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने रविकांत की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें उत्तर प्रदेश में बसपा संस्थापक कांशी राम को समर्पित स्मृति उद्यानों में प्रतिमाओं पर खर्च किए गए पैसे की वापसी की मांग की गई है।
उन्होंने कहा,
हमारा मानना है कि मैडम मायावती को इन हाथियों पर खर्च किए गए सभी पैसों को सरकारी खजाने में वापस करना चाहिए।"
इस मामले में अंतिम सुनवाई दो अप्रैल को होगी।
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