खेलों में महिलाओं को बराबरी का दर्जा क्यों ज़रूरी है?

Why is it important for women to have equal status in sports? खेलों में महिलाओं को अब भी क्यों नहीं मिल रही बराबरी? महिला खिलाड़ियों की आय में पुरुषों से चौंकाने वाला अंतर;

By :  Hastakshep
Update: 2025-07-19 02:06 GMT

Why is it important for women to have equal status in sports?

खेलों में महिलाओं को अब भी क्यों नहीं मिल रही बराबरी?

  • महिला खिलाड़ियों की आय में पुरुषों से चौंकाने वाला अंतर
  • हाशिए पर की महिलाएँ – जब खेल भी भेदभाव करता है
  • मातृत्व अवकाश और कार्यस्थल पर असमानता
  • खेल संघों और क्लबों में महिलाओं की नेतृत्व भूमिका
  • सकारात्मक बदलाव की पहलें और उम्मीद की किरण
  • सामाजिक बदलाव और मीडिया की ज़िम्मेदारी

वोल्कर टर्क का आह्वान – “आइए, एक समावेशी खेल संस्कृति बनाएं

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने खेलों में महिलाओं को समान वेतन, सम्मान और अवसर दिए जाने की अपील की है। जानिए खेलों में लैंगिक समानता की सच्चाई...

'खेलों में महिलाओं की भूमिका को बराबरी का सम्मान दिया जाए'

18 जुलाई 2025 महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने महिलाओं को खेलकूद में पुरुषों के साथ बराबरी का सम्मान दिए जाने की पुकार लगाई है. उन्होंने जिनीवा में महिला योरो फ़ुटबॉल चैम्पियनशिप के बीच, दुनिया भर के खेल क्लबों से, महिलाओं के खेलों में अब भी मौजूद भारी लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए ठोस क़दम उठाए जाने की अपील की है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, "खेल का मैदान अब भी बराबरी का नहीं है."

हाल के वर्षों में महिला खेलों को वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय पहचान मिली है. 2023 में आयोजित फ़ीफ़ा महिला विश्व कप को लगभग 100 करोड़ लोगों ने देखा.

इस बढ़ती लोकप्रियता ने महिला खेलों के प्रति रूढ़िवादी सोच व शक्ति असन्तुलन को लेकर ज़रूरी एवं सार्थक चर्चाओं को जन्म दिया है.

वोल्कर टर्क के अनुसार, महिला खिलाड़ियों को अब भी कई स्तरों पर भेदभाव और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

विशेष रूप से LGBTIQ+ समुदाय की महिलाओं, हिजाब पहनने वाली खिलाड़ियों, विकलांग महिलाओं एवं हाशिए पर रहने वाले जातीय व नस्लीय समुदायों से आने वाली महिलाओं को.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "हमें ऐसी खेल संस्कृति बनानी होगी जहाँ सभी महिलाएँ और लड़कियाँ समान सम्मान, प्रतिनिधित्व और वेतनमान पा सकें."

आय में ‘चौंकाने वाला’ अन्तराल

शीर्ष क्लबों में खेलने वाले पुरुष खिलाड़ी जहाँ सालाना औसतन लगभग 18 लाख डॉलर तक की रक़म अर्जित करते हैं, जबकि उन्हीं क्लबों में खेलने वाली महिला खिलाड़ियों की औसत आय महज़ लगभग 24 हज़ार डॉलर ही होती है.

शीर्ष क्लबों से बाहर खेलने वाली महिला खिलाड़ियों की स्थिति और भी कमज़ोर है - उनकी औसत सालाना कमाई केवल 10 हज़ार 900 डॉलर रहती है.

वोल्कर टर्क ने चिन्ता जताते हुए कहा, "जब महिला खिलाड़ियों को स्थिर और पर्याप्त आय नहीं मिलती, तो उन्हें गुज़र-बसर करने के लिए अन्य काम करने पड़ते हैं.

इससे उनके पास न तो प्रशिक्षण के लिए समय बचता है और न ही अपने खेल को निखारने की ऊर्जा."

कार्यस्थल पर महिलाओं को कई गम्भीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो वेतन असमानता को और अधिक असहनीय बना देती हैं.

अधिकांश महिला खिलाड़ियों को या तो मातृत्व अवकाश मिलता ही नहीं, और यदि मिलता भी है तो बहुत सीमित होता है.

इसके साथ ही, जब उत्पीड़न जैसी घटनाएँ होती हैं, तो उनके पास न्याय पाने के लिए अक्सर कोई भरोसेमन्द व्यवस्था भी नहीं होती.

खेल जगत में नेतृत्व स्तर पर भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद सीमित है. पेशेवर क्लबों और खेल संघों के शीर्ष पदों पर महिलाएँ कम ही नज़र आती हैं.

उदाहरण के तौर पर, 31 प्रमुख खेल महासंघों में से केवल 3 का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में है.

हालाँकि ये आँकड़े चिन्ताजनक हैं, फिर भी कुछ खेल संघों ने सकारात्मक बदलाव की दिशा में पहल की है. कुछ संस्थाओं ने मातृत्व और गोद लेने पर अवकाश दिए जाने को अनिवार्य बनाया है, और वेतन समानता सुनिश्चित करने के लिए भी ठोस क़दम उठाए जा रहे हैं.

सामाजिक बदलाव के लिए पहल

वोल्कर टर्क ने, सामाजिक परिवर्तन को गति देने के लिए, सदस्य देशों से अपील की कि वे भेदभाव को रोकने के लिए प्रभावी और समावेशी व्यवस्थाएँ विकसित करें.

ऐसी प्रणालियाँ बनाएँ जो वेतन में समानता को बढ़ावा दें और खेल जगत में होने वाली हिंसा व उत्पीड़न के मामलों को न्याय तक पहुँचाने में सहायक बनें.

उन्होंने मीडिया की भूमिका पर भी बल देते हुए कहा कि मीडिया को खेलों में महिलाओं की उपलब्धियों को सही, सन्तुलित व नैतिक रूप से प्रस्तुत करना आवश्यक है. इससे मीडिया एक सकारात्मक परिवर्तन की ताक़त बन सकता है.

वोल्कर टर्क ने कहा, "खेल समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं...ये न्याय, सम्मान एवं समान अवसरों को प्रोत्साहित करने की अदभुत क्षमता रखते हैं."

"आइए, हम मिलकर ऐसा खेल माहौल बनाएँ, जहाँ महिलाएँ और लड़कियाँ, हर बाधा से मुक्त होकर अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ सकें."

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