गाज़ा अत्याचारों पर पीएम मोदी की चुप्पी को कांग्रेस ने बताया ‘नैतिक कायरता’ और भारत के मूल्यों से धोखा
गाज़ा में अत्याचारों पर पीएम मोदी की चुप्पी को कांग्रेस ने ‘नैतिक कायरता’ बताया है। जयराम रमेश ने ट्रंप-नेतन्याहू समीकरण और भारत की भूमिका पर सवाल उठाए हैं;
Jairam Ramesh-General Secretary in-charge Communications, Indian National Congress
गाजा में अत्याचारों पर पीएम की चुप्पी 'भारत के मूल्यों के साथ पूरी तरह से धोखा': कांग्रेस
- कांग्रेस का आरोप: गाज़ा नरसंहार पर पीएम की चुप्पी
- जयराम रमेश ने उठाए ट्रंप प्लान पर सवाल
- फ़िलिस्तीनी राज्य और भारत की ऐतिहासिक भूमिका
- कांग्रेस का आरोप: भारत ‘शांत दर्शक’ बन गया है
- अमेरिकी कूटनीति, ट्रंप और नेतन्याहू से मोदी की नज़दीकी
विपक्ष का सवाल: भारत का नैतिक विवेक कहाँ खो गया?
गाज़ा में अत्याचारों पर पीएम मोदी की चुप्पी को कांग्रेस ने ‘नैतिक कायरता’ बताया है। जयराम रमेश ने ट्रंप-नेतन्याहू समीकरण और भारत की भूमिका पर सवाल उठाए हैं...
नई दिल्ली, 1 अक्तूबर 2025. कांग्रेस पार्टी ने गाजा में अत्याचारों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी की कड़ी आलोचना की और इसे 'नैतिक कायरता' और भारत के मूल्यों के साथ 'धोखा' बताया। उन्होंने ट्रम्प के गाजा प्लान का मोदी द्वारा स्वागत करने पर सवाल उठाया और कहा कि यह फिलिस्तीनी राज्य के अधिकार या संघर्ष के लिए ज़िम्मेदारी के मुद्दे को नहीं सुलझाता। कांग्रेस ने कहा कि भारत एक 'शांत दर्शक' बन गया है और उसने अपना नैतिक विवेक खो दिया है।
अपने एक्स हैंडल पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लिखा-
"अपने अच्छे मित्र राष्ट्रपति ट्रंप को खुश करने और अपने दूसरे अच्छे मित्र बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एकजुटता दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप की गाज़ा के लिए घोषित नई 20 सूत्री योजना का स्वागत किया है।
लेकिन इस योजना पर बुनियादी और चिंताजनक सवाल अभी भी बने हुए हैं।
1. प्रस्तावित प्रशासनिक ढाँचे में गाज़ा के लोग स्वयं कहाँ हैं?
2. एक पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए रोडमैप कहाँ है?
3. अमेरिका और इज़राइल कब तक फ़िलिस्तीनी राज्य के दर्जे की अनदेखी करते रहेंगे, जिसे संयुक्त राष्ट्र के 157 सदस्य देशों ने पहले ही मान्यता दे दी है-और जिसकी पहल भारत ने नवंबर 1988 में की थी?
4. पिछले बीस महीनों में गाज़ा में हुए नरसंहार के लिए जवाबदेही कहाँ है?
प्रधानमंत्री ने उन भयावह अत्याचारों पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है, जिनमें गाज़ा के दसियों हज़ार निर्दोष नागरिकों की जान गई है। यह अत्यंत घोर नैतिक कायरता है और उस हर मूल्य और आदर्श के साथ विश्वासघात है, जिसके लिए भारत खड़ा रहा है।"
एक अन्य पोस्ट में जयराम रमेश ने लिखा-
"राष्ट्रपति ट्रंप का झुकाव उस व्यक्ति के प्रति लगातार बना हुआ है, जिसकी भड़काऊ, उकसाऊ और सांप्रदायिक ज़हर से भरे बयानों की पृष्ठभूमि में 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमला हुआ था।
बीते तीन महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर से दो बार मिल चुके हैं। अब तो ट्रंप यह भी कह रहे हैं कि उन्हें यह बहुत अच्छा लगा जब फ़ील्ड मार्शल ने उनकी तारीफ़ में यह कहा कि उन्होंने 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोककर कई ज़िंदगियाँ बचाई। ट्रंप ने आगे कहा कि उनके ऑल-पावरफ़ुल चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ ने भी फ़ील्ड मार्शल की उस प्रशंसा को 'सबसे ख़ूबसूरत बात' बताया।'
जहाँ तक भारतीय कूटनीति का सवाल है, नारेबाज़ी, दिखावा, शेखी बघारने और उपदेश देने का दौर अब समाप्त हो चुका है। चुनौतियाँ कई हैं- न केवल अमेरिका के साथ, बल्कि अन्य देशों के साथ भी। स्वयंभू विश्वगुरु और उनके चेले अब पूरी तरह से बेनक़ाब हो चुके हैं।"