पवन खेड़ा का प्रधानमंत्री पर हमला: “लाल क़िले से संघ का नाम लेकर संविधान का अपमान”

Pawan Khera's attack on the Prime Minister: "Insulting the Constitution by taking the name of the Sangh from the Red Fort";

By :  Hastakshep
Update: 2025-08-16 07:45 GMT

पवन खेड़ा का ट्वीट और आरोप

  • लाल क़िले से प्रधानमंत्री के भाषण पर आपत्ति क्यों?
  • आरएसएस की भूमिका पर पवन खेड़ा का निशाना
  • स्वतंत्रता दिवस भाषण और परंपरा पर बहस

सावरकर पोस्टर विवाद को लेकर कांग्रेस का हमला

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला। लाल क़िले से राष्ट्रीय स्वयंसंवक संघ का नाम लेने को उन्होंने संविधान और तिरंगे का अपमान बताया...

नई दिल्ली, 16 अगस्त 2025. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त के भाषण पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि लाल क़िले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का नाम लेकर प्रधानमंत्री ने देश के संविधान, तिरंगे और स्वतंत्रता संग्राम की गौरवमयी परंपरा का अपमान किया है। पवन खेड़ा ने संघ के सौ साल के इतिहास पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह संगठन शुरू से ही संदिग्ध भूमिका में रहा है और आज भी समाज को बाँटने का काम कर रहा है।

पवन खेड़ा ने ट्वीट किया-

"आरएसएस (राष्ट्रीय संदिग्ध संघ) के सौ साल का इतिहास :

▪️25 साल अंग्रेज़ों की मुखबिरी

▪️25 साल तिरंगे और संविधान का तिरस्कार

▪️25 साल मंदिर-मस्जिद के झगड़े

▪️25 साल दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ साज़िश में गुज़ारे।

आज प्रधानमंत्री ने इस संगठन का नाम लाल क़िले से लेकर इस देश के संविधान का, इस देश के तिरंगे का अपमान किया है।"

इसके साथ ही एक वीडियो जारी करते हुए उन्होंने कहा-

"साथियों, 15 अगस्त को लाल किले पर प्रधानमंत्री का भाषण एक गौरवमई परंपरा है इस देश की। बचपन में पूरे परिवार के साथ प्रधानमंत्री का भाषण 15 अगस्त का जरूर सुना जाता था, भले प्रधानमंत्री किसी पार्टी के हों और इस गौरवमई परंपरा को स्थापित किया पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कि इतिहास के एक प्रतीक पर खड़े होकर भारत के भविष्य की बात करना, भारत से साझा करना अपने भविष्य के सपने।

अफसोस की बात यह है कि पिछले 11 सालों में नरेंद्र मोदी जी ने इस गौरवमई परंपरा को तार-तार कर दिया। जब लाल किले से प्रधानमंत्री बोलते हैं, वह भूल जाते हैं कि वह किस विचारधारा के हैं। वह संविधान की विचारधारा को सर्वोपरि मान के बोलते हैं और पूरे देश को जोड़ते हुए बोलते हैं।

पूरा देश को एक-एक व्यक्ति को नॉर्थ ईस्ट हो, साउथ हो, नॉर्थ हो, वेस्ट हो, सेंट्रल हो, सबको लगता है कि नहीं मेरे मन की बात की है प्रधानमंत्री ने लेकिन आज का भाषण अगर आपने सुना तो इतना संकीर्ण था और इतना द्वेष से भरा हुआ था कि यह भाषण जोड़ने के लिए नहीं था। यह भाषण तोड़ने के लिए था। संघ का नाम लेना प्रधानमंत्री की मजबूरी हो सकती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम लाल किले से लेना उनकी तारीफ करना इनकी बहुत बड़ी मजबूरी है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब इनकी सेवा निवृत्ति की बात करनी शुरू कर दी है। आप आपस में चाटुकारिता करते रहिए एक दूसरे की लेकिन आप संघ का नाम लेकर लाल किले से, आप सरदार पटेल का अपमान कर रहे हैं। आप बाबा साहब अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं। आप संविधान का अपमान कर रहे हैं। आप तिरंगे का अपमान कर रहे हैं। यह आप कैसे कर सकते हैं?

इसी संविधान की शपथ लेकर आप यहां लाल किले तक पहुंचे हैं। इसी तिरंगे की वजह से आप लाल किले तक पहुंचे हैं लेकिन नहीं आपने आज इन तमाम प्रतीकों का अपमान किया और जिसका आदर्श संघ हो वह महात्मा गांधी के खिलाफ ही होगा, उस विचारधारा के खिलाफ ही होगा, वह संविधान और तिरंगे के खिलाफ ही होगा। संघ इस वर्ष 100 साल का अपनी जयंती मना रहा है।

पहले 25 साल संघ ने मुखबिरी करके गुजारे अंग्रेज। उसके अगले 25 साल तिरंगे और संविधान का तिरस्कार करते हुए गुजारे। और उसके बाद वाले 25 साल इन्होंने मंदिर मस्जिद के झगड़े पैदा करके गुजारे। पिछले 25 साल दलितों, आदिवासियों पिछड़ों के हक कैसे मारे जाएं? यह साजिश रचते हुए गुजारे। संघ ऐसी कोई साजिश नहीं है जिसमें शामिल ना हो, जिसमें उसकी संदिग्ध भूमिका ना हो।

इसका तो नाम ही राष्ट्रीय संदिग्ध संघ रख देना चाहिए। ऐसे संगठन का नाम आप लाल किले से 15 अगस्त को ले रहे हैं। बहुत अफसोस हुआ, पूरे देश को अफसोस हुआ। और इतने अंधे हो गए हैं आप इस संविधान के खिलाफ, इस देश की आत्मा के खिलाफ, इस देश की विचारधारा के खिलाफ कि आज पेट्रोलियम मिनिस्टर की पोस्ट मिनिस्ट्री ने एक पोस्टर निकाला।

उस पोस्टर में सावरकर तिरंगे से भी ऊपर गांधी जी से तो ऊपर रखा ही तिरंगे से भी ऊपर रखा और उस पोस्टर से अंबेडकर जी गायब, नेहरू जी गायब, नीचे भगत सिंह जी और सुभाष चंद्र बोस रखे हुए हैं। अरे, किसका नाम ले रहे हैं आप? जिनकी भूमिका संदिग्ध रही हो, जिनका इतिहास बहुत बुरी तरह से काला हो।

उस व्यक्ति को आप 15 अगस्त के दिन तिरंगे से ऊपर स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। आप सामान्यकरण कर रहे हैं। यू आर नॉर्मलाइजिंग सावरकर, यू आर नॉर्मलाइजिंग द कॉन्स्पिरेटर्स ऑफ महात्मा गांधी असासिनेशन। यह सामान्यीकरण हम होने नहीं देंगे। यह देश नहीं होने देगा। यह देश संघ के खिलाफ हमेशा रहा है। आप तिकड़म से जीत जाते हैं। वह तिकड़म भी अब एक्सपोज हो रही है। इसका मतलब नहीं कि आपने देश का दिल जीत लिया। इसका मतलब यह नहीं कि गोडसे जीत सकता है।

इसका मतलब नहीं कि सावरकर इस देश में कभी जीत सकता है। जय हिंद।"

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