चीन यात्रा पर पीएम मोदी को कांग्रेस नेता जयराम रमेश की कड़ी आलोचना

जयराम रमेश ने पीएम मोदी की चीन यात्रा पर सवाल उठाए। गलवान, लद्दाख सीमा, चीन–पाकिस्तान गठजोड़ और आयात नीति को लेकर सरकार पर निशाना;

By :  Hastakshep
Update: 2025-08-31 06:52 GMT

Jairam Ramesh-General Secretary in-charge Communications, Indian National Congress

गलवान घाटी की पृष्ठभूमि और प्रधानमंत्री की ‘क्लीन चिट’

  • लद्दाख सीमा पर यथास्थिति बहाली का मुद्दा
  • ऑपरेशन सिंदूर और चीन–पाकिस्तान गठजोड़
  • यारलुंग त्संगपो जलविद्युत परियोजना की चुनौती
  • चीन से बढ़ता आयात और MSMEs पर संकट

कांग्रेस का सवाल: क्या यही है ‘न्यू नॉर्मल’?

जयराम रमेश ने पीएम मोदी की चीन यात्रा पर सवाल उठाए। गलवान, लद्दाख सीमा, चीन–पाकिस्तान गठजोड़ और आयात नीति को लेकर सरकार पर निशाना

नई दिल्ली, 31 अगस्त 2025. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा (Prime Minister Narendra Modi's visit to China) को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि मोदी सरकार गलवान घाटी से लेकर लद्दाख सीमा विवाद, चीन–पाकिस्तान गठजोड़, यारलुंग त्संगपो परियोजना और चीनी आयात जैसे गंभीर मुद्दों पर देशहित में ठोस कदम उठाने में विफल रही है। जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि क्या भारत का नया ‘न्यू नॉर्मल’ अब चीनी आक्रामकता और हमारी सरकार की चुप्पी से परिभाषित होगा?

जय राम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा-

"आज प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात का मूल्यांकन निम्नलिखित संदर्भों में किया जाना चाहिए -

जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता के चलते हमारे 20 सबसे बहादुर जवानों ने अपनी जान की क़ुर्बानी दी। इसके बावजूद, 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को कायराना (कुख्यात) क्लीन चिट दे दी।

सेना प्रमुख ने लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर यथास्थिति की पूर्ण बहाली की मांग की थी। लेकिन इसे हासिल करने में विफल रहने के बावजूद मोदी सरकार ने चीन के साथ सुलह की दिशा में क़दम बढ़ाए, जिससे चीन की उस क्षेत्र में आक्रामकता को अप्रत्यक्ष रूप से वैधता मिल गई।

4 जुलाई, 2025 को, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ चीन की जुगलबंदी पर जोरदार और स्पष्ट रूप से बात की। मगर इस अशुभ गठजोड़ पर ठोस प्रतिक्रिया देने के बजाय, मोदी सरकार ने इसे नियति मानकर चुपचाप स्वीकार कर लिया और अब चीन को राजकीय दौरों से पुरस्कृत कर रही है।

चीन ने यारलुंग त्संगपो पर एक विशाल जलविद्युत परियोजना की घोषणा की है, जिसके हमारे उत्तर-पूर्वी राज्यों पर बेहद गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। लेकिन मोदी सरकार की तरफ़ से इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोला गया।

चीन से आयात की अनियंत्रित डंपिंग जारी है, जिसने हमारी MSMEs इकाइयों को बुरी तरह प्रभावित किया है। अन्य देशों की तरह सख़्त कदम उठाने के बजाय, भारत ने चीनी आयातकों को लगभग खुली छूट दे दी है।

क्या 'न्यू नॉर्मल' चीनी आक्रामकता और हमारी सरकार की कायरता से परिभाषित किया जाना चाहिए?"

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