एआईपीएफ के राष्ट्रीय अधिवेशन का दिल्ली में प्रचार शुरू
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के 7-8 दिसंबर को दिल्ली के सुरजीत भवन में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारी शुरू कर दी गई है।;
• जन लोकतंत्र, आजीविका और समावेशी राष्ट्रवाद की राजनीतिक अवधारणा
• संगठन में विरोध पक्ष बनाने का प्रस्ताव, निचली इकाईयों को स्वायत्ता
नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के 7-8 दिसंबर को दिल्ली के सुरजीत भवन में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारी शुरू कर दी गई है। जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों, पत्रकारों, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं और समाज सरोकारी नागरिकों से बड़े पैमाने पर संपर्क किया गया है। संविधान की रक्षा, आजीविका और सामाजिक अधिकार, समावेशी राष्ट्रवाद और जन लोकतंत्र के विषय को केंद्र करके यह चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। इसके बारे में जानकारी देते हुए ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के दिल्ली प्रभारी और पूर्व एडिशनल सीएमओ डॉक्टर राहुल दास ने बताया कि एक टीम दिल्ली में जनसंपर्क, बैठक और संवाद कर रही है। उन्होंने बताया कि आज संविधान की रक्षा का सवाल सर्वोपरि सवाल बन गया है। एसआईआर और विभिन्न तरीकों से जो हर नागरिक को एक वोट देने का संवैधानिक अधिकार था उसे भी छीनने की कोशिश हो रही है। स्वतंत्रता, समता, न्याय, बंधुत्व, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, सम्प्रभुता जो भी संविधान की प्रस्तावना में है और राष्ट्र निर्माण के मूलभूत सिद्धांत हैं, उन पर हमला हो रहा है।
उन्होंने बताया कि समाज का एक बहुत बड़ा तबका अभी भी सामाजिक अधिकारों से वंचित है। अति पिछड़े समुदाय के आरक्षण के लिए 2017 में बनी जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने संसद के पटल पर नहीं रखा। एससी-एसटी सब प्लान का पैसा कॉरपोरेट के लिए खर्च किया जा रहा है। उनकी शिक्षा के बेहद महत्वपूर्ण मद में बेहद कम आवंटन किया गया है। पहचान आधारित भेदभाव के शिकार पांच समूह एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं के विकास के लिए बजट में सब प्लान और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की बात एआईपीएफ ने उठाई
डाक्टर राहुल दास ने बताया कि देश में असमानता आजादी के पूर्व से भी ज्यादा है। एक प्रतिशत उच्च पूंजी घरानों के पास 40 प्रतिशत देश की संपत्ति है। लोगों की क्रय शक्ति बेहद घट गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार 100 करोड लोग उपभोक्ता बाजार के बाहर हैं। देश में बेरोजगारी और आजीविका के सवाल को हल करके ही विकास सम्भव है। एआईपीएफ ने देश के 200 बड़े कॉर्पोरेट घरानों की सम्पत्ति और उत्तराधिकार पर समुचित टैक्स लगाकर देश के हर नागरिक के लिए रोजगार, गुणवत्तापूर्ण व मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य, भोजन और पेंशन के संवैधानिक अधिकार की गारंटी की बात नीति लक्ष्य में कही है।
उन्होंने बताया कि घृणा और वैमनस्य के विभाजनकारी साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद की जगह आजादी के आंदोलन से जन्मे समावेशी राष्ट्रवाद से ही देश की आर्थिक सम्प्रभुता की रक्षा हो सकती है। देश से प्यार करने वाले हर नागरिक का दायित्व है कि वह विनाशकारी हिंदुत्व-कारपोरेट गठजोड़ के विरुद्ध खड़ा हो। राजनीतिक लोकतंत्र भी तभी बच सकता है जब सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र प्रदान करने वाला जन लोकतंत्र कायम किया जाए।
उन्होंने बताया कि एआईपीएफ ने संगठन के संदर्भ में भी एक अभिनव प्रयोग किया है। पहली बार किसी राजनीतिक दल ने मूलभूत सिद्धांतों से सहमत रहते हुए संगठन के अंदर विरोध पक्ष बनाने की अनुमति देने का प्रस्ताव अपने संविधान में किया है। इतना ही नहीं निचली स्तर की इकाइयों को पूर्ण स्वायत्तता दी गई है और कोई भी संगठन जो एआईपीएफ के राजनीतिक अवधारणा, नीति लक्ष्य और कार्यक्रम से सहमत हो अपनी स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए एआईपीएफ का घटक संगठन बन सकता है। उन्होंने जन राजनीति को मजबूत करने के लिए आयोजित एआईपीएफ के राष्ट्रीय अधिवेशन को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील भी की।