RSS शताब्दी समारोह: मोदी ने जारी किया स्मारक सिक्का और डाक टिकट, पवन खेड़ा का तीखा हमला

नरेंद्र मोदी ने आरएसएस पर 100 रुपये का स्मारक सिक्का और स्पेशल डाक टिकट जारी किया। पवन खेड़ा ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चाहे कितने भी सिक्के और टिकट जारी कर लो, यह देश गांधी का था और गांधी का ही रहेगा।...;

By :  Hastakshep
Update: 2025-10-03 08:59 GMT

प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के 100 साल पर जारी किया स्मारक सिक्का

  • कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने साधा निशाना
  • "गांधी का देश, गांधी का ही रहेगा" – खेड़ा का बड़ा बयान
  • शहीद हेमू कालाणी को लेकर भी उठे सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस शताब्दी समारोह में 100 रुपये का स्मारक सिक्का और स्पेशल डाक टिकट जारी किया। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चाहे कितने भी सिक्के और टिकट जारी कर लो, यह देश गांधी का था और गांधी का ही रहेगा।...

नई दिल्ली, 3 अक्तूबर 2025. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस शताब्दी समारोह में सौ रुपये का स्मारक सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी किया।

इस पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर तीखा हमला बोला। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि "अगर सिक्का ही जारी करना था तो 60 रुपये का करते, जितनी पेंशन सावरकर को अंग्रेजों से मिलती थी।"

खेड़ा ने गांधी के भारत की याद दिलाते हुए कहा कि चाहे RSS कितने भी सिक्के जारी कर ले, देश की आत्मा गांधी के विचारों में ही बसती है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा-

"RSS के लिए सिक्का ही जारी करना था तो 60₹ का करते, जितनी पेंशन सावरकर को बरतानी हुक़ूमत से मिलती थी।

डाक टिकट ही जारी करनी थी तो ब्रिटिश पोस्ट की करते जिसके ज़रिए माफीनामे भेजते थे।

चाहे जितना भी स्टैंप छाप लो, सिक्के जारी कर लो और RSS को पाठ्यक्रम में घुसा दो - यह देश गांधी का था, गांधी का है और गांधी का रहेगा।

सत्ता से बाहर होते ही आपको और आपकी विचारधारा को इतिहास दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंकेगा।"

इसी पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए पवन खेड़ा ने लिखा-

"आजकल संघ वाले शहीद हेमू कालाणी को संघी साबित करने पर तुले हैं। हेमू कालाणी स्वराज सेना के सदस्य थे जो की AISF (All India Students Federation) की छात्र इकाई थी। हेमू कालाणी ने फिर गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था।

जिनकी क़िस्मत में पप्पू कालाणी लिखा हो, उन्हें शहीद हेमू कालाणी पर हक़ नहीं जताना चाहिए।"

सवाल ये है कि क्या आरएसएस की शताब्दी पर जारी सिक्के और टिकट आने वाली पीढ़ियों को इतिहास का सही आईना दिखा पाएंगे?

या फिर, जैसा विपक्ष कह रहा है— गांधी और शहीदों की विरासत ही भारत की सच्ची पहचान बनी रहेगी?

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