उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने खड़े किए राजनीतिक सवाल, विपक्ष ने जताई चिंता
Vice President Jagdeep Dhankhar's resignation raised political questions, opposition expressed concern;
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर खड़गे ने साधी चुप्पी
- मनीष तिवारी बोले—इस्तीफा एक रहस्य
- प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाए सवाल
- जयराम रमेश ने लगाया पक्षपात का आरोप
- गौरव गोगोई ने केंद्र-उपराष्ट्रपति संबंधों पर जताई चिंता
संजय राउत ने किया बड़ा दावा—सितंबर में होगा खुलासा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की माँग की है...
नई दिल्ली, 22 जुलाई 2025 — देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके इस अप्रत्याशित निर्णय पर विपक्ष के कई नेताओं ने हैरानी जताई है और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले पर संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए कहा,
"केवल वही कारण जानते हैं। हमें इस पर कुछ नहीं कहना है। या तो सरकार जानती है या वह जानते हैं। उनका इस्तीफा स्वीकार करना या न करना सरकार पर निर्भर है।"
इधर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को एक रहस्य बताया। उन्होंने कहा,
"सबसे पहले, मैं भारत के उपराष्ट्रपति के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करता हूँ। हालाँकि, उनका इस्तीफा एक पहेली की तरह बना हुआ है। बिना किसी स्पष्ट परिस्थिति के अचानक इस्तीफा देना पेचीदा है। यदि यह स्वास्थ्य कारणों से है, तो देश को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।"
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा,
"अपनी खराब सेहत के बावजूद, वे संसदीय कार्यवाही का संचालन करते रहे। यह पहली बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने इतने चौंकाने वाले तरीके से इस्तीफा दिया है। उम्मीद है कि इस पर और जानकारी सामने आएगी।"
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि,
"भारत के इतिहास में पहली बार, सदन के पक्षपातपूर्ण संचालन के कारण 50 से ज़्यादा सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। उपराष्ट्रपति पक्षपातपूर्ण थे। उनका इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से प्रतीत नहीं होता।"
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भी सवाल उठाते हुए कहा,
"उपराष्ट्रपति का इस्तीफ़ा अचानक और दुर्भाग्यपूर्ण है। कल वह बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, आज भी बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में उनका नाम था। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार और उपराष्ट्रपति के रिश्तों में कुछ खटास आई है। हम स्पष्टीकरण चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को इस बारे में पहले से जानकारी थी या नहीं।"
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा,
"अगर स्वास्थ्य कारण होते तो वह सत्र से पहले इस्तीफा दे सकते थे। कल की बीएसी बैठक में संसदीय कार्य मंत्री और जेपी नड्डा दोनों नदारद थे। लगता है, स्क्रिप्ट पहले से लिखी गई थी।"
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने यहां तक कह दिया कि,
"पर्दे के पीछे बड़ी राजनीति चल रही है। यह इस्तीफा कोई सामान्य बात नहीं है। मैं मानने को तैयार नहीं हूं कि यह सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से है। सितंबर में कुछ बड़ा खुलासा हो सकता है।"
देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद से इस तरह का इस्तीफा भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में विरल है। ऐसे में विपक्ष का शक और सवाल उठना लाज़मी है। अब सभी की निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया और राष्ट्रपति भवन से आने वाले आधिकारिक बयान पर टिकी हैं।