उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा: स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक असहमति?

जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी बताया, लेकिन कांग्रेस और विपक्षी नेताओं का दावा है कि इसके पीछे कहीं ज़्यादा गंभीर और गहरे कारण हैं।;

By :  Hastakshep
Update: 2025-07-22 04:37 GMT

Vice President Jagdeep Dhankhar's resignation: Health reason or political disagreement?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का कारण

  • धनखड़ स्वास्थ्य कारण या सियासी मतभेद
  • राज्यसभा उपसभापति इस्तीफा समाचार
  • जयराम रमेश का बयान धनखड़ पर
  • संसद में जगदीप धनखड़ की आख़िरी स्पीच

जगदीप धनखड़ बनाम सत्ता पक्ष विवाद

नई दिल्ली, 22 जुलाई 2025। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Vice President of India and Chairman of Rajya Sabha Jagdeep Dhankhar) ने अचानक अपने पद से इस्तीफ़ा देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी बताया, लेकिन कांग्रेस और विपक्षी नेताओं का दावा है कि इसके पीछे कहीं ज़्यादा गंभीर और गहरे कारण हैं।

जयराम रमेश का बयान: "धनखड़ का इस्तीफ़ा उनकी गरिमा का प्रतीक, लेकिन सवाल उठाता है जिन्हें उन्होंने सेवा दी"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि "श्री धनखड़ का इस्तीफ़ा उनके उसूलों की झलक देता है, लेकिन यह उन लोगों पर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुँचाया था।"

उन्होंने खुलासा किया कि सोमवार को राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की दो बैठकें हुईं। पहली बैठक दोपहर 12:30 बजे हुई जिसमें जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू मौजूद थे। लेकिन शाम 4:30 बजे जब बैठक पुनः शुरू हुई, तो दोनों वरिष्ठ मंत्री गायब रहे, और धनखड़ को सूचित तक नहीं किया गया। इस असम्मान से क्षुब्ध होकर उन्होंने बैठक अगले दिन के लिए टाल दी।

रमेश ने कहा, “दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ ऐसा ज़रूर हुआ, जिसने उपराष्ट्रपति को यह कड़ा कदम उठाने पर विवश कर दिया।”

राजनीतिक निष्ठा के बावजूद स्वतंत्र आवाज़ रहे धनखड़

धनखड़ ने भले ही 2014 के बाद के भारत की अक्सर तारीफ की हो, लेकिन वे किसानों के हक़, न्यायपालिका की जवाबदेही, और राजनीतिक जीवन में अहंकार के खिलाफ मुखर रहते थे। वे संसद में नियमों, प्रक्रिया और मर्यादा के पक्के अनुयायी थे।

जयराम रमेश ने कहा कि उन्होंने "जहां तक संभव हो, विपक्ष को सम्मान और अवसर देने की कोशिश की", लेकिन उन्हें लगता रहा कि उनकी संस्थागत गरिमा को बार-बार नज़रअंदाज़ किया गया।

धनखड़ की आखिरी स्पीच: विपक्ष और सत्ता पक्ष को एकजुट होने का आह्वान

राज्यसभा में धनखड़ की आख़िरी स्पीच अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

उन्होंने कहा था,

"सत्ता और विपक्ष की राहें अलग हो सकती हैं, लेकिन मंज़िल हमेशा देशहित ही होनी चाहिए।"

उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से संवैधानिक मर्यादा और परस्पर सम्मान बनाए रखने की अपील की।

कपिल सिब्बल बोले: “उनसे मिलना अब मुमकिन नहीं होगा, दुखद है”

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपने व्यक्तिगत संबंधों को याद करते हुए कहा, “मुझे उनके इस्तीफ़े की जानकारी से दुख हुआ। विचारधारा अलग थी, लेकिन कभी कड़वाहट नहीं रही। सदन में वे बार-बार कहते थे – देश के हित में सत्ता और विपक्ष साथ चलें।”

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया: "कुछ बड़ा ज़रूर हुआ है"

झामुमो सांसद महुआ माजी ने कहा,

"यह बहुत चौंकाने वाली खबर है, खासकर विपक्ष के लिए। आज के सत्र में ऐसा आभास नहीं हुआ कि वे इस्तीफ़ा देने वाले हैं। उनके निर्णय के पीछे कुछ और वजह ज़रूर हो सकती है। हम चाहते हैं कि वे पुनर्विचार करें।"

क्या यह सत्ता के भीतर असहमति का संकेत है?

राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि धनखड़ जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस तरह अचानक इस्तीफा देना, और वह भी उस दिन जब संसद का सत्र चल रहा हो — ये कोई साधारण घटना नहीं है।

कई विशेषज्ञ इसे G2 मॉडल (प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की केंद्रीकृत सत्ता) से उपजे असंतोष का प्रतीक मान रहे हैं।

धनखड़ का इस्तीफ़ा व्यक्तिगत पीड़ा, संस्थागत अपमान और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के टूटने की कहानी भी कहता है।

उनकी अंतिम अपील — “सत्ता और विपक्ष देशहित में मिलकर काम करें” — आज की राजनीति में एक ज़रूरी संदेश बन गई है।

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